दावा : ये नया तरीका करेगा चुनाव नतीजों की सटीक भविष्यवाणी !
Pen, Point, Dehradun : चुनाव के मौसम में उसके नतीजों को लेकर एक बेचैनी भरा महौल रहता है। लेकिन भारत जैसे देश में चुनावी नतीजों का सटीक अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल काम है। बहुत सी विविधताओं वाले इस देश में ऐसाा होना लाजिमी भी है। आम तौर पर देखा जाता है कि चुनाव नतीजों के पूर्वानुमान में एग्जिट पोल और सोशल मीडिय विश्लेषण भी विफल साबित होते हैं। यहां तक कि लंबे समय तक चुनावों से जुड़े रहने वाले लोगों के लिये भी वोटरों के मन की थाह पाना किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन आईआईएम बेंगलुरू के तीन शोघार्थियों ने हाल ही में इस चुनौती से निपटने का दावा किया है। उन्होंने चुनाव नतीजों के पूर्वानुमान के मौजूदा तौर तरीकों की सीमाओं का ध्यान रखते हुए बायेसियन सांख्यकी का रूख किया। यह पद्धति एक शक्तिशाली उपकरण पर आधारित है जिसमें बेयस प्रमेय पर नए डेटा आने पर संभावनाओं की गणना की जाती है। अपने शोध के तहत उन्होंने एक सांख्यिकीय पैटर्न विकसित किया जो चुनाव नतीजों के आधार पर भविष्यवाणी कर सकेगा। मतदान का दौर पूरा होने के बाद ही इस पैटर्न का उपयोग किया जा सकता है।
शोधार्थियों ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से प्रेरणा लेते हुए एक सांख्यिकी का एक नवीन बहुपद प्रस्तुत किया। जिसमें सभी बैचों में उम्मीदवारों की प्राथमिकताओं में उतार-चढ़ाव वाला मॉडल तैयार किया गया। इसके बाद वोटों की गिनती कर बायेसिन ढांचे के जरिये संभावनाओं का अनुमान लगाने के लिये उम्मीदवारेां की जती का अंतर आदि का विश्लेषण किया गया। इस तरह जैसे जैसे अधिक डेटा उपलबध होता गया उसके आधार पर पूर्वानुमान लगाया गया। हालांकि प्रत्येक चुनाव में नतीजे अलग अलग होते हैं और कुछ मामलों में त्रुटियां भी सामने आई। लेकिन इस तरह निकाले गये पूर्वानुमानों ने विजेता उम्मीदवार की भविष्यवाणी करने में उच्च सटीकता प्रदर्शित की। खास तौर पर बड़े नमूनों और डेटा के साथ यह कार्यप्रणाली बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रही।
साइंस मैगजीन करंट साइंस में प्रकाशित इस रिपोर्ट में आईआईएम बेंगलूरू के सौदीप देब ने बताया है कि यह संचयी अनुपात की भविष्यवाणी करता है, लगभग 35 राउंड के साथ सटीक वोट डेटा का उपयोग किया गया। उनके सहयोगी ऋषिदीप रॉय के मुताबिक बिहार विधानसभा चुनाव का पूर्वानुमान लगाने के लिए यह बिहार विधानसभा चुनाव 2020 मॉडल चुनाव कहा जा सकता है, करीबी मुकाबले वाले चुनाव में, कार्यप्रणाली अधिक मजबूत परिणाम दे सकती है, एग्ज़िट पोल और सोशल मीडिया विश्लेषण से ज़्यादा.हमारा अध्ययन बेहतर सटीकता लिए हुए है।