गजब : पांच साल में डिजिटल के जरिए कितना दान मिला, नहीं मालूम
– बीकेटीसी व एक डिजिटल प्लेटफार्म PayTM के बीच पांच साल पहले हुआ था डिजिटल दान चंदा लेने का अनुबंध
– पांच साल से खबर नहीं, कितना चंदा दान मिला मंदिर समिति को, अब होगी जांच
PEN POINT, DEHRADUN : बीते दिन केदारनाथ धाम के मुख्य दरवाजे पर डिजिटल पैमेंट का काम करने वाली पेटीएम कंपनी का बड़ा क्यूआर कोड लगा था, दावा किया जा रहा था कि यह श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन दान चंदा देने के लिए लगाया गया है जिससे श्रद्धालु फोन से स्कैन कर मंदिर समिति को दान या चंदा दे सकते हैं। सोशल मीडिया पर तूफान उठा तो बदरी केदार मंदिर समिति ने स्कैनर हटा दिया और बताया कि उन्हें नहीं जानकारी कि यह क्यूआर कोड
किसने लगाया था। समिति की ओर से अज्ञात की ओर से इस संबंध में मामला भी दर्ज किया गया। हालांकि, बार कोड से लिंक बैंक अकाउंट बदरी केदार मंदिर समिति का ही बताया ही जा रहा था। वहीं, अब इस मामले के बाद एक और खुलासा हुआ है कि पेटीएम पिछले पांच सालों से बदरी केदार मंदिर समिति के लिए बार कोड के जरिए दान ले रहा था लेकिन दान चंदे की रकम कहां गई यह अब तक नहीं पता चला है।
बाबा केदारनाथ व बदरीधाम की इस पावन धरा पर सब कुछ भगवान भरोसे ही चल रहा है। इसकी तस्दीक सोमवार को तब हुई जब बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि केदारनाथ के दरवाजे पर पेटीएम का दानपात्र का जो स्कैन के लिए बार कोड लगा था वह कमेटी ने लगाया था और इस मामले में उन्होंने पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया। केदारनाथ मंदिर के प्रमुख द्वार पर ही पेटीएम ने एक बार कोड लगाया था यह बार कोड बदरी मंदिर केदार समिति के खाते से लिंक था। सोशल मीडिया पर विरोध हुआ तो यह बार कोड हटाया गया और मंदिर समिति ने बार कोड लगाने के लिए अज्ञात के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करवा लिया। भारी सुरक्षा, सीसीटीवी, मंदिर समिति के कर्मचारियों, पंडा समाज के लोगों के बीच एक निजी कंपनी का बार कोड मंदिर के बाहर स्थापित किया जाता है और किसी को पता नहीं चलता है कि किसने लगाया लिहाजा अज्ञात के खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज हो जाता है। हालांकि, बात पचने लायक नहीं है लेकिन अब मंदिर समिति ने कहा है कि नहीं मामूल तो शायद किसी शरारती व्यक्ति ने यह कृत्य किया हो। लेकिन, अब इस मामले के बाद नया मामला सामने आया है। पेटीएम और बदरी मंदिर केदार समिति के बीच 2017 में एक अनुबंध हुआ था कि श्रद्धालु पेटीएम बार कोड के जरिए मंदिर समिति को दान चंदा दे सकते हैं। इसके लिए अनुंबध हुआ तो पेटीएम ने भी भुगतान के लिए मंदिर समिति के खाते को जोड़ दिया। क्योंकि, पेटीएम एक डिजिटल पेमेंट एप है लिहाजा बिना किसी खाते के लिंक के वह रकम नहीं ले सकती। पांच साल होने को है इस दौरान पेटीएम के जरिए श्रद्धालु बदरी केदार मंदिर समिति को दान व चंदा देते रहे। लेकिन, अब बताया जा रहा है कि पांच साल में कितना चंदा व दान डिजिटल माध्यम से आया इसका पता नहीं है। यह भुगतान कहां हुआ, किसके खाते में गया, कितना हुआ, कहां खर्च किया गया इसका अता पता नहीं है। स्कैनर के जरिए कितनी धनराशि बदरी केदार मंदिर समिति के खाते में आई यह न तो समिति के प्रबंधन को पता है न प्रशासन को। अब मंदिर समिति कह रही है कि इसकी जांच की जाएगी। करोड़ों हिंदुओं के आस्था के प्रतीक बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति में दान चंदा के नाम पर एक कंपनी डिजिटल बार कोड लगाकर दान चंदा ले रही है और मंदिर समिति इन सबसे अनजान होने का दावा कर रही है।
पुलिस के पास मामला दर्ज होने के बाद अब पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी के जरिए चैक किया जाएगा कि केदारनाथ मंदिर के पास पांच फीट लंबा यह बार कोड किसकी ओर से लगाया गया है।