गढ़वाल हिमालय के मुकुट पर्वत से नहीं जीत सके थे ऐवरेस्ट को हराने वाले ऐडमंड हिलेरी
Pen Point, Dehradun : ऐवरेस्ट भले ही दुनिया की सबसे उंची चोटी मानी जाती है। लेकिन पर्वतारोहण के लिहाज से उत्तराखंड हिमालय के हिमशिखर बेहद जटिल और चुनौती पेश करने वाले हैं। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है 1951 में हुआ मुकुट पर्वत का अभियान। यह अभियान ऐवरेस्ट पूर्व परीक्षण का था। उस वक्त के प्रख्यात पर्वतारोही एरिक शिम्पटन इसे लीड कर रहे थे। जिसमें न्यूजीलैंड के दो अन्य पर्वतारोहियों के अलावा एडमंड हिलेरी भी शामिल थे। खास बात ये है कि समुद्रतल से 7000 उंचे मुकुट पर्वत शिखर तक पहुंचने में हिलेरी नाकाम रहे थे। जबकि उनके साथ के दो अन्य पर्वतारोहियों ने चोटी को छू लिया था। पर्वतारोहण के जानकारों के मुताबिक इस अभियान में समिट के दौरान कुछ ऐसा हुआ जिसने हिलेरी ने मन में ठान लिया कि अब तो ऐवरेस्ट को जीतना ही है।
मई 1953 में एडमंड हिलेरी ने शेरपा तेनजिंग नोरगे के साथ ऐवरेस्ट को फतह किया था। इससे पहले ब्रिटिश पर्वतारोही ऐवरेस्ट पर चढ़ने की लगातार कोशिशें करते रहे। लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी थी। एरिक शिम्पटन तो बीस सालों से लगातार ऐवरेस्ट की चोटी तक पहुंचने के विभिन्न रास्तों को खंगाल चुके थे। अपने विभिन्न अभियानों के साथ ही 1951 में ही न्यूजीलैंड की ओराकी और माउंट कुक पर सफल चढ़ाई कर एडमंड हिलेरी चर्चा में आ गए थे। लिहाजा शिम्पटन को भी उन पर पूरा भरोसा था और उन्हें आगे के ऐवरेस्ट अभियान के दल में शामिल कर लिया। इसी सिलसिले में गढ़वाल हिमालय के मुकुट पर्वत पर चढ़ने का फैसला किया गया। बता दें कि मुकुट पर्वत भारत में इस वक्त तक पाए गए सबसे उंचे हिमशिखरों में से एक था। पर्वतारोहण के लिहाज से भी यह पर्वत बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है। वेबसाइट स्टफ में प्रकाशित एक लेख में लेखिका लिन मैकिनॉन की किताब ओनली टू फॉर ऐवरेस्ट के हवाले से इस अभियान के बारे में बताया गया है। जिसके मुताबिक घंटों की चढ़ाई के बाद, पांचों आराम करने के लिए एक साथ रुके। जब चढ़ाई फिर से शुरू हुई, तो कॉटर, पासांग और रिडीफ़ोर्ड ने बढ़त ले ली। हिलेरी और लोवे का मानना था कि तीनों जल्द ही वापस आ जाएंगे। हिमालय पर्वत पर इतनी ऊंचाई और संकरी रिज पर अन्य पर्वतारोहियों का गुजरना खतरनाक था। इसलिए इस दोनों ने चढ़ना बंद कर दिया और देखने लगे। ठंड ने अंततः उन्हें अपने तंबू में वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया।
उधर, तीनों चलते रहे और शाम करीब 5.45 बजे चोटी पर पहुंच गए। वे रात 9 बजे से ठीक पहले शिविर में वापस आ गए। लोव और हिलेरी के चढ़ाई रोकने के बारे में मैकिनॉन लिखती हैं, यह एक भयानक गलत अनुमान था। उन्होंने निष्कर्ष निकाला, कि आगे बढ़ सकते थे।
इस तरह एडमंड हिलेरी को इस ऐवरेस्ट पूर्व परीक्षण अभियान में पीछे रह जाने पर काफी मायूसी हुई। बाद में ऐवरेस्ट अभियान में रिडिफोर्ड और कॉटर को भी शामिल किया गया। बताया जाता है कि हिलेरी की ऐवरेस्ट जीत वाले इस अभियान में इन दोनों पर्वतारोहियों की खास भूमिका रही थी।
कहां है मुकुट पर्वत
मुकुट पर्वत उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत चीन सीमा के पास मौजूद है। यह भारत का बीसवां और दुनिया का 96वां सबसे उंचा हिमशिखर है। जिसकी उंचाई समुद्रतल से 7130 मीटर है। इसके आस पास कामेत, अबि गामिन और नंदादेवी पर्वत शिखर भी हैं। यह कामेत जांस्कर रेंज में आता है। भारतीय सीमा में यह पर्वत शिखर अब पर्वतारोहण के लिये काफी पसंद किया जाने लगा है।