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सेना ने साफ किया, शहीद अग्निवीर का होगा सैन्य सम्मान, क्या बहस फिर भी जारी रहेगी?

Pen Point, Dehradun : भारतीय सेना की अग्निवीर योजना शुरू से ही विवादों में रही है। जिसके चलते इस पर सियासत भी जमकर हो रही है। कांग्रेस इस मुद्दे पर लगातार केंद्र की भाजपा सरकार से सवाल कर रही है। नया सवाल ये है कि शहीद होने पर अग्निवीर को सैन्य सम्मान क्यों नहीं दिया जा रहा है, योजना को लेकर भाजपा और कांग्रेस आमने सामने हैं, लेकिन इस सियासी बहस में कई तथ्य छूट रहे हैं तो कई सत्य बातें लोगों तक नहीं पहुंच रही हैं। सेना ने भी यह साफ कर दिया है कि शहीद अग्निवीर को सैन्य सम्मान के साथ ही उसके परिजनों को कितनी मदद मिलेगी। अब सवाल ये है कि क्या इसके बाद भी अग्निवीर योजना पर बहस जारी रहेगी।

इसी महीने 11 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर में ड्यूटी के दौरान अग्निवीर अमृतपाल सिंह की मौत हो गई थी। पंजाब के मनसा कोटली गांव के रहने वाले अमृतपाल दस महीने पहले भर्ती हुआ था। बताया जा रहा है कि उसने खुद को गोली मार ली थी। सेना ने अमृतपाल के शव को उसके घर भिजवा दिया था और उसे गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया। नियमों के मुताबिक खुद की जान लेने वाले को शहीद नहीं माना जा सकता और उसे सैन्य सम्मान नहीं दिया जा सकता। लेकिन इस पर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश की।

इसके बाद बीते 20 अक्टूबर को लद्दाख के सियाचिन में ड्यूटी के दौरान अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण की मौत हो गई थी। गावते काराकोरम रेंज में लगभग 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर में तैनात थे। इसे दुनिया का सबसे उंचाई वाला और दुरूह युद्धस्थल माना जाता है। ड्यूटी करते हुए जान गंवाने वाले इस जवान को सेना ने शहीद का दर्जा दिया। उसका अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया गया।

अग्निवीर योजना के विरोध में शुरू से मुखर रहे कांग्रेस के राहुल गांधी ने हाल ही में अग्निवीरों को सैन्य सम्मान न दिये जाने का सवाल उठाया था। उन्होंने इसे भारत के वीरों के अपमान की योजना बताया था और उनके परिजनों को पेंशन या अन्य सहायता न दिये जाने की बात कही थी।

राहुल गांधी और कांग्रेस के इन आरोपों को भाजपा ने पूरी तरह अनर्गल बताया। इस मुद्दे पर मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा, सेना के अधिकृत बयान में शहीद को सैन्य सम्मान और 1 करोड़ की मदद की जानकारी देने के बाद भी, विपक्ष झूठे आरोप लगाकर महान सैन्य परंपरा को बदनाम कर रहा है ।

इस मुद्दे पर कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है। भारतीय सेना भी अग्निवीर की शहादत पर सैन्य सम्मान को लेकर अपना रूख साफ कर चुकी है। सेना की अधिकृत जानकारी मुताबिक गवाते के परिजनों को 48 लाख रुपये का गैर-अंशदायी बीमा, 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि, अग्निवीर द्वारा योगदान की गई सेवा निधि के 30 प्रतिशत में सरकार की समान हिस्सेदारी समेत कुल करीब एक करोड़ रुपये मिलेगा।

अग्नीवीर योजना जब शुरू की गई थी तब इसे लेकर कई तरह के सवाल उठाए जा रहे थे। जिनमें से एक था पेंशन का मुद्दा। योजना के तहत चार साल सेवा देने के बाद अग्निवीरों को एकमुश्त करीब पंद्रह लाख रूपए की राशि के साथ रिटायर किया जाएगा। इसमें पेंशन का प्रावधान नहीं है। अब पहली शहादत के बाद सैन्य सम्मान का सवाल खड़ा हो गया है। जैसे-जैसे योजना आगे बढ़ेगी इस पर बहस बनी रहेगी। फिलहाल नई बहस इस ओर जा रही है कि अग्निवीरों को कठिन और दुरूह इलाकों में क्यों तैनात किया जा रहा है।

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