भीड़ प्रबंधन: क्यों है सरकार और पर्यटन व्यवसायी आमने सामने
-चारधाम यात्रा में उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सरकार के सुझाए फार्मूले पर चारधाम यात्रा से जुड़े व्यवसायी व अन्य हितधारक खफा
PEN POINT, DEHRADUN : अप्रैल महीने के आखिरी दिनों से विश्वप्रसिद्ध चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है। बीते साल गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बदरीनाथ धाम में देश विदेश से 45 लाख से अधिक तीर्थयात्री पहुंचे थे। कोरोना संकट के चलते दो सालों तक बंद चारधाम यात्रा जब 2022 से फिर शुरू हुई तो रेकार्ड संख्या में यात्री पहुंचे। भारी भीड़ की तस्वीरें जब सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी तो सरकार ने रोजाना यात्रियों की संख्या निर्धारित करने के लिए चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण कर स्लाॅट बांटने शुरू कर दिए। भीड़ प्रबंधन को लेकर भले ही इस व्यवस्था से यात्रियों को समस्याओं का
सामना करना पड़ा लेकिन कुछ हद तक सरकार चारधाम में उमड़ रही अनियंत्रित भीड़ के चलते पैदा हो रही मुश्किलों से पार पाने में आशिंक रूप से सफल रही।
बीते साल से सबक लेते हुए इस साल 22 अप्रैल से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के लिए भी सरकार ने बीते साल के तर्ज पर ही चारधाम के लिए हर दिन दर्शन करने वाले यात्रियों की संख्या निर्धारित कर पंजीकरण शुरू कर दिए। अब इस साल चारोंधाम में 47500 यात्रियों को दर्शन करने की रोजाना अनुमति होगी यह पिछले साल से करीब साढ़े आठ हजार ज्यादा है। सरकार के नए नियमों के मुताबिक गंगोत्री में हर रोज नौ हजार तीर्थयात्री, यमुनोत्री धाम में हर रोज साढ़े पांच हजार तीर्थयात्री, केदारनाथ धाम में हर रोज 15 हजार तीर्थ यात्री और बदरीनाथ में हर रोज 18 हजार तीर्थयात्रियों को ही दर्शन करने की अनुमति मिलेगी। जिसके लिए बीते महीने से ही आॅनलाइन पंजीकरण शुरू भी किए जा चुके हैं।
सरकार का दावा है कि इस तरीके से चारधामों में उमड़ने वाली भीड़ का उचित प्रबंधन किया जा सकेगा साथ ही चारधामों के प्रमुख पड़ावों में उपलब्ध सुविधाओं पर भी अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ेगा। तो देश विदेश से चारधाम दर्शन को पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों को भी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
वहीं, भीड़ प्रबंधन के सरकार की इस व्यवस्था के विरोध में चारधाम पुरोहित समाज के साथ ही होटल एसोसिएशन भी उतर आया है। चारधाम पुरोहित समाज सरकार के इस फैसले के बाद से ही इसके विरोध में उतर आया है और चारों धाम मेंयात्रियों की संख्या पर नियंत्रण को हटाने की मांग कर रहा है वहीं होटल एसोसिएशन भी भीड़ प्रबं धन के इस सरकारी फार्मूले को हटाने कीमांग कर रहा है। भीड़ प्रबंधन यानि क्राउड मैनेजमेंट के लिए की जा रही इस व्यवस्था के खिलाफ 21 मार्च को चारधाम पुरोहित समाज के साथ ही होटल व्यवसायी भी विरोध प्रदर्शन करने की तैयारी में है।चारधाम होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय पुरी का कहना है कि चारधाम यात्रा में देश विदेश के हिंदु दर्शन के लिए आना चाहते हैं ऐसे में उन्हें रोकना धर्मसम्मत नहीं है साथ ही यह यात्रा कुल जून मध्य तक ही पीक पर रहती है यानि कि यात्राकाल कुल 30-40 दिनों का है जब खूब यात्री पहुंचते हैं लेकिन इसी दौरान यात्रियों की संख्या को निर्धारित करना होटल व्यवसायियों के साथ ही चारधाम यात्रा से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के लिए जुड़े लाखों लोगांे की आजीविका पर भी चोट है। अजय पुरी कहते हैं कि सरकार को भीड़ प्रबंधन के लिए वेष्णों देवी, अजमेर शरीफ, हाजी दरगार, दक्षिण भारत के मंदिर, शिरडी मंदिर से सीखना चाहिए कि जहां पूरे साल भर हर दिन भारी भीड़ उमड़ने के बावजूद न तो संख्या नियंत्रित है न हीं वहां कोई यात्रियों को मुश्किल होती है। वह कहते हैं कि क्राउड मैनेजमेंट का यह फार्मूला एनजीओ प्रेरित है जिसका बुरा असर चारधाम यात्रा से जुड़े लाखों लोगां पर पड़ रहा है।
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल भीड़ प्रबंधन के इस फैसले को लेकर कहते हैं कि हमें चारधाम के साथ ही राज्य के अन्य पर्यटन स्थलों के क्षमताओं का आंकलन करना होगा। वह कहते है कि भारी भीड़ उमड़ने से निश्चित है कि प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा और यह पर्यटन के लिए लंबे समय तक ठीक नहीं है। हिमालयी संरचना बेहद नाजुक है ऐसे में जरूरी है कि भीड़ प्रबंधन को लेकर ठोस फैसले लिए जाएं जिससे हम यह प्राकृतिक संपदा आने वाली पीढ़ियों के हाथों में सौंप सकें अन्यथा प्राकृतिक संसाधनों पर भारी दबाव के परिणाम हम जोशीमठ जैसे भूधंसाव के रूप में देख ही रहे हैं।
भीड़ प्रबंधन को लेकर सरकार और हितधारकों के टकराव पर अनूप नौटियाल कहते हैं कि सरकार चारधाम यात्रा को लेकर बेहद लापरवाह दिखती रही है जबकि भीड़ प्रबंधन और या अन्य मुद्दे इसे सभी हितधारकों के साथ संवाद स्थापित करने, उन्हें विश्वास में लेकर ही ऐसे फैसले लिए जाने चाहिए और हितधारकों को हितों का भी इसमें ख्याल रखा जाना चाहिए।