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एक बार फिर क्यों चर्चा में हैं बीकेटीसी वाले बीडी सिंह !

रिलायंस की नौकरी छोड़ बीकेटीसी में मिली नियुक्ति, मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में अवैतनिक सेवा देंगे

PEN POINT, DEHRADUN : भारतीय वन सेवा के अधिकारी और लंबे समय तक बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी रहे बीडी सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार गुद्दा मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में उनकी हालिया नियुक्ति का है। उनकी इस पद पर नियुक्ति को लेकर सामने आ रही सुर्खियों के कई राजनीतिक मायने भी तलाशे जा रहे हैं। जिस बीकेटीसी में तमाम आरोप लगने के बाद बीडी सिंह ने सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ले ली थी, उसी में उनकी बैकडोर एंट्री करागई गई है।

भले ही मुख्य धारा के मीडिया में बीडी सिंह इस नियुक्ति को लेकर ज्यादा चर्चा नहीं हुई, लेकिन सोशल मीडिया पर यह खबर दो दिन से लगातार ट्रेड कर रही है। गौरतलब है कि कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की, बीडी सिंह एक दशक से ज्यादा समय तक बद्री केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी की कुर्सी पर जमे रहे। हालांकि नियमानुसार किसी भी अधिकारी के लिए दूसरे विभाग में प्रतिनियुक्ति का कार्याकाल अधिकतम तीन वर्ष का रहता है। लंबे समय तक एक ही पद पर रहने के कारण उन पर मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे। मंदिर समिति के सदस्यों और उनमें विवाद लगातार बने रहे। नियुक्तियों से लेकर कार्मिकों के विनियमितीकरण और पदोन्नति को लेकर वह सदस्यों के निशाने पर रहे।
बीते साल मंदिर समिति के अध्यक्ष पद पर अजेंद्र अजय की नियुक्ति के बाद बीडी सिंह की जगह योगेंद्र सिंह की मुख्य कार्याधिकारी पद पर नियुक्ति हुई। जिसका मंदिर समिति की ओर स्वागत किया गया।
इसके बाद बीडी सिंह ने वीआरएस ले लिया और रिलायंस समूह में सेवाएं देनी शुरू कर दी। त्रिवेंद्र सिंह रावत जब मुख्यमंत्री थे तब देवस्थानम बोर्ड के प्रारूप में अंबानी के बेटे को कार्यकारी सदस्य बनवाने में भी उनकी भूमिका बताई गई। सोशल मीडिया में चर्चा है कि वीआएस के बाद नौकरी पाने के बाद अब नई नियुक्ति में भी अंबानी कनेक्शन ही काम आया है। मंदिर समिति से जुडृ कई लोग इसे नियुक्ति को नियमविरूद्ध मान रहे हैं। समिति के अधिनियम 1939 का हवाला देकर कहा जा रहा है कि इसमें इस तरह की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है।

फिलहाल, चारधाम पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धाम के सलाहकार के रूप में बीडी सिंह की भूमिका खास रहने वाली है। दरअसल उन्हें चारधाम यात्रा व्यवस्था पर सलाह मशविरे के लिए ही नियुक्त किया गया है। ऐसे में मंदिर समिति समेत मौजूदा अध्यक्ष और मुख्य कार्यधिकारी का असहज होना लाजिमी है। जिससे बीडी सिंह के आगे भी चचाओं में रहने के आसार हैं। फिलहाल देखना होगा कि सुर्खियों का ये सिलसिला कहां जाकर थमेगा।

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