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करगिल विजय दिवस: उत्तराखंड के 75 सपूतों ने दी थी शहादत

– करगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ, भारत के वीर सैनिकों ने करगिल क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना को दिया था मुंहतोड़ जवाब, दो महीनों तक चले युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को हराया
PEN POINT, DEHRADUN : 26 जुलाई 1999, आखिरकार घुसपैठ कर कब्जा करने की कोशिश कर युद्ध छेड़ने वाले पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी और करगिल युद्ध की समाप्ति की घोषणा की गई। यूं तो भारत के वीर जवानों की बहादुरी के दम पर भारत ने यह युद्ध 14 जुलाई 1999 को ही जीत लिया था लेकिन ठीक 12 दिन का इंतजार करने के बाद युद्ध समाप्ति की घोषणा की गई और पाकिस्तान को एक बार फिर भारतीय सीमा पर घुसपैठ के लिए मुंह की खानी पड़ी। 3 मई से शुरू हुए करगिल युद्ध में देश ने 522 वीर जवानों ने अपनी शहादत दी और करीब 13 सौ से अधिक सैनिक युद्ध क्षेत्र में घायल हुए। लेकिन, इस युद्ध ने पाकिस्तान को ऐसा सबक दिया कि दो दशक से अधिक समय होने के बाद भी पाकिस्तान ने कभी भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की जुर्रत नहीं की।
आज देश करगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ मना रहा है। यूं तो तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 14 जुलाई 1999 को भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी सेना को करगिल क्षेत्र से पीछे खदेड़े जाने के बाद ऑपरेशन विजय के सफल होने और भारत की जीत की घोषणा कर दी थी लेकिन यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को खत्म हुआ और तब से इसे करगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस लेख में जानते हैं कि 1999 में कब कब क्या हुआ –

'Pen Point

3 मई 1999
– कारगिल में स्थानीय चरवाहे भारतीय सेना को क्षेत्र में पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों के बारे में सचेत करते हैं।

5 मई 1999
-भारतीय सेना के जवानों को इलाके में गश्त के लिए भेजा गया। पांच सैन्य अधिकारियों को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया था और बाद में मार डाला था।

5 मई 1999
-पाकिस्तानी सेना ने कारगिल में भारतीय सेना के गोला-बारूद के ढेर को नष्ट कर दिया था।

10 मई – 25 मई, 1999
-आगे की घुसपैठ का पता चलने से कारगिल में अतिरिक्त बलों की रणनीतिक तैनाती बढ़ाई गई।

-भारतीय सेना ने क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कश्मीर से अपने सैनिकों को जुटाकर कारगिल में बढ़ती स्थिति का जवाब देना शुरू किया।

-भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा कब्जा की गई ऊंचाइयों पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया।

26 मई 1999
-भारतीय वायु सेना ने ऑपरेशन सफेद सागर शुरू किया और पाकिस्तानी ठिकानों पर हवाई हमले शुरू किए।

27 मई – 28 मई, 1999

-भारतीय वायुसेना के तीन विमान मिग-21, मिग-27 और एमआई-17 को पाकिस्तानी सेना ने मार गिराया।

31 मई 1999
-भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ युद्ध की स्थिति की घोषणा की।

1 जून 1999
-पाकिस्तान ने कश्मीर और लद्दाख में नेशनल हाईवे-1 पर गोलाबारी शुरू कर दी थी।

5 जून 1999

-भारत ने तीन पाकिस्तानी सैनिकों से बरामद दस्तावेज जारी किए, जिससे आधिकारिक तौर पर पुष्टि हुई कि पाकिस्तान इस युद्ध में सीधे तौर पर शामिल है।

9 जून 1999
-भारतीय सेना ने बटालिक सेक्टर में दो महत्वपूर्ण ठिकानों पर कब्जा कर लिया था।

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10 जून 2023
-पाकिस्तान ने जाट रेजिमेंट से भारतीय सैनिकों के 6 क्षत-विक्षत शव लौटाए।

