जागो ग्राहक : ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो जानिए अपने अधिकार
आज पंद्रह मार्च को पूरी दुनिया में मनाया जाता है विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस। भारत में नए उपभोक्ता कानून में ई कॉमर्स कंपनियों पर शिकंजा तो कसा लेकिन फिर भी बढ़ रहे हैं ग्राहकों के साथ ठगी के मामले
PEN POINT, DEHRADUN : कोविडकाल के बाद ऑनलाइन शॉपिंग का चलन तेजी से बढ़ा है। अब ग्राहक बाजार या मॉल की बजाए ऑनलाइन शॉपिंग को तरजीह दे रहे हैं। वस्तु या सेवाओं की खरीददारी का ये तरीका आसान तो है लेकिन इसमें धोखाधड़ी या ठगी की आशंका कहीं ज्यादा है। ऑफलाइन शापिंग की तुलना में ग्राहक वस्तुओं या सेवाओं की परख के लिए पूरी तरह विक्रेता के ऊपर निर्भर रहता है। ऐसे में उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों को लेकर ज्यादा सचेत रहना होगा। विक्रेता की ओर से किये जाने वाले प्रोडक्ट के प्रचार को अंतिम सत्य नहीं मानना चाहिए। भारत जैसे देश में ग्राहकों के साथ ठगी के मामले कुछ ज्यादा ही हैं। साल 2017 तक भारत इस मामले में दुनिया के टॉप 4 देशों में शामिल रहा है। हालांकि जुलाई 2020 में नए उपभोक्ता कानून के बाद इस हालत में कुछ सुधार आया है लेकिन अब भी देश में उपभोक्ताओं के साथ ठगी का गोरखधंधा जारी है।
तेजी से पांव पसारते ऑनलाइन कारोबार को पहली बार कानून के दायरे में लाया गया है। अगर किसी वस्तु या सेवा से संतुष्ट नहीं हैं तो आप कंपनी से इसकी शिकायत कर सकते हैं। ई कारोबारी कंपनी 48 घंटे के भीतर इसे स्वीकार कर एक माह में शिकायत का निस्तारण नहीं करती है तो उसके खिलाफ जिला, राज्य या राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग कार्रवाई करेगा। यह नियम उन कंपनियों पर भी लागू होगा जो भले ही विदेशों में पंजीकृत हों, लेकिन भारतीय ग्राहकों को सामान और सेवाएं दे रही हैं।
अगर खरीदी गई वस्तु का मूल्य और समाप्ति अवधि का विवरण, वारंटी, गारंटी को उसकी पैकिंग पर जरूर जांच लें। ई कॉमर्स कंपनियां उपभोक्ता के पैसे लौटाने पर उससे किसी भी तरह का अतिरिक्त शुल्क नहीं वसूल सकती।
तेजी से बढ़ रही हैं शिकायतें
भारत में जब से ऑनलाइन कारोबार उपभोक्ता कानून के दायरे में आया है ई कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर शिकायतें दर्ज हुई हैं। इनके खिलाफ सामान की क्वालिटी, डिलीवरी में देरी, सामान बदलने में देरी आदि शिकायतों काफी बढ़ोत्तरी हुई है। साल 2022 में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से जानकारी सार्वजनिक की गई कि राष्ट्रीय उपभोक्ता हैल्पलाइन पर दर्ज हर पांच में से एक शिकायत ई कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ होती है। जिनमें सर्वाधिक शिकायतें महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में हैं। ज्यादातर राज्यों में ऑनलाइन शॉपिंग से जुड़ी शिकायतों का अंकड़ा औसतन तीस हजार का है।
भ्रामक विज्ञापन करने वालों पर भी नकेल
नया कानून वस्तुओं और सेवाओं के विज्ञापन को भी जवाबदेह बनाता है। जिसके प्रावधानों के अनुसार कंपनी की ओर से जिस उत्पाद का प्रचार किया जा रहा है वह उसी गुणवत्ता का है इसके लिए विज्ञापन करने वाला भी जिम्मेदार होगा। भ्रामक विज्ञापनों पर सीसीपीए को अधिकार है कि वह जिम्मेदार लोगों को दो से पांच साल की सजा और कंपनी पर दस लाख रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है। बड़े और गंभीर मामलों में जुर्माने की राशि पचास लाख रुपए तक हो सकती हैा।
यहां कर सकते हैं शिकायत
20 जुलाई 2020 को नया उपभोक्ता कानून लागू हुआ जिसने पुराने ‘उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986’ का स्थान लिया। इसके तहत व्यवस्था बनाई गई है कि जिला उपभोक्ता फोरम एक करोड़ रुपए तक, जबकि राज्य उपभोक्ता निवारण आयोग दस करोड़ तक और राष्ट्रीय उपभोक्ता वाद निवारण आयोग दस करोड़ रुपए से ऊपर के मामलों की सुनवाई कर सकते हैं। उपभोक्ता संबंधित फोरम और आयोग में नियमानुसार निवारण के लिए शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। राष्ट्रीय उपभोक्ता हैल्पलाइन का भी उपयोग कर सकते हैं।