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आखिर क्यों खास है ब्रिटिश म्यूजियम ?

PEN POINT:  दुनियाभर के मानव इतिहास, कला और संस्कृति को संजोकर रखने के लिए समर्पित ब्रिटिश संग्रहालय विश्व का सबसे बड़ा सार्वजनिक संग्रहालयों में सुमार था। इस संग्रहालय में विश्वभर से स्थायी तौर पर संग्रह की गयी करीब 80 लाख से ज्यादा खोजें और उनसे जुड़ी हुई चीजें यहाँ मौजूद हैं। यह माना जाता है कि  इस म्युजियम में मानव संस्कृति की अब तक खोजी गयी और मान्य शुरुआत से लेकर मौजूदा वक्त तक की कहानी के दस्तावेज इकट्ठा कर संरक्षित किए गए हैं। ब्रिटिश संग्रहालय ज्ञान के सभी क्षेत्रों को कवर करने वाला पहला सार्वजनिक राष्ट्रीय संग्रहालय माना जाता है।

इस संग्रहालय में विश्वभर से बीते साल 4,097,253 पर्यटक आए, जो 2021 से कई गुना ज्यादा था। यह दुनिया में सबसे अधिक देखे जाने वाले कला संग्रहालयों की सूची में तीसरे स्थान पर है। इस संग्रहालय की स्थापना 1753 में में की गयी, जो खासकर एंग्लो-आयरिश चिकित्सक और वैज्ञानिक सर हंस स्लोएन की खोजों और संग्रह पर आधारित था। साल 1759 में मोंटेगु हाउस में इसे पहली बार आम जनता के लिए मौजूदा इमारत की जगह पर खोला गया। इसकी स्थापना के करीब 250 सालों में इस संग्रहालय का विस्तार काफी हद तक ब्रिटिश उपनिवेशीकरण पर निर्भर रहा और इसके चलते ही दमिया के तमाम क्षेत्रों में इसकी कई ब्रांच और संस्थाएं या स्वतंत्र स्पिन-ऑफ का निर्माण किया गया, इसके विस्तार में इसकी पहली संस्थानिक शाखा 1881 में प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के रूप में हुई।

इस संग्रहालय की कई अलग अलग शाखाएं अस्तित्व में आई जिनमें 1973 में, ब्रिटिश पुस्तकालय अधिनियम 1972 के तहत पुस्तकालय लाइब्रेरी डिपार्टमेंट को ब्रिटिश संग्रहालय से अलग कर दिया गया।  लेकिन 1997 तक यह संग्रहालय के रूप में उसी वाचनालय और भवन में संचालित होती रही। जबकि अब इसके लिए ब्रिटिश पुस्तकालय के रूप में स्थपना की जा चुकी है।

इसकी खासियत ये है कि इस संग्रहालय को समय और तकनीक के साथ भी ढाला जा रहा है। जिसके लिए  एक विशेष डिजिटल, संस्कृति, मीडिया और खेल डपार्टमेन्ट इसे संचालित करता है और प्रायोजक सार्वजनिक निकाय के रूप में करता है। इसकी खासियत है कि यूनाइटेड किंगडम के सभी राष्ट्रीय संग्रहालयों की तरह यह ऋण प्रदर्शनियों के अलावा कोई एंट्री फीस नहीं लेता है।

ब्रिटिश संग्रहालय मुख्य रूप से सांस्कृतिक कला वस्तुओं और पुरातन  अवशेषों का एक विशाल संग्रहालय है, ब्रिटिश संग्रहालय की स्थापना एक “सार्वभौमिक संग्रहालय” के रूप में की गई थी, जो आज भी कई मामलों में अपने काम में निरंतर लगा हुआ है।  इसकी की नींव एंग्लो-आयरिश चिकित्सक और प्रकृतिवादी सर हंस स्लोएन की वसीयत में निहित है, जो लंदन स्थित डॉक्टर और अल्स्टर के प्रसिद्द वैज्ञानिक थे। इन्होने एक अमीर जमैका के बागान मालिक की विधवा से शादी करने के बाद, अपनी जिज्ञासाओं का एक बड़ा संग्रह इकट्ठा करना शुरू कर दिया।  इनकी ख्वाहिश थी कि इनकी मौत के बाद भी इनका संग्रह टूटना नहीं चाहिए, इसलिए उन्होंने इसे किंग जॉर्ज द्वितीय को दे दिया।

अध्ययन करने पर पता चलता है कि उस वक्त, स्लोअन के खोजी संग्रह में हर तरह की करीब 71,000 वस्तुएँ शामिल थीं। जिनमें लगभग 40,000 मुद्रित पुस्तकें, 7,000 पांडुलिपियाँ, व्यापक प्राकृतिक इतिहास के नमूने, जिनमें 337 सूखे पौधे, प्रिंट और चित्र शामिल थे, जिनमें अल्ब्रेक्ट ड्यूरर और सूडान की पुरावशेष शामिल थे । मिस्र , ग्रीस , रोम , प्राचीन निकट और सुदूर पूर्व और अमेरिका की बहुत सी वस्तुएं संग्रह की गयी थी।

आज दुनियाभर से लोग इस संग्रहालय को देखने के लिए यहाँ पहुंचते हैं और अपने इतिहास को जानकार देखकर खुद को अविभूत महसूस करते हैं।  अगर इस महान सख्शियत ने ये न किया होता तो आज मानव संस्कृति और इतिहास की कई अहम् जानकारियों से लोग वंचित रह जाते।

FEATURE IMAGE : INTERNET

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