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बृजभूषण शरण सिंह: पहलवानों की ‘पहलवानी’ पर भारी बाहुबली सांसद

– कुश्ती पहलवानों की ओर से महिलाओं के साथ शारीरिक शोषण के आरोपों के बावजूद अब तक बृजभूषण सिंह पर नहीं हो सकी है कोई कार्रवाई
– छह बार के सांसद बृजभूषण शरण सिंह का राजनीतिक करियर 35 साल लंबा, छह बार रह चुके हैं सांसद
PEN POINT, DEHRADUN : इन दिनों कुश्ती पहलवान लंबे समय से कुश्ती संघ के अध्यक्ष व भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह खूब चर्चाओं में है। महिला पहलवानों के शारीरिक शोषण, पोक्सो एक्ट में मामला दर्ज होने के बावजूद अखाड़े से बाहर ‘पहलवानी’ दिखा रहे बृजभूषण शरण सिंह ने संतों के साथ मिलकर बच्चों को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा देने वाले कानून ‘पोक्सो (POCSO Act)’ के खिलाफ ही हल्ला बुलंद कर दिया है। जबकि, सरकार व पुलिस उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करती नहीं दिख रही। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दिल्ली पुलिस ने मामला तो दर्ज किया लेकिन भाजपा के इस बाहुबली सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।। भारत की बड़ी आबादी भी इस मामले में दो हिस्सों में बंट गई है। भाजपा का समर्थन करने वाले जहां बृजभूषण सिंह के पक्ष में खड़े होकर दलील दे रहे हैं कि अगर बृजभूषण सिंह महिला पहलवानों का यौन शोषण कर रहा था तो वह शिकायत करने पहले क्यों नहीं आई तो वहीं प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के पक्ष में खड़े लोग सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं कि देश के लिए पदक जीत कर देश का मान बढ़ाने वाली बेटियों के आरोपों पर सरकार खामोशी ओढ़ अपने सांसद पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद दिल्ली पुलिस की ओर से बीते अप्रैल महीने में बृजभूषण के खिलाफ मामला तो दर्ज कर लिया गया लेकिन पोक्सो और महिलाओं के साथ छेड़छाड़ जैसे गंभीर अपराधों के बावजूद अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया। सवाल उठता है कि आखिर बृजभूषण सिंह इतने ताकतवर है कि केंद्र सरकार देश के लिए ओलंपिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय खेलों में पदक जीतकर देश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ियों के आरोपों पर चुप्पी ओढ़े हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से सांसद बृज भूषण सिंह की गिनती बाहुबली नेताओं में होती है। उन पर हत्या समेत कई अन्य आरोप भी दर्ज है। खुद एक न्यूज चैनल के इंटरव्यू में उन्होंने एक हत्या का आरोप स्वीकार किया भी था जो वीडियो बीते दिनों खूब वायरल भी हुआ था। छात्र जीवन से ही राजनीतिक तौर पर बेहद सक्रिय रहे बृज भूषण शरण सिंह का युवा जीवन अयोध्या क्षेत्र के अखाड़ों में कुश्ती के दांव पेंच में गुजरा। छात्र राजनीति में सक्रिय रहे बृजभूषण सिंह छात्र संघ अध्यक्ष भी रहे और यहीं से उनका राजनीतिक जीवन भी शुरू हुआ। 1985 में इलाहबाद विश्वविद्यालय से एलएलबी करने के बाद 1988 में भाजपा से जुड़े तो 1991 में पार्टी ने लोकसभा का टिकट थमा दिया। पार्टी को निराश न करते हुए बृजभूषण सिंह ने 1991 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए तो उसके बाद 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी यानि लोकसभा के लिए चुने गये। बृज भूषण सिंह 2011 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी हैं। 2019 में वे कुश्ती महासंघ के तीसरी बार अध्यक्ष चुने गए थे।
2004 में भाजपा से चुनाव जीतने के बाद पार्टी के साथ मतभेद हुआ तो पार्टी छोड़ समाजवादी पार्टी के पाले में चले गये। 2009 लोकसभा चुनाव सपा के टिकट पर कैसरगंज से जीता। लेकिन, अगले लोकसभा चुनाव यानि 2014 से पहले सभी गिले शिकवे भूलाकर वापिस भाजपा में लौट आए और 2014 लोकसभा चुनाव भाजपा से जीतकर सांसद बने। बृज भूषण शरण सिंह के बेटे प्रतीक भूषण भी गौंडा से भाजपा विधायक है।
अयोध्या व उसके आस पास जुडे़ क्षेत्रों में बृजभूषण सिंह की मजबूत पकड़ है। राजनीति की शुरूआत के साथ ही भाजपा के जुड़ने के बाद बृज भूषण शरण सिंह ने अपनी छवि एक हिंदुवादी नेता के तौर पर बनाई। अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचे को गिराने वालों में सबसे आगे रहे। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में प्रमुख अभियुक्त होने के बाद उनकी हिंदुवादी छवि मजबूत हो गई उन्होंने एक मजबूत आधार व समर्थक वर्ग पा लिया। हालांकि, छह बार सांसद रहने के बावजूद बृजभूषण सिंह के मंत्री न बनने की पीड़ा समय समय पर छलकती रहती है। एक बार तो उन्होंने कहा भी कि उनके हाथ में मंत्री बनने वाली लकीर नहीं है। बाहुबली होने के साथ ही कई शिक्षण संस्थाओं के मालिक, महंगी गाड़ियों के शौकीन बृजभूषण शरण सिंह के 2019 में लोकसभा चुनाव में दिए हलफनामे के मुताबिक उनके पास बस 9 करोड़ की संपति है जबकि 6 करोड़ रूपए से अधिक देनदारियां उनके द्वारा बताई गई। हालांकि, उन्होंने अपने हलफनामे में बताया था कि उन पर चार आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं लेकिन विपक्षी दलों का दावा है कि उन्हांेने अपने कई आपराधिक मुकदमों की जानकारी चुनाव आयोग को नहीं दी है।
पहलवानों के लंबे आंदोलन, बीते रविवार को अपने मेडल गंगा में बहाने के एलान के बावजूद भी केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस अब तक बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने पर सवाल उठ रहे हैं। वहीं, अंतरराष्ट्रीय कुश्ती संघ ने भी में सरकार के रवैये पर सवाल उठाया है। वहीं, केंद्र सरकार के मंत्री से लेकर मीडिया का बड़ा वर्ग भी बृजभूषण शरण सिंह के पक्ष में खड़ा है।

