उत्तरकाशी में महीने भर में दो बार डोली धरती, जमीन के नीचे तनाव बुन रहा विनाश की कहानी
– भूकंप के लिहाज से संवेदनशील उत्तरकाशी में महीने भर में दो बार भूंकप के झटके आ चुके हैं, विशेषज्ञों का दावा जमीन के नीचे खिंचाव से बड़े भूकंप का बन रहा खतरा
PEN POINT, DEHRADUN : उत्तरकाशी जनपद में लोगों की सोमवार सुबह की शुरूआत 8 बजकर 35 मिनट पर एक भूकंप के जोरदार झटके से हुई। सुबह सुबह आए इस भूकंप के इस झटके ने अफरा तफरी का माहौल बना दिया। हालांकि, बेहद कम समय के लिए आए इस भूकंप की तीव्रता रेक्टर स्केल पर 3 रही, जनपद के हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटे मोरी में इस भूकंप का केंद्र बताया जा रहा है। वहीं, बीते 29 अगस्त को भी उत्तरकाशी में भूकंप का झटका आया था। इसका केंद्र जनपद के मध्य स्यालना में बताया गया और भूकंप की तीव्रता रेक्टर स्केल पर 2.8 मापी गई। महीने भर से कम समय में दो झटकों से लोगों में भय का माहौल है। वहीं, विशेषज्ञों का भी दावा है कि भूगर्भ में चट्टानों के बीच तनाव के चलते उत्तराखंड के पर्वतीय हिस्से में बड़े भूकंप आने का खतरा बन रहा है। विशेषज्ञ इसे दो सौ साल का सबसे खतरनाक भूकंप भी बता रहे हैं।
उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशीन क्षेत्रों में शामिल है। संपूर्ण राज्य भूकंप की दृष्टि से जोन 4 व 5 में रखा गया है। उत्तरकाशी और चमोली जनपद भूकंप की दृष्टि से सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल किए गए हैं। अब विशेषज्ञ भी दावा कर रहे हैं कि जमीन के नीचे हो रही हलचल इन इलाकों में भारी तबाही की कहानी बुन रही है। विशेषज्ञों की माने तो भूगर्भ में पत्थरों की जटिल संरचना अवरोध पैदा कर तनाव को दक्षिण दिशा में आगे नहीं बढ़ने दे रही है। इससे यह तनाव चमोली और आसपास के क्षेत्र में निकलने की संभावना बन रही है। लिहाजा, इस पूरे क्षेत्र में बड़े भूकंप का खतरा बन रहा है। भूगर्भ विशेषज्ञों ने बीते दो दशकों में आए भूकंप के 4500 के झटकों का अध्ययन कर दावा किया है कि भूकंप के हल्के झटकों के बाद यहां भूगर्भ में लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। जमीन के नीचे खिंचाव की स्थिति है। यह तनाव गढ़वाल-कुमाऊं क्षेत्र में के मध्य क्षेत्र में देखा जा रहा है। भूकंप के लिहाज से इस बंद क्षेत्र में लॉक जोन में पैदा हुआ तनाव आगे नहीं बढ़ रहा है जिससे भूगर्भ में तत्थरों की जटिल संचरना के बीच तनाव की स्थिति पैदा होने के बाद यह भूकंप की स्थितियां पैदा कर रहा है। रिसर्च जनरल टेक्टोनोफिजिक्स में प्रकाशित भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. कालाचंद्र सेन, डॉ. अनिल तिवारी, डॉ. अजय पॉल और डॉ. राकेश सिंह के शोधपत्र में यह दावा किया गया है। टेक्टोनोफिजिक्स में इसी वर्ष जून महीने में प्रकाशित शोधपत्र में दावा किया गया है कि उत्तर-पश्चिम हिमालय क्षेत्र भूकंप के लिहाज से लॉक जोन है और इस क्षेत्र में पिछले 250 साल में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। शोध पत्र में दावा किया गया है 1905 के कांगड़ा भूकंप और 1934 के बिहार-नेपाल भूकंप के बीच का यह गैप जोन है, जहां 250 साल से कोई बड़ा भूकंप नहीं आया। इससे पहले यहां तीव्र भूकंप दर्ज किया गया था। लेकिन इस गैप एरिया में 12 से 25 किमी गहराई में 1.8 से 5.7 मैग्नीट्यूट के हल्के भूकंप के झटके लगातार दर्ज किए जा रहे हैं। शोध के मुताबिक, उत्तर-पश्चिम हिमालय या उच्च हिमालय क्षेत्र में चमोली और आसपास भूकंप के हल्के झटकों के हाइपोसेंटर यानी तनाव जमीन के अंदर और उसके आसपास जमा हो रहा है। चमोली क्षेत्र में भूगर्भ में स्ट्रेस के कारण सर्वाधिक एनर्जी निकल रही है। इस स्ट्रेस ड्रॉप से लगातार तरंगें निकल रही हैं। साफ्टवेयर की मदद से तरंगों का अध्ययन कर तनाव का आंकलन किया गया है। यह पाया गया कि इस इलाके में तनाव उत्तराखंड में अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा अधिक और तेजी से बढ़ रहा है। यह यहीं उत्पन्न होकर यहीं पर डिसॉल्व हो रहा है। उच्च हिमालय के 12 से 14 किमी. गहराई में इस दबाव का बढ़ना पाया गया है।
शोधपत्र में उत्तराखंड के लिहाज से भूकंप की आशंकाओं को लेकर कई बातों का जिक्र किया गया है।
उत्तरकाशी जनपद में साल 1991 में विनाशकारी भूकंप आया था जिसकी तीव्रता रेक्टर स्केल पर 6.8 मापी गई थी। इस भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी ढासड़ा गांव के समीप था। इस विनाशकारी भूकंप में 2000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इस विनाशकारी भूकंप के बाद उत्तरकाशी जनपद में इन तीन दशकों में 100 अधिक बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं।