बुरांस : दुनिया फिदा है इस खूबसूरत और गुणकारी फूल पर
औषधीय महत्व के साथ ही कई तरह से उपयोग होता है बुरांस, इसीलिए दुनिया हर हिस्से में इस फूल को खास सम्मान दिया जाता है
PEN POINT, देहरादून : जाती हुई सर्दियों के साथ ही हिमालय की गोद में बुरांस खिलने लगा हैं। इस फूल से पहाड़ के लोगों का खास रिश्ता है। लोकगीतों और किस्से कहानियों से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी में बुरांस एक अहम हिस्सा है। इसके फूल सुंदर होने के साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर है, वहीं पहाड़ में लकड़ी के बर्तन बनाने में बुरांस की लकड़ी बहुतायत में इस्तेमाल होती रही है। लेकिन यहीं नहीं, सदाबार हरी पत्तियों वाले पेड़ के इस खूबसूरत लाल गुलाबी फूल के मुरीद पूरी दुनिया में हैं। जी हां, भारत के हिमालयी राज्यों के साथ ही अमेरिका और यूरोप में भी इस फूल का बड़ा महत्व है। कई यूरोपीय देशों में इसके संरक्षण के साथ ही घरों और पार्कों सजावट के लिए उगाया भी जाता है।
भारत की बात करें तो उत्तराखंड के साथ ही सिक्किम में बुरांस को राज्य वृक्ष का दर्जा हासिल है। वहीं हिमांचल और नागालैंड का राज्य पुष्प बुरांस ही है। जबकि जम्मू और कश्मीर में खींची सरहद के दोनों ओर यानी पीओके और भारत अधिकृत कश्मीर में बुरांस को लेकर कोई भेद नहीं है। इन दोनों जगहों पर भी बुरांस राज्य पुष्प के रूप में घोषित है।
दुनिया के अन्य हिस्सों में देखें तो नेपाल में भी बुरांस को काफी मान दिया जाता है, वहां इसे लाली गुरांस कहा जाता है । इसीलिए वहां इस फूल को राष्ट्रीय पुष्प बनाया गया है। नेपाल में महिलाएं इसे बालों में गजरे की तरह पहलती हैं। तिब्ब्त के बौद्ध धर्मावलंबी बुरांस को पूजा अचर्ना में बुध की प्रतिमा पर चढ़ाते हैं। चीन में भी बुरांस का बड़ा औषधीय महत्व है। जिसे देखते हुए यहां के जियांग्सी प्राविंस में इसके राजकीय पुष्प का दर्जा दिया गया है। अमेरिका के वेस्ट वर्जीनिया और वाशिंगटन प्रांत में वहां पाए जाने वाला बुरांस राज्य पुष्प है।
कनाडा की लेडी सिंथिया बुरांस
कुछ साल पहले कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया का एक छोटा सा कस्बा बुरांस के पेड़ और उस पर लगे फूलों के कारण आकर्षण का केंद्र बन गया था। साल 2017 में कनाडा के बाहर भी यह पेड़ चर्चित हो गया था। इस पेड़ को लेडी सिंथिया नाम दिया गया था और जिस घर के आंगन में यह पेड़ था उसके मालिक इसकी बेहतर देखरेख कर रहे थे। जिससे यह पेड़ 25 फीट लंबा और करीब 200 मीटर का घेरा लिए हुए था। पतझड़ के मौसम के बीतने पर जब इस पर फूल खिलते तो पूरे पेड़ का रंग लाल गुलाबी हो जाता और हरे पत्ते बीच से झांक रहे होते। बताया जाता है कि अब इस पेड़ पर सीजन में करीब 4000 फूल खिलते हैं।
जब अमेरिका की महिलाओं को बुरांस ही भाया
बुरांस को लेकर सबसे रोचक बात 1892 में हुई थी। तब तक वहां महिलाओं को मताधिकार का अधिकार भी नहीं मिला था। लेकिन शिकागो में हुए विश्व मेले में वाशिंगटन स्टेट की महिलाओं को ही अपने राज्य पुष्प को चुनना था। इस चुनाव प्रक्रिया में छह किस्म के फूल रखे गए थे। जिनमें महिलाओं को वोट करना था। अधिकांश महिलाओं ने अपने यहां पाए जाने वाले बुरांस के फूल को तरजीह दी और इस तरह बुरांस वाशिंगटन का राज्य पुष्प हो गया।
औषधीय महत्व
बुरांस को औषधीय महत्व का वृक्ष माना जाता है। उत्तराखंड की बात करें तो यहां इससे बुरांस जूस बनाया जाता है, जो दिल की बीमारियेां के साथ ही लीवर और कैंसर से बचाव करता है। बुरांस जूस अब उत्तराखंड में व्यावसायिक रूप ले चुका है। तिब्बती चिकित्सा पद्धति में कई दवाओं में बुरांस के अर्क का उपयोग किया जाता है। वहीं दुनिया भर में मशहूर चायनीज हर्बल में भी बुरांस के फूल और छाल का उपयोग किया जाता है। परंपरागत चिकित्सा के साथ ही आधुनिक मेडिकल साइंस ने भी बुरांस के औषधीय गुणों को माना है और डॉक्टर भी इसके सेवन की सलाह देते हैं। वहीं बुरांस की कुछ प्रजातियों में टॉक्सीन भी पाया जाता है, चिकित्सा शोधों के जरिए इसको भी दवाओं में प्रयोग किया जा रहा है।