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अपनी उपलब्धियों से ज्यादा मोदी फैक्टर के सहारे नजर आ रहे भाजपा के दिग्गज

Pen Point, Dehradun : उत्तराखण्ड में लोकसभा चुनाव प्रचार अपने अंतिम दौर में पहुंच गया है। चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी वोटरों को रिझाने के लिये पूरा जोर लगाते दिख रहे हैं। कांग्रेस और अन्य प्रत्याशी जहां सत्ताधारी भाजपा और भ्रष्टाचार पर लगातार हमलावर हैं। वहीं भाजपा प्रचार तंत्र के मामले में आगे रहने के बावजूद भाजपा मुद्दों से ज्यादा मोदी के चेहरे पर आकर टिक गई है। माना जा रहा है कि एक बार फिर भाजपा प्रत्याशियों की उम्मीद मोदी फैक्टर पर आकर टिक गई हैं। उत्तराखण्ड की पांचों सीटों पर हर प्रत्याशी के मामले में ये बात एकदम सटीक बैठ रही है। इन पांचों सीटों पर भले ही पार्टी के पुराने दिग्गज चुनाव मैदान में हैं, लेकिन अपनी उपलब्धियों की बजाए वो मोदी की गारंटी पर ही जोर दे रहे हैं।

पोस्टर वार से लेकर स्टार प्रचारकों की रैलियों समेत प्रचार के हर तरीके से भाजपा अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटी है। जिसमें प्रमुख तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी गारंटी ही छाए हुए हैं। जिसमें वन नेशन वन इलेक्शन और यूसीसी लागू करने के साथ ही लेकर गरीबों के लिये घर और बुजुर्गों, महिलाओं के लिये कल्याणकारी योजनाएं शुरू करने का वादा किया गया है। इन्हीं वादों को लेकर भाजपा प्रत्याशी जनता से वोट की अपील कर रहे हैं। प्रत्याशी यहां तक कह रहे हैं कि हमें वोट दोगे तो मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाआगे। जिससे साफ है कि मोदी फैक्टर के बूते ही पूरे चुनाव अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है।
भाजपा प्रत्याशियों के प्रोफाइल पर नजर डालें तो अल्मोड़ा सीट से लगातार दो बार सांसद अजय टम्टा केंद्र में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। नैनीताल सीट से अजय भट्ट भी पिछली केंद्र सरकार में रक्षा राज्यमंत्री जैसे अहम पद पर रहे हैं। भट्ट उत्तराखण्ड में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। हरिद्वार सीट से भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड में कृषि मंत्री रहने के बाद मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। पौड़ी सीट से अनिल बलूनी पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नजदीकी बताए जाते हैं। बलूनी भाजपा के राष्ट्रीय प्रभारी के साथ ही उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद रहे हैं।

गौरतलब है कि अहम पदों पर रहे ये प्रत्याशी अपने कार्यकाल की उपलब्धियों पर ज्यादा बात करते नहीं दिख रहे हैं। इसे भाजपा की चुनाव रणनीति का हिस्सा भी कहा जा सकता है। लेकिन भाजपा के विपक्षी दल मानते हैं कि इन प्रत्याशियों के खाते में उपलब्धियों के नाम पर कुछ भी नहीं है, इसीलिये प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं।

यह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि पीएम मोदी की जनसभा और रैलियों का भाजपा को हर चुनाव में बड़ा फायदा मिलता रहा है। इस बार भी नैनीताल सीट में तराई वाले इलाके समेत पौड़ी और टिहरी सीटों पर भाजपा कमजोर नजर आ रही थी। लेकिन कुमाउं में खटीमा और गढ़वाल में ऋषिकेश में पीएम की जनसभाओं के बाद वह आश्वस्त नजर आ रही है। यही वजह है कि प्रत्याशी मोदी फैक्टर को पूरी तरह भुनाते हुए संसद तक पहुंचने की राह देख रहे हैं। फिलहाल यह तो चुनाव नतीजे ही बताएंगे कि इस बार मोदी फैक्टर का जनता में कितना असर रहा।

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