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देवभूमि में नशे का काला कारोबार कस रहा शिकंजा, कई घर हुए तबाह

Pen Point, Dehradun : उत्तराखंड में नशे का काला कारोबार लगातार पैर पसार रहा है। जिसके शिकंजे में फंसकर कई परिवार तबाह हो रहे हैं। नशे की लत जहां युवाओं को चपेट में ले रही है वहीं रोजगार की कमी युवाओं को इस तरह के अपराध की तरफ धकेल रही है। इसकी भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगायाजा सकता है कि आए दिन राज्‍य भर में कई जगहों पर पुलिस चरस और स्‍मैक बरामद कर ही है। इन मामलों में अब तक कई लोग जेल भेजे जा चुके हैं। लेकिन यह बात भी दीगर है कि पुलिस कार्रवाई कुछ ही मामलों में होती है। अधिकांश मामलों में नशे के सौदागर पुलिस की नाक के नीचे अपने काम को अंजाम दे जाते हैं। दूसरी ओर, अब तक इस कारोबार में छोटे मोटे अपराधी ही पकड़े जाते हैं, किसी भी बड़े सौदागर के खिलाफ कार्रवाई सामने नहीं आई है।

खास बात यह है कि पहाड़ के दूर दराज के  इलाकों में भी नशे के नशा युवाओं को अपनी गिरफ्त में लेते जा रहे है।  इसकी तस्दीक यहाँ पुलिस और प्रशासन की कार्रवाइयों से साफ़ हो जाती है। इसके इतर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है  कि राज्य पुलिस बीते साल 22 करोड़ रूपये से ज्यादा कीमत का नशा बरामद कर चुकी है। कुल जमा बात यह है कि राज्य में नशा तस्करी का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है और दूर दराज के ग्रामीण इलाकों तक युवा सूखे नशे के खतरनाक मकड़जाल में फंसते जा रहे है।

नशा तस्करी और इससे जुड़े हुए मामले आय दिन मीडिया की सुर्ख़ियों में रहते हैं। बीते साल ही हर दिन पुलिस ने औसतन 4 नशा तस्कर धर दबोचे। साल 2022 से मार्च 2023 तक करीब 16 सौ से अधिक नशा तस्करों को पुलिस जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है। इसके बावजूद पुलिस के  नेटवर्क को भी ये नशा तस्कर लगातार चुनौती दे रहे हैं। यही वजह है कि पुलिस भी मानती है कि ज्यादातर वहीं नशा तस्कर पुलिस के जाल में फंस पाते हैं, जो मुखबिर तंत्र की सटीक सूचना से पकड़े जाते हैं। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो लोग पकड़े जा रहे हैं वे इस बड़े और आसान मुनाफे के अवैध कारोबार की तस्करी के नेटवर्क सबसे छोटा सा हिस्सा भर हैं।

अब साल 2022  से मार्च 2023  तक के राज्य भर के आंकड़ों की बात करें तो बीते साल पुलिस ने करीब 22 करोड़ 34 लाख 95 हजार 665 रूपये की कीमत के नशे के सामग्री के साथ 1645 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया। इनके कब्जे से 241 किलोग्राम चरस तो 16 किलो से अधिक स्मैक की बरामदगी हुई। वहीं,2021 में पुलिस ने राज्य भर में 2165 नशा तस्करों को गिरफ्तार कर 26 करोड़ 44 लाख 73 हजार 976 रूपये की कीमत का नशा बरामद किया। 2021 में पुलिस ने विभिन्न जिलों में मुखबीरों की सूचना पर 281 किलो चरस, 18 किलो स्मैक, 221 किलो डोडा अफीम, 1 लाख 18 हजार 363 नशीली गोलियां, 19 हजार से अधिक नशीले कैप्सूल और 10 हजार के करीब नशीले इंजेक्शन बरामद किये।

प्रदेश के राजधानी देहरादून और हरिद्वार जनपद के बाद ऊधम सिंह नगर व नैनीताल जिलों में तस्कर नशे के कारोबार को तेजी से बढ़ रहे हैं।  राज्य के मैदानी जिलों में नशा तस्करी बढाती जा रही है। बीते दो सालों के आंकड़े तो यही तस्दीक करते हैं। 2021 में जहां देहरादून और हरिद्वार में पूरे राज्य में जब्त नशे का आधा हिस्सा बरामद किया गया, वहीं 2022 में नैनीताल और यूएसनगर में पूरे राज्य में सर्वाधिक नशे की सामग्री पुलिस के हाथ लगी। प्रदेश के इन प्रमुख चार जिलों में बड़ी संख्या में शैक्षणिक संसथान हैं।  जहाँ स्कूली किशोर और किशोरियां इसके दुष्प्रभाव में आ रही हैं। वहीं उच्च शिक्षा के व्यवसायिक शिक्षा के बड़े-बड़े शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले युवाओं को नशे की चपेट में फंसाया जा रहा है।

