चारधाम यात्रा के इतिहास में पहली बार बद्रीनाथ से ज्यादा यात्री केदारनाथ पहुंचे
Pen Point, Dehradun: उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में इस बार रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। अब तक पचास लाख से ज्यादा यात्री चार धाम के दर्शन कर चुके हैं। लेकिन इस बार बेहद खास बात ये है कि चारों धामों में सबसे ज्यादा दुर्गम केदारनाथ धाम पर्यटकों की तादाद में सबसे आगे निकलने को तैयार है। इससे पहले बद्रीनाथ धाम में ही सबसे ज्यादा यात्री पहुंचने का रिकॉर्ड रहा है। लेकिन चारधाम यात्रा के इतिहास में पहली बार केदारनाथ को लेकर लोगों ने बद्रीनाथ से ज्यादा उत्साह दिखाया। यात्रियों की तादाद के मौजूदा आंकड़ों को देखें तो कपाट बंद होने तक यह स्थिति बनी रहने की पूरी संभावना है।
वेबसाइट फर्स्ट पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक बद्रीनाथ में केदारनाथ की तुलना में दोगुनी संख्या में तीर्थयात्री आते थे। 1990 में बद्रीनाथ में 3.62 लाख और केदारनाथ में 1.17 लाख तीर्थयात्री आये। 1995 में बद्रीनाथ में 4.61 लाख पर्यटक आये और 2000 में पर्यटकों की संख्या 7.35 लाख का आंकड़ा पार कर गयी। 1.05 लाख आगंतुकों (1995) और 2.15 लाख (2000) के साथ केदारनाथ बहुत पीछे था। यह प्रवृत्ति 2022 तक अपरिवर्तित रही, जिसमें बद्रीनाथ में 17.6 लाख और केदारनाथ में 15.6 लाख पर्यटक आये।
लेकिन इस साल इस पैटर्न में बदलाव देखा गया और बद्रीनाथ की बजाए ज्यादा लोगों ने केदारनाथ का रूख किया। बद्रीनाथ सीधा सड़क मार्ग से जुड़ा होने के कारण वहां यात्रियों की तादाद ज्यादा होना एक सामान्य बात थी। जबकि केदारनाथ के लिए 16 किलोमीटर की दुर्गम पैदल यात्रा करनी पड़ती है। हेलीकॉप्टर, खच्चर, कंडी (टोकरी), पालकी (डोली) जैसे अन्य विकल्प भी मौजूद हैं, लेकिन अधिकांश पर्यटक कठिन ट्रेक का विकल्प चुनते हैं, जिसे 6-8 घंटों में पूरा किया जा सकता है।
इस वर्ष 1,830,138 (27 अक्टूबर तक का डेटा) तीर्थयात्री केदारनाथ के दर्शन कर चुके हैं। इस संख्या ने पर्यटन विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित कर दिया है क्योंकि यह इसी अवधि में बद्रीनाथ में कुल 1,662,936 पर्यटकों की आमद से भी अधिक है। 1.67 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों के अंतर और कपाट बंद होने में तीन सप्ताह से भी कम समय शेष होने के कारण, बद्रीनाथ के दोबारा नंबर एक स्थान पर पहुंचने की संभावना नहीं है। यहां तक कि 27 अक्टूबर को केदारनाथ में दैनिक यात्रियों की संख्या 14,387 थी और यह बद्रीनाथ (9,276) से काफी अधिक थी। अन्य दो तीर्थस्थल बहुत पीछे हैं। इस सीजन में गंगोत्री में 871,721 और यमुनोत्री में 713,774 तीर्थयात्री (28 अक्टूबर तक) आए हैं।
बद्रीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर और केदारनाथ के कपाट 15 नवंबर को शीतकाल के लिये बंद कर दिये जाएंगे। वहीं गंगोत्री 14 नवंबर और यमुनोत्री के कपाट 15 नवंबर को बंद हो रहे हैं।
2013 में आई भीषण आपदा का केंद्र केदारनाथ धाम था, जिसमें हजारों लोग काल कवलित हो गए। इस आपदा ने मंदाकिनी घाटी के पर्यटन उद्योग को पूरी तरह तबाह कर दिया था। उस विनाशकारी बाढ़ के एक साल बाद पूरी यात्रा सीजन में केवल 40,832 तीर्थयात्री (2014) केदारनाथ गए और 1.8 लाख अन्य बद्रीनाथ आए। यह नजारा बेहद निराश करने वाला था और पूरी केदार घाटी समेत राज्य में पर्यटन से जुड़े लोग अपने भविष्य को लेकर आशंकित थे। लेकिन केदानाथ में पुनर्निर्माण कार्य चलते रहे और 2015 में यह संख्या बढ़कर 1.54 लाख हो गई और 2016 में यह 3 लाख का आंकड़ा पार कर गई।
पर्यटन व्यववसायी योगेंद्र राणा बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार आगमन और सड़क की स्थिति बेहतर होने से केदारनाथ की ओर लोगों का रूझान बढ़ गया है।
गौरतलब है कि मई 2017 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार केदारनाथ आए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दौरे ने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं। इसके बाद प्रधानमंत्री छह बार केदारनाथ पहुंच चुके हैं, राणा के मुताबिक केदारनाथ जीर्णाेद्धार प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है।
युवाओं में सोशल मीडिया रील शूट का बढ़ रहा क्रेज भी उन्हें केदारनाथ की ओर खींच लाया। बड़ी तादाद में कई जुनूनी युवा केदारनाथ पहुंचते रहे। हालांकि केदारनाथ मंदिर के बाहर एक महिला द्वारा अपने प्रेमी को प्रपोज करने का मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति को मंदिर परिसर में रील शूटिंग पर ।
पर्यटन व्यवसायी मनोज सेमवाल मानते हैं कि 2013 की बाढ़ के बाद, बहुत से लोग केदारनाथ को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं थे। सब कुछ तहस नहस कर देने वाली बाढ़ और उससे जुड़ी तमाम बातें लोगों के जेहन में थी। लेकिन 2013 की आपदा के एक दशक बाद, केदारनाथ चार धाम मंदिरों में सबसे अधिक भीड़ खींचने वाला मंदिर बन गया है।