भटवाड़ी तहसीलः लावारिस छोड़ दिए गए भवन में संचालित होती लावारिस छोड़ दी गई तहसील
– भटवाड़ी तहसील आठ महीनों से बिना तहसीलदार के हो रही संचालित, आपदा के लिहाज से संवेदनशील, यात्रा मार्ग व सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है भटवाड़ी तहसील
PEN POINT, (Pankaj Kushwal) :भटवाड़ी तहसील, कुछ डेढ़ दशक करीब पहले लावारिस छोड़ दिए गए एक प्री फेब्रीकेटेड भवन में संचालित होते तहसील कार्यालय में जाकर अहसास होता है कि यह लावारिस से छोड़ दिए गए भवन में संचालित हो रही यह तहसील भी अधिकारियों, प्रशासन और सरकार ने लावारिस छोड़ दी है।
उत्तरकाशी जनपद की सीमांत तहसील भटवाड़ी, चीन सीमा को छूती इस तहसील सीमा क्षेत्र में करोड़ों हिंदुओं के आस्था के प्रतीक गंगोत्री धाम से लेकर उत्तरकाशी जिला मुख्यालय भी आता है। भटवाड़ी तहसील के अंतर्गत सौ से अधिक गांव आते हैं और कुल आबादी 50 हजार से अधिक। भटवाड़ी तहसील क्षेत्र आपदा के लिहाज से राज्य के सबसे ज्यादा संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल है, 1991 में आए विनाशकारी भूंकप का केंद्र भटवाड़ी तहसील ही था और 2010 में भटवाड़ी भूधंसाव, 2012 में असी गंगा बाढ़, 2013 में भागीरथी नदी में आए उफान ने भटवाड़ी तहसील क्षेत्र में भारी नुकसान पहुंचाया। आपदा के लिहाज से संवेदनशील इस तहसील क्षेत्र में बीते दो दशकों में शायद ही कोई साल बीता हो जब मानसून काल में यहां भारी नुकसान न हुआ हो। इतनी भूमिका बांधने का सिर्फ इतना ही मकसद है कि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण, धार्मिक पर्यटक का प्रमुख केंद्र, आपदाओं की दृष्टि से संवेदनशील भटवाड़ी तहसील को लेकर प्रशासन और सरकार बेहद असंवेदनशील बनी हुई है।
लावारिस छोड़ दिए गए एक प्रीफेब्रेरिकेटेड भवन में पिछले डेढ़ दशकों से संचालित हो रहे भटवाड़ी तहसील की हालत का अंदाजा सिर्फ इसके भवन को देखकर ही लगाया जा सकता है। असल में 2010 से पूर्व भटवाड़ी के चढ़ेथी कस्बे में एक तहसील भवन हुआ करता था, जहां तहसीलदार समेत एसडीएम भी बैठा करते थे। 2010 में भूधंसाव की चपेट में आकर तहसील भवन भागीरथी नदी में समा गया। तो उसी साल तत्कालीन केंद्र सरकार ने भागीरथी घाटी में निर्माणाधीन दो जल विद्युत परियोजनाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। चढ़ेथी कस्बे में ही एनटीपीसी का लोहारीनाग जल विद्युत परियोजना का प्री फेब्रीकेटेड ढांचों का दफ्तर बनाया था, लेकिन परियोजना पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी तो एनटीपीसी ने यह ढांचे यहां छोड़ अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया। तहसील भवन भी धंसकर भागीरथी की लहरों में बह गया तो आनन फानन में एनटीपीसी के लावारिस छोड़ दिए गए दफ्तरों में तहसील को शिफ्ट कर दिया गया। डेढ़ दशक होने को है न तहसील को नया भवन नहीं मिल सका। इस लावारिस छोड़ दिए गए भवन में ही तहसील संचालित हो रही है। लेकिन, तहसील परिसर में घुसते ही आपको अहसास हो जाता है कि यह तहसील कैसे संचालित हो रही है।
22 अक्टूबर 2022 को यहां तैनात तहसीलदार का तबादला हो गया। जिला प्रशासन की ओर से यहां नए तहसीलदार की तैनाती के आदेश कर दिए गए। 9 महीनें हो चुके हैं न यहां तैनात किए गए तहसीलदार पहुंच सके न कोई अन्य तहसीलदार तैनाती लेने पहुंचा।
तहसील कार्यालय में साफ सफाई का जिम्मा देखने वाला कर्मचारी हर सुबह नियत समय पर पिछले नौ महीने से तहसीलदार का दफ्तर करीने से साफ करता है, कुर्सी पर बिछाया गया सफेद तोलिया हर तीसरे दिन बदल दिया जाता है, मेज पर मेजपोश भी लगातार बदली जाती है। उम्मीद रहती है कि तहसीलदार साहब आकर चार्ज लेंगे, लेकिन इस इंतजार में नौ महीने बीत गए।
तहसील में एसडीएम को बैठे हुए डेढ़ दशक होने को है। तहसील भवन के आपदा में ध्वस्त हो जाने के बाद से भटवाड़ी एसडीएम उत्तरकाशी जिला मुख्यालय कलक्ट्रेट से ही एसडीएम कार्यालय संचालित कर रहे हैं। ज्यादातर तहसील कर्मचारी भी जिला मुख्यालय से ही काम काज निपटा रहे हैं।
स्थानीय निवासी सुनिल रावत बताते हैं कि तहसील भवन को देखकर कोई नहीं कह सकता है कि यह क्षेत्रफल के लिहाज से उत्तरकाशी जिले का सबसे बड़े तहसील का मुख्यालय है। वह बताते हैं कि यहां तहसीलदार, एसडीएम समेत सभी कर्मचारी अधिकारी समय से आएं और बैठे इसे लेकर स्थानीय लोगों ने कई बार आंदोलन किए लेकिन सिर्फ आश्वासन मिलते रहे पर तहसील की दशा जस की तस बनी हुई है। सुनिल रावत बताते हैं कि लोग दूर दराज गांवों से यहां अपने राजस्व व तहसील से जुड़े अन्य कार्यों के लिए आते हैं लेकिन दफ्तर में छाए सन्नाटे से निराश होकर वापिस लौटना पड़ता है।
तहसीलदार की नियुक्ति न होने के सवाल पर जिलाधिकारी अभिषेक रोहेला कहते हैं कि तहसीलदार की नियुक्ति के आदेश हो चुके हैं लेकिन उन्होंने चार्ज नहीं लिया है ऐसे में जल्द ही नए तहसीलदार की नियुक्ति की जाएगी। उनकी माने तो फिलहाल व्यवस्था के जरिए ही काम चलाया जा रहा है लेकिन जल्द स्थाई व्यवस्था के लिए कदम उठाए जाएंगे।