आज की तारीख : लोकतंत्र के मंदिर में पहली बार बैठे थे निर्वाचित सांसद
– 13 मई 1952 को लोकसभा और राज्यसभा का पहला सत्र बुलाया गया था, पहली बार आजाद भारत में जनता द्वारा निर्वाचित सांसदों ने ली संविधान की शपथ
PEN POINT, DEHRADUN : देश के आजाद होने के पांच साल बाद और संविधान लागू होने के करीब दो साल बाद आज के ही दिन पहली बार भारतीय संसद का पहला सत्र बुलाया गया। पहली बार जनता द्वारा निर्वाचित सांसद विशालकाय संसद भवन में पहुंचकर संविधान की शपथ लेकर इस महान लोकतंत्र की यात्रा में महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाया था।
आजादी के पांच साल बाद 25 अक्टूबर से पहला आम चुनाव शुरू हुआ था जो 21 फरवरी 1952 तक चला। इससे पहले 15 अगस्त 1947 को देश को मिली आजादी के बाद भारत में एक अंतरिम सरकार ने आजाद भारत की कमान अपने हाथ में ली थी। यह सरकार संविधान सभा में बनी थी। 26 जनवरी 1950 को जब भारत ने अपना संविधान अंगीकृत किया तो संविधान के मुताबिक आम चुनाव होने थे जिसके लिए 1951 में अक्टूबर महीने से आम चुनाव के लिए मतदान शुरू हुए जो 21 फरवरी 1952 तक चले। सदियों से मुगलों, अंग्रेजों के सरपरस्ती में रहा वतन जब आजाद हुआ था तो बुरी तरह से गरीबी की मार झेल रहा था, संसाधनों का भारी अभाव था, रही सही कसर विभाजन ने पूरी कर दी थी। ऐसे में इतने विशालकाय भूभाग में लोकतंत्र की पहली परीक्षा करवाना आसान नहीं था। देश के करीब 36 करोड़ की आबादी में से 17 करोड़ मतदाताओं ने अक्टूबर से लेकर फरवरी तक आयोजित आम चुनावों अपने मत का प्रयोग किया।
देश के पहले आम चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनसंघ, रिपब्लिकन पार्टी, समाजवादी पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने हिस्सा लिया था। संसद की 489 लोकसभा सीटों पर हुए मतदान में 364 पर कांग्रेस ने जीत हासिल कर बहुमत पाया। भारतीय जनसंघ जो आज की भाजपा है को 3 सीटों, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को 16 सीटों, फारवर्ड ब्लॉक (एमजी) को 1 सीट, अखिल भारतीय हिंदू महासभा को 4 सीटों, कृषिकर लोक पार्टी को 1 सीट, किसान मजदूर प्रजा पार्टी को 9 सीटों, राम राज्य परिषद को 3 सीटों, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी को 3 सीटों, शेड्यूल कास्ट फेडरेशन को 2 सीटों, सोशलिस्ट पार्टी को 12 सीटों और अन्य को 34 सीटों जीत मिली थी। इसके बाद 1952 में 3 अप्रैल को राज्यसभा और 17 अप्रैल को लोकसभा का गठन हुआ था।
लोकसभा और राज्यसभा का पहला सत्र 13 मई को बुलाया गया था। दोनों सदनों की कार्यवाही सुबह 10ः45 बजे शुरू हुई। सांसदों को शपथ दिलाने की शुरुआत करने से पहले स्पीकर गणेश मावलंकर ने कहा कि जहां तक संभव होगा मैं सभी सदस्यों का नाम सही ढंग से लूंगा, फिर भी कोई गलती हो जाए तो मुझे उसके लिए क्षमा करें। पहले दिन शपथ लेने वालों में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल भी थे। पहले दिन सभी सांसद शपथ नहीं ले पाए थे। देश के पहले लोकसभा स्पीकर गणेश वासुदेव मावलंकर के नेतृत्व में पूरी संसदीय कार्यवाही की गई।
खूब पढ़ी लिखी थी पहली लोकसभा
पहली संसद में बड़ी संख्या में सांसद स्नातक थे। करीब 75 सांसद कानून में स्नातक या स्नातकोत्तर थे। करीब 35 सांसद कला या विज्ञान में स्नातक थे। विदेश से स्नातक डिग्री हासिल करने वाले सांसदों की संख्या 15 से ज्यादा थी। पहली लोकसभा में चुनकर आए संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से डिग्री पाई थी तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कैंब्रिज में ट्रिनिटी कॉलेज के हैरो स्कूल से डिग्री पाई थी। इसी लोकसभा में चुनकर आए मेजर जनरल हिम्मत सिंहजी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के माल्वेन कॉलेज से, सरदार वल्लभभाई पटेल ने इंग्लैंड के मिडिल टेंपल से, हृदयनाथ कुंजरू ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और एचजी मुदगल ने न्यूयॉर्क कॉलेज से लॉ में डिग्री हासिल की थी।