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डीएफओ दंपति को लेकर वन मंत्री से क्यों भिड़े विधायक, जानिये पूरा माजरा

-पुरोला विधानसभा क्षेत्र में तैनात डीएफओ दंपति को हटाने को लेकर लंबे समय से मौके की तलाश में थे पुरोला विधायक दुर्गेश्वर लाल
Pen Point, Dehradun : पुरोला विधानसभा से विधायक दुर्गेश्वर लाल ने बीते मंगलवार को अपनी ही सरकार के वन मंत्री सुबोध उनियाल पर गाली गलौच का आरोप लगाते हुए उनके आवास के बाहर धरना दिया।  असल में विधायक दुर्गेश्वर लाल अपने विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत गोविंद वन्य जीव पशु विहार और अपर टौंस वन प्रभाग के डीएफओ दंपति का तबादला करवाने की मांग के साथ वन मंत्री से मिलने पहुंचे थे। लेकिन इस दौरान वहां ऐसा कुछ घटा कि अगले चौबीस घंटों तक हाई वोल्टेज आरोप प्रत्यारोप का ड्रामा चलता रहा। हालांकि, बुधवार को दुर्गेश्वर लाल के तेवर नर्म होते दिखे तो लगने लगा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की ओर से इस आरोप प्रत्यारोप वाले हाई वोल्टेज ड्रामे’ पर नाराजगी से विधायक को अपने सुर बदलने पड़े।

लेकिन, आखिर ऐसा क्या हुआ था कि पुरोला विधानसभा क्षेत्र में अलग अलग डिविजन में तैनात भारतीय वन सेवा के अधिकारी दंपति के तबादले के लिए विधायक ने पार्टी के अनुशासन की परवाह नहीं की। मोरी क्षेत्र में गोविंद वन्य जीव पशु विहार क्षेत्र में विंटर ट्रैकिंग का प्रमुख केंद्र केदारकांठा ट्रैक स्थित है, इन दिनों वहां देश विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटन पहुंच रहे हैं। दिसंबर महीने के आखिरी में वन विभाग ने कुछ स्थानीय पर्यटन व्यवसायियों के समर्थन से दूसरे रास्तों से पार्क क्षेत्र मंे घुसकर केदारकांठा जाने वाले पर्यटकों को रोका था। नियम है कि पार्क प्रशासन से परमिट लेकर निर्धारित शुल्क चुका कर ही पर्यटन केदारकांठा क्षेत्र में ट्रैकिंग के लिए जा सकते हैं। वन विभाग की ओर अलग रास्तों से घुस रहे पर्यटकों को पकड़ने के बाद केदारकांठा ट्रैक के आधार शिविर गांवों के लोगों ने वन विभाग के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और वन विभाग पर मनमानी और पर्यटन को हतोत्साहित करने का आरोप लगा दिया। साथ ही पर्यटकों की संख्या निर्धारित करने और पर्यटकों को रोकने का भी आरोप लगाया।

स्थानीय ग्रामीणों के इसी विरोध प्रदर्शन को आधार बनाकर विधायक बीते मंगलवार को वन मंत्री से गोविंद वन्य जीव पशु विहार पार्क में तैनात उप निदेशक के तबादले के साथ ही अपर टौंस वन डिविजन में तैनात डीएफओ को भी हटाने की मांग लेकर मिलने पहुंचे थे। इस बीच वन मंत्री ने जब प्रमुख वन संरक्षक को विधायक के पत्र पर जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश लिखे तो कथित तौर पर विधायक ने यह पत्र फाड़ दिया और डीएफओ दंपति का तत्काल तबादला करवाने की मांग करने लगे इस पर दोनों के बीच गरमागरम बहस हो गई।

हालांकि, गोविंद वन्य जीव पशु विहार और अपर यमुना टौंस वन विभाग में तैनात आईएफएस दंपति के खिलाफ विधायक का गुस्सा सिर्फ केदारकांठा में पर्यटकों को रोकने को लेकर ही नहीं है। बल्कि, बीते दिसंबर के आखिर में पर्यटकों को वन विभाग की ओर से रोकने की घटना लंबे समय से आईएफएस दंपति से नाराज विधायक को इन्हें हटाने के मौके के रूप में मिली।

बीते साल अगस्त महीने में जांच के दौरान गोविंद वन्य जीव पशु विहार क्षेत्र में वन विभाग के निर्माण कार्यों में भारी अनियमितताओं की बड़ी खबरें सामने आने लगी। वन विभाग की ओर से लाखों रूपए की लागत के निर्माण कार्य धरातल पर तो नहीं दिखे लेकिन निर्माण योजनाओं का भुगतान पूरा हो चुका था। यह जांच जब अन्य निर्माण कार्यों तक पहुंची तो अधिकतम कार्यों में अनियमिताएं और बिना काम के भुगतान के खुलासे होने लगे। पार्क क्षेत्र के सुपीन रेंज में वन्य जीवों और मानव संघर्ष को रोकने के लिए घेरबाड़ के लिए करीब 10 लाख का भुगतान ठेकेदार को किया गया लेकिन जांच के बाद मौके पर निर्माण कार्य नहीं दिखा। अक्टूबर महीने में भुगतान पाने वाले ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया।

इसके बाद सिलसिलेवार ढंग से पार्क क्षेत्र में निर्माण कार्यों में अनियमितताओं के मामले लगातार सामने आते रहे लिहाजा नए निर्माण कार्यों पर रोक के साथ ही पार्क प्रशासन ने पुराने कार्यों की विस्तृत जांच करवाने का भी फैसला लिया। यह बात विधायक दुर्गेश्वर लाल को नागवार गुजरी। वहीं, अगस्त महीने में ही पुरोला क्षेत्र में हरे पेड़ों के अवैध कटान का मामला खुला जिसमें ठेकेदार ने छपान के 788 सूखे पेड़ों की अनुमति की आड़ में 108 हरे पेड़ों पर भी आरी चला दी। वन विभाग ने इस घटना पर कार्रवाई करते हुए ठेकेदार और जिम्मेदार कर्मियों पर मामला दर्ज कर दिया था।

पुरोला विधानसभा में बीते साल वन विभाग के निर्माण कार्यों में लगातार अनियमितताओं के खुलासे के बाद निर्माण कार्यों पर रोक, भ्रष्टाचार करने वाले ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट करने जैसी कार्रवाई से पुरोला विधायक पर स्थानीय लोगों का भी भारी दबाव था जिसके चलते विधायक लंबे समय से ही गोविंद वन्य जीव पशु विहार में तैनात उप निदेशक और अपर यमुना टौंस वन प्रभाग में तैनात डीएफओ को हटाने के मौके की तलाश में थे। बीते दिनों केदारकांठा ट्रैक पर हुए हंगामे के बाद विधायक को यह बेहतर मौका लगा था लेकिन वन मंत्री के साथ हुए विवाद के बाद अब फिलहाल विधायक को दोनों आईएफएस अधिकारी दंपति के तबादले के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।

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