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इंडियन आर्मी: अब ब्रिगेडियर और वरिष्ठ अफसरों की होगी एक वर्दी

PEN POINT : भारतीय सेना में अफसरों की वर्दी में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। ब्रगेडियर रैंक और उससे ऊपर के अफसर अब एक ही वर्दी में नजर आएंगे। भले ही उनका कैडर और नियुक्ति करने का तरीका अलग हो।
सेना में विविधता में एकता के मकसद से लिये गए इस फैसले के चलते इसी साल एक अगस्त से सभी वरिष्ठ अफसरों की वर्दी एक जैसी होगीं

फैसले के बाद अब अधिकारियों की कैप, कंधे पर लगा बैज, गोरगेट पैच, बेल्ट और जूते का मानकीकरण किया जाएगा। फ्लैग-रैंक अधिकारी अब कोई पट्टा (कमरबंद) नहीं पहनेंगे। कर्नल और नीचे के रैंक के अधिकारियों की वर्दी में कोई बदलाव नहीं होगा। ब्रिगेडियर, मेजर जनरल, लेफ्टिनेंट जनरल और जनरल रैंक के सभी अधिकारी अब एक ही रंग के बैरे (टोपी), रैंक के सामान्य बैज, एक सामान्य बेल्ट बकल और एक जैसे जूते ही पहनेंगे।

लिहाजा सेना द्वारा इस बड़े बदलाव के बाद वर्दी देखकर अब किसी भी रेजिमेंट या कोर की पहचान नहीं की जा सकेगी। उच्च रैंक के सभी अधिकारी वर्दी के एक ही पैटर्न उपयोग करेंगे।

पहले भी हुआ है बदलाव
लगभग 1980 के दशक के बीच तक रेजिमेंटल सेवा लेफ्टिनेंट कर्नल के पद तक थी। कर्नल और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों में सामान्य वर्दी पैटर्न और प्रतीक चिन्ह होते थे।कर्नल और ब्रिगेडियर ने अपने रेजिमेंटल प्रतीक चिन्ह को छोड़ दिया और अपने टोपी बैज पर अशोक प्रतीक पहननना शुरू कर दिया था और बैरे का रंग खाकी होता था। हालांकि, 1980 के दशक के मध्य में एक बटालियन या रेजिमेंट की कमान को कर्नल के पद पर अपग्रेड करने का फैसला लिया गया था। इस तरह, कर्नल रैंक के अफसरों ने फिर से रेजिमेंटल प्रतीक चिन्ह पहनना शुरू कर दिया था।

बदलाव की जरूरत क्यों
गौरतलब है कि सेना में रेजिमेंटल सेवा अधिकांश अधिकारियों के लिए कर्नल के पद पर समाप्त होती है, इसलिए उस खास रेजिमेंट या कोर के साथ यूनिफॉर्म में भी बदलाव अंतिम बदलाव होना चाहिए जिससे किसी भी रेजिमेंट को उच्च रैंकों पर पदोन्नत न किया जाए।
चूंकि अक्सर अलग-अलग रेजिमेंटल सैनिकों को उच्च रैंकों या कर्नल पद पर नियुक्त किया जाता है। ऐसे में अब ये सैनिक अपने रेजिमेंट की वर्दी की जगह एक ही तरह की वर्दी में दिखाई देंगे।
रिपोर्टस के अनुसार ये फैसला विस्तृत विचार-विमर्श के बाद पिछले महीने सेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान लिया गया था। भले ही बदलाव के पीछे कई प्रमुख कारण हैं, महत्वपूर्ण यह है कि ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी बड़े पैमाने पर मुख्यालय में तैनात हैं। जहां पर सभी सेवाओं के अधिकारी एक साथ काम करते हैं।
अब मुख्यालयों में तैनात किए गए ब्रिगेडियर व उससे उपर रैं के अफसरों की एक तरह की वर्दी कार्यस्थल में समान पहचान स्थापित करेगी।
इसके अलावा इस बदलाव से भारतीय सेना में भावनात्मक तालमेल भी बैठ सकेगा। वहीं सभी वरिष्ठ रैंक के अधिकारियों में एकरूपता होगी।

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