इसके अलावा इन मैदानी जिलों में उद्योगों के प्रमुख केंद्र भी स्थापित हैं जहाँ बड़ी संख्या में युवा रोजगार के लिए पहुँचते हैं।  इन इलाकों मने नशे के पैडलरों की सक्रियता पुलिस के संदिग्ध टारगेट में आंकी गयी है। सघन आबादी वाले इन मैदानी जिलों में राज्य के दूर पहाड़ी इलाकों  से बड़ी आबादी पलायन कर बसती जा रही है। इसके इतर बड़ी संख्या में बेहतर शिक्षा और रोजगार के लिए यहाँ पहुँचते हैं।  वहीं देश के तमाम राज्यों से भी आकर बड़ी आबादी यहाँ निवास करती है।

2021 में पूरे राज्य में जब्त 26 करोड़ रूपये की लागत से अधिक नशे में से सिर्फ देहरादून और हरिद्वार में ही 13 करोड़ रूपये की कीमत से अधिक का नशा जब्त किया गया। जबकि, 2022 में नैनीताल व यूएसनगर में 10 करोड़ रूपये की कीमत से अधिक के नशे की सामग्री जब्त की गई।

यूं तो पहले के मुकाबले पुलिस काफी हद तक चरस और स्मैक तस्करी की नेटवर्क को तोड़ने में सफल रही है। यही वजह है की नशा तस्करी के ज्यादातर मामले पंजीकृत कर आरोपियों को जेल भेजा जा रहा है। बता दें कि मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड को 2025 तक नशा मुक्त प्रदेश बनाने का संकल्प लिया है।  ऐसे में पुलिस नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान तो संचालित कर ही रही है वहीं सभी जिलों के प्रभारी इस दिशा में विशेष ध्यान दे रहे हैं।  आपराधिक समीक्षा बैठकों में जनपद प्रभारियों की तरफ से मातहतों को नशे के खिलाफ अभियान लगातार जारी रखने की ताकीद की जाती रही हैं।  प्रदेश में कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ ही नशे की चैन तोड़ने और युवाओं को इस दलदल से बाहर निकालने के पुलिस थाने-चौकियों और बीट स्तर पर भी प्रयास कर रही है। प्रदेश के तमाम स्कूल कॉलेजों में छात्रों के बीच पुलिस के आला अफसर भी लोगों से अपील करते दिखाई दे रहे हैं। राजधानी में तो अक्सर पुलिस जागरूकता अभियान संचालित करती हुई दिख जाती है।

उत्तराखंड में नशे का काला कारोबार जिस तरह तेजी से अपनी जड़े फैला रहा है। उसमें दूसरे राज्यों के तस्कर देवभूमि को नशे का कारोबार करने के लिए सॉफ्ट स्पॉट मान कर चल रहे हैं। लेकिन  प्रदेश के विभिन्न इलाकों में बढ़ते नशा मुक्ति केंद्रों इस पुलिस और सरकार को बेहद चुकांना कर दिया है। लिहाजा पुलिस इस काले कारोबार को खत्म करने के लिए एक्शन मोड में आ गया है। प्रदेश में नशे का काला कारोबार कर रहे अपराधियों के विरुद्ध उत्तराखंड पुलिस ने स्पेशल टास्क फोर्स को भी यह जिम्मेदारी सौंपी है।

मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि नशे की गिरफ्त में आये युवाओं की काउंसलिंग कराई जाएगी 

प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी साफ कर चुके हैं कि 2025 तक देवभूमि को नशामुक्त किया जाना है। मुख्यमंत्री ने साफ़ किया है कि देवभूमि उत्तराखंड को पूरी तरह नशामुक्त किया जाना है जिसके लिए सभी को जिम्मेदारी और समन्वय से काम करना है। एक ओर जहां ड्रग्स सप्लायर पर कड़ा प्रहार करना है, वहीं दूसरी ओर बच्चों और युवाओं को ड्रग्स की चपेट में आने से भी बचाना है।  इस बेहद अहम् माने जा रहे मुद्दे पर मुख्यमंत्री शासन और पुलिस के शीर्ष अफसरों के साथ बैठक कर चुके हैं। राज्य में नशे की खतरनाक होती प्रवृत्ति पर सीएम ने विशेष निर्देश दिए हैं कि ड्रग्स नेटवर्क को तोड़ने के लिए पुलिस, आबकारी और ड्रग्स कंट्रोलर मिलकर काम करें। बता दें कि नशे के कारोबार पर लगाम लगाने के साथ ही प्रदेश में दो सरकारी नशा मुक्ति केंद्र भी बनने हैं, जिसमें नशे की चपेट में आए युवाओं को बेहतर काउंसलिंग दी जाएगी और उन्हें इस बुरी लत से बाहर निकाला जाएगा।

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