भ्रष्ट तंत्र-1 : सरकारी खजाने का धन हवा में लुटाया
-विभिन्न एजेंसियों को एक ही काम को दो बार भुगतान किया, पर वसूली नहीं की
-ठेकेदारों और सेवा प्रदाता एजेंसियों को करते रहे गलत भुगतान, लगाई राज्य के खजाने को सवा अरब की चपत
पेन प्वाइंट, देहरादून। बीते बुधवार को विधानसभा पटल पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानि कैग की रिपोर्ट रखी गई। इस रिपोर्ट में विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से राज्य के खजाने को लगी चपत की तस्वीर खुलकर सामने आई। विभागीय लापरवाही की वजह से सरकारी खजाने को करीब 13 सौ करोड़ रूपये की चपत लगी। यहां तक कि माननीयों को हवाई सफर करवाने वाली हवाई कंपनियों को एक ही भुगतान दो-दो बार किया गया लेकिन वह रकम वापिस नहीं ली गई। वहीं ठेकेदारों पर भी सरकारी अफसरों की मेहरबानी कहें या दरियादिली, ने भी सरकारी खजाने को चपत लगाई।
बुधवार को विधानसभा के पटल पर रखी गई भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में जिस तरह के खुलासे हुए उसने राज्य में अफसरों और ठेकेदारों, निजी कंपनियों के गठजोड़ का स्याह पक्ष भी सामने रखा। हालांकि, इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद सरकारी विभागों के अफसरों पर क्या कार्रवाई होगी यह आने वाला समय ही बताएगा। कैग ने राज्य के 55 विभागों, 32 सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रम और 53 अन्य संस्थाओं की राजस्व वसूली के साथ ही भुगतान की जांच की। इस जांच में कैग ने पाया कि विभिन्न योजनाओं के तहत लाभार्थियों को गलत भुगतान हुए। जबकि शुल्क के रूप में जो राशि विभाग को मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिली। रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग इस दौरान सिर्फ साढ़े चार करोड़ की वसूली हो पाई। जबकि शेष 1386 करोड़ की वसूली अभी तक लटकी हुई है।
नागरिक उड्डयन विभाग : 2016 में हेमकुंड साहिब तक हेलिकॉप्टर शटल सेवा उपलब्ध कराने वाली मैसर्स प्रभातम एविएशन प्रा. लि. से 2.69 करोड़ का संचालन शुल्क और 45.12 लाख का ब्याज नहीं वसूला गया।
64 करोड़ का डबल भुगतान
नागरिक उड्डयन विभाग : अधिकारियों व कर्मचारियों की उदासीनता के कारण कमजोर आंतरिक नियंत्रण से हेली कपंनी को 64 करोड़ का दो बार भुगतान किया गया। गणमान्य लोगों को हेलिकॉप्टर सेवाएं देने के संबंध में मूलभूत अभिलेख, पंजिका व स्वीकृतियां का रखरखाव तक नहीं था।
यह हाल बीते वर्ष के ही नहीं बल्कि पिछले पांच सालों से विभागों की इस लापरवाही से राज्य के खजाने को अरबों रूपये की चपत लग चुकी है। 2019-20 के दौरान 770 प्रकरणों में 982.07 करोड़ रुपये की वसूली नहीं हो पाई, सिर्फ 83 प्रकरणों में कुल 2.57 करोड़ रुपये वसूले जा सके थे। इसी तरह 2020-21 में 531 प्रकरणों में 404.64 करोड़ की वसूली नहीं हो पाई। इस वर्ष 109 प्रकरणों में 1.87 करोड़ रुपये ही वसूल किए जा सके।