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उत्तरकाशी आ रहे हैं तो नाक मुंह ढकने को रूमाल जरूर लेकर आएं

– शहरों के बीचों बीच डंप किए जा रहे कचरे से उठने वाली दमघोंटू दुर्गंध से हो रहा उत्तरकाशी पहुंचने वाले मेहमानों का इस्तकबाल
-नगर पालिका और जिला प्रशासन अब तक नहीं ढूंढ सका डंपिंग जोन, छह हजार टन से भी अधिक कचरा डंप किया जा चुका है ताबांखाणी में
PEN POINT, UTTARKASHI : उत्तरकाशी शहर, गंगोत्री धाम का प्रमुख पड़ाव। इन दिनों जब गंगोत्री यात्रा चल रही है तो रोजाना ही इस शहर में हजारों की संख्या में देश विदेश से तीर्थ यात्री पहुंचते हैं। देश विदेश से पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए नगर पालिका और जिला प्रशासन ने उम्दा इंतजाम किए हैं। ज्यों ही तीर्थयात्री उत्तरकाशी नगर में प्रवेश के लिए बनी ताबांखाणी सुरंग में प्रवेश करें, अपने नाक मुंह ढक ले क्योंकि शहर के बीचों बीच हजारों टन कूड़ा यात्रियों समेत दूर दराज इलाकों से जिला मुख्यालय पहुंचने वाले ग्रामीणों का स्वागत कर रहा है।
उत्तरकाशी शहर में इन दिनों प्रवेश करते हुए आप लोगों के मुंह नाक ढके देखकर हैरान होंगे। शहर में लोगों का इस्तकबाल असहनीय दुर्गंध से होता है। नगर क्षेत्र में रोजाना निकलने वाला कई कुंतल कूड़ा रोजाना ही शहर के बीचों बीच और भागीरथी तट पर स्थित ताबांखाणी सुरंग के बाहर डंप किया जा रहा है। वरूणावत पर्वत की तलहटी पर डंप कूड़ा पहाड़ का रूप ले रहा है। मानों वरूणावत पर्वत की ऊंचाई से प्रतियोगिता में जुटा हो। कई बार कूड़े का बड़ा हिस्सा भागीरथी नदी में बह कर निस्तारित हो रहा है।
उत्तरकाशी शहर में नगर पालिका गठन के बाद से लेकर अब तक कूड़े के निस्तारण के लिए एक अदद डंपिंग जोन तक नहीं बना सकी है। लंबे समय तक नगर पालिका शहर भर का कूड़ा शहर के बीचों बीच स्थित व सांस्कृतिक, खेल कूद, राजनीतिक कार्यक्रमों के प्रमुख केंद्र रामलीला मैदान में डंप करती रही। स्थानीय लोगों ने विरोध जताया तो कूड़ा उठाकर उत्तरकाशी, ज्ञानसू और जोशियाड़ा कस्बे के बीचों बीच तांबाखाणी में डंप करना शुरू कर दिया। करीब चार सालों से शहर भर का कचरा यहां डंप किया जा रहा है। नगर पालिका न ही जिला प्रशासन एक अदद डंपिंग जोन और ट्रैचिंग ग्राउंड तक नहीं खोज सका है जहां यह कचरा डंप किया जा सके। शहर की हवा को बिगाड़ने के साथ ही इस कचरे से उठने वाली दमघोंटू दुर्गंध अब लोगों की सेहत पर भी भारी पड़ने लगी है। एक अनुमान के मुताबिक नगर पालिका यहां छह हजार टन से भी ज्यादा कचरा डंप कर चुकी है। जबकि, इन दिनों जब यात्रा सीजन चल रहा है तो कई कुंतल कूड़ा कचरा यहां रोजाना डंप किया जा रहा है।
नगर पालिका अध्यक्ष रमेश सेमवाल बताते हैं कि तिलोथ में डंपिंग जोन के लिए स्थान चयनित किया गया था लेकिन स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के चलते वहां कचरा डंप नहीं किया जा रहा है ऐसे में मजबूरी में ही इसे ताबांखाणी मंे डंप करना पड़ रहा है। वह बताते हैं कि पूर्व में जिन भी स्थलों को ट्रैचिंग ग्राउंड के तौर पर चयनित किया गया उसके निकटवर्ती ग्रामीणों के भारी विरोध से ट्रैचिंग ग्राउंड का फैसला वापिस लेना पड़ा। नगर पालिका अध्यक्ष की माने तो हरियाणा स्थित एक कंपनी से अनुबंध किया गया है जो इस कचरे का निस्तारण करेगी।

'Pen Pointजोशियाड़ा झील बता रही हकीकत
जोशियाड़ा स्थित मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना द्वितीय की झील बंया कर रही है कि किस तरह से शहर भर का कचरा गंगा नदी को दूषित कर रहा है। झील में बड़ी संख्या में ताबांखाणी से गिरकर नदी में बहने वाला कचरा जमा हो रहा है। बीते दिनों इस की तस्वीरें भी इंटरनेट पर वायरल हुई थी। हालांकि, नमामि गंगे योजना के तहत उत्तरकाशी में करोड़ों की लागत से खूबसूरत घाट बनाए गए हैं लेकिन ताबांखाणी से रोजाना भागीरथी नदी में गिर रहे कचरे को लेकर जिला प्रशासन ने भी आंखें मूंद रखी है।

 

कचरा प्रबंधन पर करोड़ों के व्यारे न्यारे
कचरे का पहाड़ उत्तरकाशी शहर के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है लेकिन इस कचरे के प्रबंधन और ट्रैचिंग ग्राउंड के नाम पर नगर पालिका ने करोड़ों रूपए जरूर ठिकाने लगाए हैं। तिलोथ में कचरा ट्रैचिंग ग्राउंड के निर्माण के नाम पर दो करोड़ रूपए की भारी भरकम रकम खर्च कर दी गई जबकि वहां अब तक कचरा डंप करना शुरू नहीं किया। इस खर्च मंे तमाम अनियमितताएं भी पाई गई जिसकी जांच इन दिनों एसडीएम भटवाड़ी की ओर की जा रही है। वहीं, कचरे की छंटाई के लिए भी 75 लाख रूपए की मशीन भी मंगवाई गई लेकिन वह मशीन भी लंबे समय से धूल फांक रही है। तो साथ ही पूर्व में करीब 50 लाख की लागत से प्लास्टिक के कचरे को चादर में बदलने के लिए कंप्रेशर मशीन लाई गई थी लेकिन वह भी नगर पालिका के स्टोर में धूल फांक रही है।

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