बिगड़े बोल से रहे सुर्खियों में
बृजभूषण शरण सिंह अपने बिगड़े बोल के लिए भी खूब सुर्खियों में रहे हैं। तो वहीं एक कुश्ती प्रतियोगी को मंच पर थप्पड़ मारने का वीडियो भी उनका खूब वायरल हुआ था। साल 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान बृज भूषण शरण सिंह ने कहा था कि समाजवादी पार्टी को वोट दोगे तो पाकिस्तान ख़ुश होगा। तब उन्होंने कहा था कि यह हमारी ही पार्टी में संभव है कि हम कलाम को राष्ट्रपति बनाते हैं, कलाम बन कर रहो तो राष्ट्रपति बनाएंगे लेकिन कसाब बन कर आओगे तो काटेंगे। अपने गृह क्षेत्र गोंडा में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी को लेकर विवादित बयान देते हुए कहा था कि मैं गारंटी लेता हूं कि औवेसी के पूर्व हिंदू थे और उनके दादा के पिता यानी परदादा का नाम तुलसीराम दास था। राहुल गांधी को लेकर दिया उनका बयान भी खूब वायरल हुआ था। पाकिस्तान विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के भारत संबंधी दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बृजभूषण सिंह ने कहा था कि राहुल गांधी और बिलावल भुट्टो एक ही नस्ल के हैं पता नहीं इधर उधर कैसे हो गए।

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