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नाटक : मेडिया की विदाई के बाद हुआ खाडू लापता!

PEN POINT, DEHRADUN: रंगमंच विभाग, दून विश्वविद्यालय और कलामंच का नाट्य समारोह देहरादून में थिएटर की गतिविधियों को जीवंत कर गया। पांच दिवसीय समारोह के अंतिम दिन यानी बीती 31 मार्च को ग्रीक पौराणिक कथा पर आधारित मेडिया और गढ़वाली नाटक खाडू लापता का मंचन किया गया। अंतिम  दिन कुलपति प्रो.सुरेखा डंगवाल, कुलसचिव डॉ. मंगल सिंह मन्द्रवाल, प्रो. एचसी पुरोहित, डॉ चेतना पोखरियाल ,  श्री टीके अग्रवाल जी ने दीप प्रज्वलित कर नाट्य समारोह का शुभारंभ किया।

मेडिया नाटक की कहानी महान ग्रीक लेखक और दार्शनिक यूरिपिड्स  ने 431 ईसा पूर्व में प्रदर्शित की थी। यूरिपिड्स के सबसे शक्तिशाली और सबसे प्रसिद्ध नाटकों में से एक मेडिया अन्याय और क्रूर प्रतिशोध का एक उल्लेखनीय अध्ययन है। यूरिपिड्स की पौराणिक कथा के पुन:वर्णन में कोल्चियन राजकुमारी मेडिया ने नायक जेसन से विवाह किया है। वे कुरिन्थुस में कुछ वर्षों तक सुखपूर्वक रहे और उनके दो पुत्र उत्पन्न हुए। जैसे ही नाटक की कार्रवाई शुरू होती है जेसन ने मेडिया को छोड़ने और कोरिंथ के राजा क्रेओन की बेटी से शादी करने का फैसला किया है। चोट की अपनी भावुक भावना और अपने बच्चों के लिए उसके प्यार के बीच एक भयानक संघर्ष के बाद मेडिया ने निर्धारित किया कि वह जेसन को न केवल अपने बेटों की बल्कि कोरिंथियन राजकुमारी की भी हत्या करके सजा देगी जिससे जेसन न तो पत्नी और न ही बच्चे के साथ बूढ़ा हो जाएगा। वह हत्याओं को अंजाम देती है और अपने दादा सूर्य-देव हेलियोस के रथ में भाग जाती है। मीडिया के क्रूर कामों के बावजूद भी यूरिपिड्स उसके प्रति सहानुभूति जगाने में सफल रहे। नाटक का निर्देशन डॉ. अजीत पंवार ने किया।

मेडिया नाटक के चुनाव का उद्देश्य इस नाटक को करने का सबसे पहला उद्देश्य यह था कि यह नाटक एम. ए. रंगमंच के  पाठ्यक्रम में शामिल किया  है। कक्षा अध्ययन के दौरान इस नाटक की चर्चा हुई और विद्यार्थियों के साथ  यह निर्णय लिया गया कि इस नाटक का मंचन किया जाए। सदियों से लोक कथाओं ने हमारी संस्कृति को प्रतिबिंबित किया है। अतीत की परिस्थितियाँ और परिस्थितियाँ कहानी में दिखाई देती हैं और उन्हें नाटक के माध्यम से मंच पर लाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस कहानी की घटनाओं को न तो मैंने और न ही आपने घटित होते देखा है। आज के कलाकार इन सारी चीजों को मंच पर कैसे देखेंगे- यह  निर्देशक  और  छात्रों  लिए भी एक चुनौती भरा काम था। मीडिया नाटक में कुछ प्रयोग किए गए जैसे की नाटक की केंद्र पात्र  मीडिया की  भूमिका दो छात्राएं निभा  रही  थी  और और जो मंच सच्चा है उसको भी रस्सी से पूरा बनाया गया जिससे यह प्रदर्शित होगी कि मीडिया की जाल में अब क्रियोंन  फंसता जा रहा है

मीडिया नाटक के पात्र-

धाय-भावना नेगी, शिक्षक-रिपुल वर्मा, कोरस – शालिनी राणा, आकांक्षा कोहली, विनीता ऋतुंजय, मेडिया-गायत्री टम्टा, गीतांजोलि पोद्दार, क्रेओन-अरुण ठाकुर, सैनिक-रिपुल, चंद्रभान, देव्यांशु, सिद्धांत, लक्ष्य जैन, जैसन-सिद्धार्थ डंगवाल, एगियस-चंद्रभान कुमार, संदेशवाहक- सिद्धांत शर्मा, चुडैल – शालिनी राणा, आकांक्षा कोहली, विनीता ऋतुंजय, रिकॉर्डेड म्यूजिक कंपोज्ड – उज्जवल जैन, लाइट डिजाइन- टी. के. अग्रवाल, लाइव म्यूजिक कंपोज्ड- आशीष कुमार, वर्षा ठाकुर, बैकस्टेज – कपिल पाल, सिद्धार्थ जोशी, साजिद, देव्यांशु, रजनीश बिष्ट, मनीष , सैनी, ब्रोशर डॉ. -अदिति बिष्ट.

इसके बाद ललित मोहन थपलियाल और राकेश भट्ट द्वारा निर्देशित खाडू  लापता नाटक का मंचन किया गया यह नाटक एक हास्य व्यंग नाटक है जिसमें गढ़वाल के किसी एक गांव की कहानी है जिसमें एक व्यक्ति है की  भेड़  खो  जाती  है और वह अपनी  भेढ  की ढूंढ में गांव के विभिन्न लोगों से झगड़ा करता है और इसी झगड़े के दौरान नाटक में कई मोड़ आते हैं जो दर्शकों को गुदगुदाने में  सफल  होते  हैं और अंत में वह खाडू उसी के अपने ही घर में छुपा रहता है और वह इतना उससे परेशान हो जाता है कि अपने  हाथों  स्वयं उसे मार देता है तो यह पूरा नाटक  हास्य व्यंग दृष्टि से लिखा गया है।

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