11 जून 1999
-भारत ने घुसपैठ में पाकिस्तानी सेना के शामिल होने का सबूत जारी किया। यह सबूत पाकिस्तानी जनरल परवेज मुशर्रफ और सीजीएस लेफ्टिनेंट जनरल अजीज खान के बीच इंटरसेप्ट की गई बातचीत थी।

13 जून 1999
-भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल का दौरा किया और सैनिकों को संबोधित किया।
-भारतीय सेना ने टोलोलिंग हाइट्स पर दोबारा कब्जा कर लिया था।
-पाकिस्तानी सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई शुरू की, लेकिन भारतीय सेना ने उन्हें खदेड़ दिया।

15 जून 1999
-तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को कारगिल से सभी पाकिस्तानी सैनिकों और अनियमित बलों को तत्काल वापस बुलाने के लिए मजबूर किया।

29 जून 1999
-पाकिस्तान में लगातार दबाव के बाद पाकिस्तान की सेनाएं कश्मीर से पीछे हट गईं।

4 जुलाई 1999
-भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर पुनः कब्ज़ा कर लिया।
-पाकिस्तानी सैनिक बटालिक सेक्टर से हट गए।

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5 जुलाई 1999
-राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से मुलाकात के बाद पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ ने आधिकारिक तौर पर कारगिल से पाकिस्तानी सेना की वापसी की घोषणा की।
-भारतीय सेना ने तेजी से द्रास पर कब्जा कर लिया

12 जुलाई 1999
-पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल से अपनी वापसी पूरी कर ली। नवाज शरीफ ने भारत से बातचीत का प्रस्ताव रखा।

14 जुलाई 1999
-प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन विजय को सफल घोषित किया। उन्हांेने पाकिस्तान के वार्ता के प्रस्ताव को स्वीकारते हुए वार्ता की शर्तें तय की।

26 जुलाई 1999
-कारगिल युद्ध आधिकारिक तौर पर समाप्त घोषित कर दिया गया था।

 

करगिल युद्ध में उत्तराखंड के शहीद जवान 

बहादुरी शौर्य ने पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने पर मजबूर किया। युद्ध क्षेत्र में देश की रक्षा के लिए 522 जवानों ने अपनी शहादत दी। जिसमें 26 अफसर, 23 जेसीओ और 473 जवान शामिल थे। उत्तराखंड राज्य से 75 वीर जवानों ने अपनी शहादत इस युद्ध क्षेत्र में दी।

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मेजर राजेश अधिकारी को उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
जनपद  शहीद जवान
देहरादून 28
पौड़ी 13
टिहरी 08
नैनीताल 05
चमोली 05
अल्मोडा 04
पिथौरागढ़ 04
रुद्रप्रयाग 03
बागेश्वर 02
उधमसिंहनगर 02
उत्तरकाशी 01

 

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मेजर विवेक गुप्ता को उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

युद्ध क्षेत्र में बहादुरी के लिए उत्तराखंड के इन सैनिकों को मिला सम्मान

महावीरचक्र विजेता मेजर विवेक गुप्ता, मेजर राजेश अधिकारी।
वीरचक्र विजेता कश्मीर सिंह, बृजमोहन सिंह, अनुसूया प्रसाद, कुलदीप सिंह, एके सिन्हा, खुशीमन गुरुंग, शशि भूषण घिल्डियाल, रुपेश प्रधान व राजेश शाह।
सेना मेडल विजेता मोहन सिंह, टीबी क्षेत्री, हरि बहादुर, नरपाल सिंह, देवेंद्र प्रसाद, जगत सिंह, सुरमान सिंह, डबल सिंह, चंदन सिंह, मोहन सिंह, किशन सिंह, शिव सिंह, सुरेंद्र सिंह व संजय।
मेन्स इन डिस्पैच राम सिंह, हरि सिंह थापा, देवेंद्र सिंह, विक्रम सिंह, मान सिंह, मंगत सिंह, बलवंत सिंह, अमित डबराल, प्रवीण कश्यप, अर्जुन सेन, अनिल कुमार।

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