फैसला : सरकारी जमीन कब्जाने पर मिलेगी 10 साल तक की जेल
– शुक्रवार को धामी सरकार ने कैबिनेट बैठक में दी मंजूरी, विधानसभा सत्र में पटल पर रखा जाएगा अध्यादेश, जमीन कब्जाने वालों को सजा देने के लिए खुलेंगी स्पेशल कोर्ट
– अतिक्रमणकर्ता को ऐसी संपत्तियों के बाजार मूल्य के बराबर जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा। नए कानून में पुराने कब्जों को भी शामिल करते हुए कार्रवाई की जा सकेगी
PEN POINT, DEHRADUN : राज्य में अब सरकारी या निजी भूमि कब्जाने पर 10 साल तक जेल में गुजारने पड़ सकते हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार की ओर से बीते लंबे समय से राज्य में सरकारी भूमि को अतिक्रमणमुक्त करने के अभियान को मजबूती देने के लिए उत्तराखंड भूमि अतिक्रमण निषेध अध्यादेश में संसोधन कर कड़े प्रावधान किए गए हैं, इस अध्यादेश को विधानसभा सत्र में विधानसभा पटल पर रखा जाएगा जिसके बाद यह कानून की शक्ल अख्तियार कर जमीनों पर अवैध कब्जा करने वालों को सलाखों के पीछे भिजवाने के लिए सख्त कानून के रूप में सामने होगा। इस कानून के तहत पुराने मामले भी शामिल किए जाएंगे यानि जिन्होंने पहले भी सरकारी या निजी जमीनें कब्जाई है उन पर भी इस कानून के तहत कार्रवाई होगी
राज्य में सरकारी भूमि का बड़ा हिस्सा अवैध तरीके से कब्जाया हुआ है। अलग अलग समय पर विभिन्न रिपोर्टों के जरिए इसकी तस्दीक भी हुई है। वहीं, सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे को लेकर प्रशासन व सरकार पर भी मिली भगत का आरोप लगता रहा है। 2022 में भाजपा ने उत्तराखंड में बहुमत के साथ दोबारा सत्ता पाने में सफलता पाई तो उसके बाद दूसरी बार मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी ने सरकारी भूमि को अवैध कब्जा मुक्त करने का भी एलान किया था। इस क्रम के शुरूआती दौर में वन भूमि व सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर बनाए गए मजार, मस्जिद, मंदिर समेत धार्मिक निर्माण स्थलों को हटाने का अभियान शुरू किया गया। इस अभियान के तहत इस साल जून महीने के आखिर तक ही 3000 हेक्टेयर वन भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कर 400 से अधिक अवैध मजारे और 40 मंदिर हटाए गए।
इसके बाद अब राजस्व की भूमि पर हुए कब्जे को हटाने के लिए धामी सरकार ने कमर कस ली है। बीते शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में राज्य में सरकारी जमीन पर कब्जा जमाए लोगों पर कड़ी कार्रवाई के लिए उत्तराखंड भूमि अतिक्रमण निषेध अध्यादेश में संसोधन किए गए। इस नए कानून के बाद अब प्रदेश में भूमाफिया पर शिकंजा कसेगा और आमआदमी को राहत मिलेगी। कैबिनेट में पास होने के बाद अब सरकार इसको लेकर अध्यादेश ला सकती है। बाद में इसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा, पास होने के बाद प्रदेश का नया कानून बन जाएगा। उत्तराखंड, भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश में पहली बार निजी भूमि को भी शामिल किया गया है।
इस नए कानून के तहत शिकायतकर्ता सीधे जिलाधिरी से सरकारी या निजी जमीन पर कब्जे के मामलों की शिकायत कर सकेगा। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में राज्य सरकार की ओर से अधिसूचित समिति प्रकरण की विवेचना पुलिस के निरीक्षक रैंक या उससे ऊपर के अधिकारी से कराएगी। कानून में पीड़ित व्यक्ति को राहत देते हुए भूमि अतिक्रमणकर्ता या आरोपी पर ही मालिकाना हक साबित करने का भार डाला गया है।
आरोप सही साबित होने पर न्यूनतम सात वर्ष या अधिकतम 10 वर्ष तक कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही अतिक्रमणकर्ता को ऐसी संपत्तियों के बाजार मूल्य के बराबर जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा। नए कानून में पुराने कब्जों को भी शामिल करते हुए कार्रवाई की जा सकेगी।
स्पेशल कोर्ट में होगी सुनवाई
उत्तराखंड, भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश के तहत प्रदेश में भूमि अतिक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए राज्य सरकार स्पेशल कोर्ट का गठन करेगी। जिससे मामलों की सुनवाई तेजी से हो सके और मामलों के निपटान के लिए भी लंबा समय न लगे। इस प्रस्तावित कानून के तहत जिलाधिकारी या जिलाधिकारी की ओर से अधिकृत किसी अधिकारी की संस्तुति पर भूमि अतिक्रमण या हथियाने के प्रत्येक मामले का संज्ञान लेकर सुनवाई की जाएगी। इसके बाद न्यायाधीश की ओर से आदेश पारित किया जाएगा। हालांकि, विशेष न्यायालय के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकेगी।