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बजट : मनरेगा पर चली कैंची, मुश्किल होगा गांवों में रोजगार

मनरेगा के बजट में 25 फीसदी की कटौती, विशेषज्ञों की राय को भी किया दरकिनार

PEN POINT। पिछले डेढ़ दशक से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों लोगों के लिए आजीविका का जरिया बनी महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना पर केंद्र सरकार टेढ़ी नजर रही है। इसकी तस्दीक आज पेश किए गए बजट में भी होती है। जहां कोरोना संकट के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए जाने पर जोर दिए जाने की जरूरत थी वहीं मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में काम की गारंटी देने वाली इस महत्वकांक्षी योजना के बजट में ही 25 फीसदी की कटौती कर दी है।

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अपना नौवां बजट पेश किया। सदन में बजट पेश करते हुए वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत मनरेगा के लिए 73 हजार करोड़ रूपये आवंटित किए जो पिछल वित्तीय वर्ष के 98000 करोड़ रूपये के मुकाबले 25 फीसदी कम है।

कोरोना संकट के चलते पैदा हुए हालातों और शहरी क्षेत्रों से गांवों में रिवर्स पलायन के चलते विशेषज्ञ मनरेगा में बजट बढ़ोत्तरी की उम्मीद कर रहे थे। इसी साल जनवरी महीने में विभिन्न विशेषज्ञों ने ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संकट के चलते पैदा हुए रोजगार संकट पर चिंता जताई। जिसे देखते हुए ग्रामीणों को 100 दिन के न्यूनतम काम के लिए 2 लाख 72 हजार करोड़ रूपये आवंटित किए जाने की मांग की थी। जिससे कोरोना संकट के बाद गांव लौटे श्रमिकों, दैनिक मजदूरों को योजना के तहत सालभर में न्यूनतम 100 दिन का रोजगार दिया जाना सुनिश्चित किया जा सके।

ऐसे में आज पेश हुए बजट पर बड़ी आबादी की उम्मीद टिकी थी। बीते सालों में कोरोना संकट के दौरान मनरेगा योजना ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वरदान साबित हुई थी। काम की मांग को देखते हुए फौरी राहत के तौर पर केंद्र सरकार ने बीते साल 25 हजार करोड़ रूपये का संशोधित बजट मनरेगा के लिए स्वीकृत किया था। यूपीए सरकार ने 2005 में ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिनों के काम की गारंटी वाली इस योजना को कानून की शक्ल देकर ग्रामीण क्षेत्रों की दशा सुधारने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया था। मौजूदा दौर में करीब 15 करोड़ परिवारों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है।

कांग्रेस ने इस योजना के दम पर ही 2009 में सत्ता में वापसी की थी। वहीं 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही मनरेगा भाजपा की आंखों की किरकिरी बनी हुई थी। मनरेगा योजना की नरेंद्र मोदी भी समय समय पर आलोचना कर चुके हैं। हालांकि यह भी दीगर है कि मनरेगा को विश्व बैंक तक दुनिया की सबसे बड़ी जनकल्याणकारी योजना बता चुका है। बुधवार को पेश बजट में नरेंद्र मोदी सरकार ने इस योजना को लेकर अपनी नीति को स्पष्ट कर दिया है।

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