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तय तिथि तक नहीं सौंपा जा सका यूसीसी (UCC) का ड्राफ्ट

– पखवाड़े भर में ही सौंप सकेगी कमेटी राज्य सरकार को समान नागरिक संहिता का मसौदा, 30 जून तक सौंपने की थी आखिरी तिथि
PEN POINT, DEHRADUN : देश दुनिया में चर्चा का विषय बने उत्तराखंड समान नागरिक संहिता का पहला ड्राफ्ट तय तिथि में राज्य सरकार को नहीं मिल सका। इसके लिए 30 जून की तिथि तय की गई थी जब ड्राफ्टिंग समिति की ओर से इसका मसौदा राज्य सरकार को सौंपना था लेकिन तय समय पर काम पूरा न होने पर अब अब जुलाई महीने के दूसरे हफ्ते के आखिर तक ही समान नागरिक संहिता कानून का पहला ड्राफ्ट सरकार को मिल सकेगा। ड्राफ्टिंग कमेटी की सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) रंजना प्रसाद देसाई ने शुक्रवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत कर बताया कि यूसीसी का मसौदा पूरा हो चुका है और अब पखवाड़े भर में समिति सरकार को रिपोर्ट सौंप देगी। हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व में दावा किया था कि 30 जून को समिति रिपोर्ट का पहला मसौदा सरकार को सौंपेगी लिहाजा आज सुबह से ही देश दुनिया की नजर इस समिति पर थी।
उत्तराखंड राज्य में 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने सरकार बनने पर समान नागरिक संहिता लागू करने का वायदा किया था। सरकार बनते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विशेषज्ञ समिति बनाकर समान नागरिक संहिता बनाने पर काम शुरू कर दिया था। देश में उत्तराखंड पहला राज्य है जो समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारियों में है। विशेषज्ञ समिति को समान नागरिक संहिता का पहला मसौदा 30 जून तक राज्य सरकार को सौंपना था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी बीते दिनों में लगातार दावा कर रहे थे कि जून अंत तक सरकार के हाथों में समान नागरिक संहिता का पहला ड्राफ्ट आ जाएगा। लिहाजा, आज शुक्रवार 30 जून को देश दुनिया की मीडिया की नजर उत्तराखंड पर थी। लेकिन, समान नागरिक संहिता बनाने में जुटी कमेटी ने कुछ तकनीकि समस्याओं के चलते 30 जून को सरकार को मसौदा सौंपने के तिथि में परिर्वतन कर इसे पखवाड़े भर के लिए पीछे खिसका दिया है। मीडिया से बातचीत करते हुए ड्राफ्टिंग कमेटी की सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) रंजना प्रसाद देसाई ने कहा कि यूसीसी का मसौदा पूरा हो चुका है और अब पखवाड़े भर में समिति सरकार को रिपोर्ट सौंप देगी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा अब पूरा हो गया है। ड्राफ्ट के साथ विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जल्द ही मुद्रित की जाएगी और उत्तराखंड सरकार को सौंपी जाएगी। माना जा रहा है कि एक पखवाड़े के भीतर समिति सरकार को रिपोर्ट सौंप देगी।

ढाई लाख लोगों ने दिए सुझाव
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का ड्राफ्ट तैयार करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। विशेषज्ञ समिति ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने में जुटी हुई थी। मई 2022 में समिति का गठन हुआ था। गठन से लेकर अब तक समिति ढाई लाख से अधिक सुझाव ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से प्राप्त कर चुकी है। सभी 13 जिलों में हितधारकों के साथ सीधे संवाद कर चुकी है। नई दिल्ली में प्रवासी उत्तराखंडियों से भी चर्चा हो चुकी है। जिला मुख्यालयों पर भी समिति की ओर से जनगोष्ठी कर लोगों के सुझाव लिए गए। समान नागरिक संहिता की ओर उत्तराखंड के बढ़ते कदम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा व संघ के वरिष्ठ नेता भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पीठ थपथपा चुके हैं।

समान नागरिक संहिता लागू हुई तो यह होगा
शादी की उम्र – यूसीसी में सभी धर्मों की लड़कियों की विवाह योग्य उम्र एक समान करने का प्रस्ताव है। पर्सनल लॉ और कई अनुसूचित जनजातियों में लड़कियों की विवाह की उम्र 18 से कम है। यूसीसी के बाद सभी लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ सकती है।
विवाह पंजीकरण – देश में विवाह को पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं है। यूसीसी में सुझाव है कि सभी धर्मों में विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। इसके बिना सरकारी सुविधा का लाभ नहीं दिया जाएगा।
बहुविवाह रू कई धर्म और समुदाय के पर्सनल लॉ बहुविवाह को मान्यता देते हैं। मुस्लिम समुदाय में तीन विवाह की अनुमति है। यूसीसी के बाद बहु-विवाह पर पूरी तरह से रोक लग सकती है।
लिव इन रिलेशनशिप – इसके लिए घोषणा करने के बाद अभिभावकों को भी बताना होगा। इसके साथ सरकार को ब्योरा देना जरूरी हो सकता है।
हलाला और इद्दत खत्म – मुस्लिम समाज में हलाला और इद्दत की रस्म है। यूसीसी के कानून बनाकर लागू किया तो यह खत्म हो जाएगा।
तलाक – तलाक लेने के लिए पत्नी व पति के आधार अलग-अलग हैं। यूसीसी के बाद तलाक के समान आधार लागू हो सकते हैं।
भरण-पोषण – पति की मौत के बाद मुआवजा राशि मिलने के बाद पत्नी दूसरा विवाह कर लेती है और मृतक के माता-पिता बेसहारा रह जाते हैं। यूसीसी का सुझाव है कि मुआवजा विधवा पत्नी को दिया जाता है, तो बूढ़े सास-ससुर के भरण पोषण की जिम्मेदारी भी उस पर होगी। वह दूसरा विवाह करती है तो मुआवजा मृतक के माता-पिता को दिया जाएगा।
गोद लेने का अधिकार – यूसीसी के कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिल जाएगा।
बच्चों की देखरेख – यूसीसी में सुझाव है कि अनाथ बच्चों की गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान व मजबूत बनाया जाए।
उत्तराधिकार कानून – कई धर्मों में लड़कियों को संपत्ति में बराबर का अधिकार हासिल नहीं है। यूसीसी में सभी को समान अधिकार का सुझाव है।
जनसंख्या नियंत्रण – यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी सुझाव है। इसमें बच्चों की संख्या सीमितकरने, नियम तोड़ऩे पर सरकारी सुविधाओं के लाभ से वंचित करने का सुझाव है।

 

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