Search for:
  • Home/
  • उत्तराखंड/
  • …तो आरएसएस के कहने पर उत्तराखंड आए शौर्य डोभाल!

…तो आरएसएस के कहने पर उत्तराखंड आए शौर्य डोभाल!

PEN POINT, DEHRADUN : राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता, और अगर बात उत्तराखंड की हो तो यह जुमला सौ फीसदी सटीक बैठता है। 2019 लोकसभा चुनाव से करीब एक साल पहले देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बेटे शौर्य डोभाल का नाम राज्य के सियासी गलियारों में बड़ी चर्चा में रहा। माना जा रहा था कि वे पौड़ी सीट से लोकसभा जाने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी लॉंिचंग भी बाकायदा इसी अंदाज में हुई और उनकी सक्रियता भी पूरी तरह चुनावी तैयारी के रंग में रंगी थी। बेमिसाल गढ़वाल नाम से उन्होंने एक मुहिम भी शुरू की। कई जगहों पर उनके बैनर पोस्टर भी नजर आ रहे थे। लेकिन जब टिकट फाइनल हुए तो पौड़ी लोकसभा सीट पर तीरथ सिंह रावत को टिकट दिया गया। रावत जीतकर लोकसभा पहुंच गए।
दूसरी ओर शौर्य डोभाल को टिकट ना मिलने के पीछे कयासबाजियां भी शुरू हो गई। तर्क गढ़े जाने लगे। जिसमें प्रमुख तर्क था कि पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता भुवनचंद्र खंडूड़ी ने शौर्य डोभाल के चुनाव लड़ने पर ऐतराज जताया था।
लेकिन शौर्य डोभाल इन बातों का नकारते हैं। हाल ही में एक डिजिटल न्यूज चैनल से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि मुझे आरएसएस के थिंक टैंक ने जिम्मेदारी दी थी। जिसके मुताबिक मुझे उत्तराखंड में जाना था और वहां विभिन्न तरह से अपनी सक्रिय रहना था। उन्होंने बताया कि वो आज भी उत्तराखंड भाजपा के सदस्य हैं और सरकार में गुड गवर्नेंस सेल के प्रमुख हैं। इस बात को विस्तार देते हुए शौर्य डोभाल कहते हैं कि आरएसएस और भाजपा के इकोसिस्टम में जो कुछ तय किया जाता है, उसके अनुसार ही सबको काम करना होता है।
इसी बातचीत में वे बताते हैं कि उनकी सक्रियता चुनाव लड़ने के लिए कभी नहीं रही, और टिकट ना मिलने को लेकर की जा रही सारी बातें कोई मायने नहीं रखती।
आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में दावेदारी को लेकर वे कहते हैं कि मैं इस खेल में शामिल रहने वालों में से नहीं हूं। पार्टी संगठन मुझे जो भी जिम्मेदारी देगा उसके अनुरूप ही मैं अपना योगदान दूंगा।
शौर्य डोभाल की ये बातचीत ऐसे समय में प्रसारित हुई है जब आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भाजपा उत्तराखंड में कुछ नए चेहरों पर भरोसा जताएगी। जिसमें शौर्य डोभाल भी शामिल हो सकते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के बाद वे वापस लौट गए थे, वहीं इस बार भी अभी तक उनकी उत्तराखंड में पहले जैसी सक्रियता नहीं देखी जा रही है।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required