उत्तराखण्ड : जंगल नहीं बस्तियों में घूम रहे तेंदुए, 652 है इनकी तादाद
Pen Point, Dehradun : अपने गठन के 23 वर्षों में, उत्तराखंड में बीते साल यानी 2023 में बाघों और तेंदुओं से जुड़े मानव-वन्यजीव संघर्ष में रिकॉर्ड 43 मौतें हुई हैं। इनमें से 21 लोग तेंदुए के हमले का शिकार हुए, जबकि 22 लोगों की बाघ से मुठभेड़ में जान चली गई। मोटे तौर पर देखें तो उत्तराखण्ड में हर साल मानव वन्य जीव संघर्ष में होने वाली मौतों में तीस फीसदी तेंदुओं के कारण होती हैं।
वन विभाग की ओर से एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2000 और दिसंबर 2023 के बीच, तेंदुए और बाघ के हमलों में कुल 551 लोगों की जान चली गई। जबकि 1,833 से अधिक लोग घायल हो गए। इसके अलावा, जून 2001 से कुल 1,663 तेंदुओं की मौत दर्ज की गई है। जिनमें से कई अन्य कारणों के अलावा दुर्घटनाओं या अंतर-प्रजाति संघर्षों के कारण हुई हैं।
देश में बढ़ रही है तेंदुओं की तादाद
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि मौजूदा समय में देश में तेंदुओं की तादाद करीब 13874 है। जबकि साल 2018 में यह आबाद 12,852 दर्ज की गई थी। जाहिर है कि इस दौरान तेंदुओं की तादाद में सात फीसदी से ज्यादा की बढ़ोत्तरी हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में तेंदुओं की सबसे बड़ी तादाद मध्यप्रदेश में है। जहां इनकी संख्या 3,907 रिकॉर्ड की गई है इसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक व तमिलनाडु राज्य हैं।
उत्तराखंड में संरक्षित क्षेत्रों के बाहर घूम रहे तेंदुए
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में तेंदुओं की तादाद 652 दर्ज की गई है, जबकि उत्तराखंड से बड़े कई राज्यों में इससे काफी कम तादाद है। उत्तराखंड में लगातार तेंदुओं का आबादी क्षे़त्रों में पहुंचकर हमलावर होना सबसे बड़ी चिंता का विषय है। हालांकि यह तादाद बीते सालों के मुकाबले कम हुई है, लेकिन परेशानी का सबब ये है कि इनका रूख मानव बस्तियों और शहरों की ओर हो गया है। राजधानी देहरादून समेत राज्य के कई शहरों और कस्बों तक में गुलदार की चहलकदमी जारी है।
तेंदुओं के खौफ से निजात दिलाने की मांग
उत्तराखंड में तेंदुओं का खौफ इस कदर पसरा हुआ है कि कई इलाकों में शाम के वक्त कर्फ्यू ज्ैसा माहौल हो जाता है। जहां भी तेंदुए के हमले की घटना हो रही है वहां वन विभाग और पुलिस की टीमें बाकयदा मुनादी कर रही हैं। लोगों से शाम को घर के बाहर ना निकलने को कहा जा रहा है। वहीं देहरादून समेत कई शहरों में लोग मॉर्निंग वॉक से भी परहेज कर रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए धाद समेत अन्य सामाजिक संगठन सरकार से तेंदुओं से निजात दिलाने की मांग कर चुके हैं।