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पढ़िए ताजा मामलों के साथ: बढ़ता गुलदार का आतंक, निजात दिलाने को 8 सूत्री मांग पत्र

PEN POINT, DEHRADUN : उत्तराखंड के ग्रामीण इलाके हिंसक जंगली जानवरों के आतंक से आजिज आ चुके हैं। लेकिन बीते कुछ दिनों से पौड़ी जिले और उसके कुछ सीमावर्ती इलाकों में पिछले एक पखवाड़े से गुलदार के हमलों में इजाफा हुआ है। इस दौरान यहाँ गुलदार की दस्तक और उसकी हिंसक घटनाओं में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं तो कई घायल हुए हैं। ताजा मामला श्रीनगर क्षेत्र में गुलदार ने अलग-अलग जगहों पर पांच महिलाओं पर हमला कर दिया। वहीं जिला कारागार खांड्यूसैंण के पास बृहस्पतिवार को दो गुलदार दिखाई दिए। इससे ग्रामीणों के साथ ही जिला कारागार के सुरक्षाकर्मियों में दहशत का माहौल है। एक साथ दो गुलदारों की चहल-कदमी का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इसके अलावा दो दिन पहले खोलाचौंरी में भी एक गुलदार की धमक देखने को मिली थी।

बृहस्पतिवार को नैथाणा गांव की मेघना (28), सुमित्रा देवी (31) गांव के पास जंगल में घास व लकड़ी लेने गई थीं। महिलाएं जंगल में घास लेने जा रही थीं, तभी घात लगाए बैठे गुलदार ने उन पर हमला कर दिया। दोपहर मेघना व सुमित्रा देवी लौट रही थीं, इसी दौरान मेघना पर गुलदार ने हमला कर दिया, इस पर दोनों ने शोर मचा दिया। इससे पहले मेघना संभल पातीं गुलदार ने सुमित्रा पर भी हमला कर दिया। दोनों महिलाओं के शोर मचाने पर गुलदार भाग गया। वहीं, इसके करीब 20 मिनट बाद गुलदार ने यहां से करीब आधा किमी दूर अन्य महिलाओं के साथ घास बांध रहीं संपत्ति देवी (60) पर हमला कर दिया। इस पर उनके साथ मौजूद पूजा, मीरा और झांपा के शोर मचाया तो गुलदार भाग गया।

इसके अलावा कीर्तिनगर के डांग गांव में गुलदार ने मंदिर में रह रही करीब 90 वर्षीय एक सन्यासिनी बसंत गिरी पर हमला कर दिया। वन क्षेत्राधिकारी कीर्तिनगर बुद्धि प्रकाश ने बताया कि नैथाणा में हुई घटना के कुछ देर बाद ही यह घटना घटी। देर शाम कीर्तिनगर के रामपुर के पास पैंडुला गांव में प्रकाशी देवी (60) गोशाला गई हुई थीं, तभी अचानक गुलदार ने उनपर भी हमला कर दिया, जिससे वह घायल हो गईं। वन विभाग की टीम घटनास्थल के लिए रवाना हो गई है। एसडीएम सोनिया पंत ने कहा कि क्षेत्र में एक ही दिन हुई घटनाओं को गंभीरता से लिया जा रहा है।

इसके अलावा बुधवार की शाम को इन बड़ी घटनाओं के अलावा पौड़ी जिला कारागार खांड्यूसैंण के पास बृहस्पतिवार को दो गुलदार दिखाई दिए। इससे ग्रामीणों के साथ ही जिला कारागार के सुरक्षाकर्मियों में दहशत का माहौल है। एक साथ दो गुलदारों की चहल-कदमी का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इसके अलावा दो दिन पहले खोलाचौंरी में भी एक गुलदार की धमक देखने को मिली थी।

वायरल वीडियो में गुलदार जेल की सुरक्षा दीवार पर खड़ा नजर आ रहा है जबकि दूसरा सुरक्षा दीवार से कूदता हुआ झाड़ियों की ओर जाता दिखाई दे रहा है। घटना के बाद से क्षेत्र के ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों ने वन विभाग व प्रशासन से गुलदार से निजात दिलाने की मांग की। वहीं जिला कारागार खांड्यूसैंण के जेलर डीपी सिन्हा ने बताया कि गुलदार दिखने की सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी गई है। वहीं नागदेव रेंज के वन क्षेत्राधिकारी ललित मोहन नेगी ने कहा कि गुलदार दिखने की कोई शिकायत नहीं मिली है।

शुक्रवर को सोशल मीडिया पर चटक धुप और रोशनी में गुलदार की धमक का एक ताजा वीडियो आज भी तेजी से वायरल हो रहा है। जिसे मलेथा का बताया जा रहा है। जिसमें गुलदार नीचे से सड़क पर दौड़ता आया है। इस दौरान सड़क पर गाड़ियां भी चल रही हैं। यह सड़क के किनारे एक घर में घुसता हुआ दिखाई दे रहा है। वहां मौजूद लोग हल्ला मचा कर उसे अपनी तरफ आने से रोकने की कोशिश करते हुए सुनाई दे रहे हैं। पेन पॉइंट इस वीडियो की लोकेशन और समय की पुष्टि नहीं करता है।

'Pen Point

इसके इतर उत्तराखंड में लगातार गुलदार सहित तमाम अन्य हिंसक जानवरों के बढ़ते हमलों की घटनाओं को दखते हुए फील गुड ट्रस्ट पौड़ी और बोली-भाषा और संस्कृति से जुडी हुई उत्तराखंड की सामाजिक संस्था धाद ने एक आठ सूत्री गुलदार गाँव बचाओ मांग पत्र सरकार को दिया है। जिसमें जंगली जानवरों की हिंसा में किसी व्यक्ति की मौत पर 25 लाख का मुआवजा और अभिभावक के मारे जाने पर परिवार को वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने की मांग की गए है। इसके अलावा घायल अवस्था और पशु हानि में मुफ्त इलाज पूरा मुआवजा और क्षतिपूर्ति की मांग शामिल की गयी है। वहीं तमाम हिंसक जानवरों की गणना करने की मांग भी इस मांग पत्र में शामिल हैं। कई अन्य तरह के सुझाव भी इसमें शामिल किए गए हैं।

अब देखना यह होगा कि जनता की इस समस्या को लेकर इस मांग पत्र और ग्रामीण लोगों को किस तरह से सरकार इन जंगली हिंसक पशुओं से निजात दिलाने के लिए आगे आती है या आने वाले लोकसभा चुनाव में जंगली जानवरों के हमलों की बढ़ती ये घटनाएं मुद्दा बन पाती हैं या नहीं।

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