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सिलक्यारा टनल बना रही नवयुग कंपनी के बारे में जानिए

Pen Point, Dehradun : सिलक्यारा टनल हादसे पर उत्तराखंड समेत लगभग पूरे देश की नजरें हैं। जहां पचास घंटे से सुरंग के अंदर फंसे 40 मजदूरों की जान बचाने की जद्दोजहद जारी है। एनएचआईडीसीएल की देखरेख में इस टनल प्रोजेक्ट को दक्षिण भारत की नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी बना रही है। इस कंपनी ने देश में काफी बड़े प्रोजेक्ट बनाए हैं। असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर भारत में सबसे लंबा रिवर ब्रिज बनाने का श्रेय इसी कंपनी को जाता है। जिसे ढेला सदिया ब्रिज कहा जाता है और 9.15 किलोमीटर लंबे इस ब्रिज का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। नवयुग ग्रुप को 1986 में सी विश्वेश्वर राव ने स्थापित किया था, जिसका मुख्य कार्यालय विशाखापत्तनम में है।

उत्तराखंड की बात करें तो इस कंपनी को 2020 में ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन का काम भी मिला है। उस वक्त कंपनी का यह प्रोजेक्ट 2072 करोड़ रूपए का था। जबकि जनवरी 2019 में कंपनी ने सिलक्यारा टनल पर काम शुरू किया था। जिसे पूरा करने का लक्ष्य 2023 रखा गया था, लेकिन फिलहाल इस डेडलाइन को 2024 तक बढ़ा दिया गया है।

नवयुग ग्रुप एक भारतीय मल्टीनेशनल कंपनी है और इसके पोर्टफोलियो में सड़क निर्माण, ब्रिज, मेट्रो रेल, मरीन वर्क, आईटी/आईटीईएस कंपनियों, पोर्ट, पॉवर प्रोजेक्‍ट्स और स्‍टील यूनिट्स तक शामिल है।

जहां तक हादसों की बात है तो यह पहली बार नहीं है जब इस कंपनी के साथ ऐसा हुआ है। इसी साल 31 अगसत को महाराष्ट्र के ठाणे में समृद्धि एक्सप्रेसवे निर्माण के दौरान गार्डर गिरने से बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें दस मजदूरों समेत 20 लोगों की मौत हुई थी। तब नवयुग कंपनी और कॉन्ट्रैक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। हालांकि इस मामले में आगे की कार्रवाही का कोई पता नहीं चल सका है।

कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध फाइनेंशियल ओवरव्यू पर नजर डालें तो साल 2015-16 के बाद इसके रेवेन्यू और नेट वर्थ में काफी इजाफा हुआ है। उस वक्त इसका रेवेन्य 300 करोड़ का था, जबकि वर्तमान में इसे 700 करोड़ दर्शाया जा रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीते नौ सालों में कंपनी को बड़े प्रोजेक्ट हासिल हुए हैं।

फिलहाल सिलक्यारा टनल हादसे में कंपनी के सुरक्षा तंत्र पर भी सवाल उठ रहे हैं। जहां चालीस मजदूरों की जान अब भी सांसत में फंसी हुई है। सरकार की विभिन्न ऐजेंसियों के साथ कंपनी का सुरक्षा तंत्र भी मजदूरों को बाहर निकालने की मशक्कत में जुटा है। वहीं प्रोजेक्ट प्रबंधन की ओर से अधिकांश जिम्मेदार लोग मीडिया से बात करने से बच रहे हैं।

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