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पाकिस्तान में सब कुछ छूटा लेकिन परंपराओं को जिंदा रखा बन्नू बिरादरी ने

Pen Point, Dehradun : जब देश का बंटवारा हुआ तो भारत से मुसलमानों का और पाकिस्तान से हिंदुओं का बड़ी तादाद में पलायन हुआ। इस भीषण मानवीय त्रासदी को झेलने वाली देहरादून की बन्नू बिरादी भी है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनखवा इलाके में बन्नू एक जिला है। जहां कभी शांतिप्रय हिंदकियां और वजीरी लोग खेती, पशुपालन और कारोबार से अपनी गुजर बसर करते थे। हालांकि इस इलाके में बनीज़ी, भिटानी और नियाज़ी जैसे लड़ाकू कबीले भी थे। लेकिन अमन पसंद हिंदकिया और वजीरी लोग इस इलाके में अपना खास असर रखते थे।

देश की आजादी के साथ हुए बंटवारे के फैसले ने उनका अमनो चैन छीन लिया। भारत और पाकिस्तान के बाद अलगाव की दीवार खड़ी होते ही दोनों और हिंसा का दौर शुरू हो गया। पाकिस्तान के अन्य हिस्सों समेत बन्नू से भी हिंदुओं के काफिले हिंदुस्तान की ओर बढ़ने लगे। इनमें से कई काफिले नए देश में नई जिंदगी के सपने के साथ रास्ते में हुए हमलों में जान गंवा बैठे। जबकि कई लोगों की लाशें ही हिंदुस्तान पहुंच सकी। इसी त्रासदी के बीच कई लोग दिल्ली के बाहर फरीदाबाद तक पहुंचे। इस बड़े विस्थापन के लिये सरकार ने व्यवस्था बनाई। जिसके तहत बन्नू से आए लोगों को देहरादून के प्रेमनगर में बसाया गया। यहां उनके सामने दोबारा से अपने भविष्य को संवारने की चुनौती थी। जिसे उन्होंने बखूबी अंजाम भी दिया और बन्नू बिरादरी के तौर पर अपनी अलग पहचान कायम की।

इस बिरादरी के लोग भले ही पाकिस्तान में अपना सब कुछ छोड़ आए थे, लेकिन परंपराओं को उनहोंने नहीं छोड़ा। आज भी देहरादून में बन्नू बिरादरी धार्मिक सांस्कृतिक आयोजनों में सबसे आगे नजर आती है। रेसकोर्स स्थित बन्नू इंटर कॉलेज भी इस समाज की जागरूकता की देन है। खास तौर पर विजयदशमी के दिन रावण परिवार का पुतला दहन की शुरूआत देहरादून बन्नू बिरादरी ने ही की थी।

बिरादरी के सदस्य अशोक वर्मा के मुताबिक स्वर्गीय सेठ लक्ष्मण दास विरमानी बन्नू बिरादरी दशहरा कमेटी के संस्थापक थे। 1947 में पाकिस्तान से आकर यहां बसने के बाद उनकी अगुआई में लोगों ने दशहरे का आयोजन हर्षोल्लास के साथ जारी रखा। लंबे समय तक उनकी अध्यक्षता और देखरेख में दशहरा मानाया जाता रहा। अब पुत्र हरीश विरमानी बतौर बन्नू बिरादरी के अध्यक्ष और दशहरा कमेटी के मुख्य संरक्षक इस परंपरा को निभा रहे हैं।

कमेटी के अध्यक्ष संतोख सिंह नागपाल ने बताया कि इस बार भारतवर्ष का सबसे ऊंचा 131 फुट का रावण का पुतला बनाया गया है जो देखने लायक है। इसके अलावा रावण के साथ ही कुंभकरण, मेघनाथ व लंका दहन अपने आप में एक आकर्षण का केंद्र होगा। उन्होंने बताया कि इस बार कार्यक्रम में मुख्य अतिथि माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी होंगे।

ऐतिहासिक रहा है बन्नू जिला
बन्नू को प्राचीन काल में वरनु कहा जाता था। चौथी सदी ईसा पूर्व ऋषि पाणिनी ने बन्नू का उल्लेख किया थ। सातवीं सदी ईसवी में चीनी यात्री ह्वेन सांग ने भी बन्नू का भ्रमण किया। पारसी धर्मग्रंथ अवेस्ता में भी से वरन कहा गया है और इसे ईश्वर के बनाए सर्वश्रेष्ठ 16 स्थानों में से एक बताया है। हालांकि वक्त बदलने के साथ यहां अफगानी और पश्तून कबीले फैलते चले गए। कबीलों के खूनी संघर्ष और हथियारों के साये में बन्नू की प्राचीन धरोहरें नष्ट होती चली गई। अब यह पूरा इलाका दहशत का ही पर्याय बना हुआ है।

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