लोकसभा चुनाव : भाजपा के पास दावेदारों की लाइन, कांग्रेस खाली हाथ
– लगातार दो लोक सभा चुनावों में राज्य की पांचों सीटें जीतने वाली भाजपा का आत्मविश्वास आसमान पर फिर भी कर रही है जी तोड़ मेहनत, वहीं लगातार हार के बाद कांग्रेस तैयारियों में भी पिछड़ी, सामने नहीं आ रहे दावेदार
PEN POINT, DEHRADUN : लोक सभा चुनाव होने में कुछ महीने ही बचे हैं। एक ओर जहां भाजपा तीसरी बार मोदी सरकार के नारे के साथ 400 सीटों के जीतने की तैयारी के साथ चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है तो वहीं राज्य में कांग्रेस फिलहाल खामोशी ओढ़े हुए है। राज्य की पांचों लोक सभा सीटों पर भाजपा के पास दावेदारों की लंबी लाइनें जुटी है जबकि कांग्रेस की ओर से हरिद्वार को छोड़ अन्य सीटों पर कोई भी प्रत्याशी दावेदारी करता नहीं दिख रहा है। लोक सभा चुनाव होने में भले ही अभी कुछ महीनें बाकी हो लेकिन शुरूआती तैयारियों के हिसाब से कांग्रेस अभी से कमजोर नजर आने लगी है।
भाजपा राज्य की पांचों लोक सभा सीटों को 2014 और 2019 में जीत चुकी है। वहीं, वह इन पांचों सीटों पर हेट्रिक लगाने की तैयारियों में है तो वहीं दो बार पांचों सीटों को गंवाने के बाद कांग्रेस फिलहाल सबक लेती नहीं दिख रही है। देहरादून में जहां लोक सभा चुनाव से पहले बलबीर रोड स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में हर दिन ही पार्टी की सदस्यता के लिए कांग्रेस समेत विभिन्न दलों से जुड़े नेताओं की भीड़ उमड़ रही है तो वहीं दून स्थित कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में सन्नाटा पसरा हुआ है। पार्टी के कुछ नेताओं की चहलकदमी छोड़ कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में शायद ही कोई गतिविधि होती दिखती है। भाजपा ने पांचों संसदीय सीटों पर जीत का अंतर पांच लाख से ज्यादा वोटों का लक्ष्य तय किया है लिहाजा इसके लिए वह युद्धस्तर पर तैयारियां करती भी दिख रही है। साथ ही भाजपा के संभावित दावेदार भी संगठन से लेकर आम जन के बीच अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रहे हैं तो कांग्रेस की ओर से हरिद्वार को छोड़ अन्य चारों सीटों पर कौन चेहरा होगा यह तक तय नहीं हो पा रहा है न ही टिकट के दावेदार भी सामने आ रहे हैं। हालांकि, राजनीति से जुड़े लोगां की माने तो लगातार दो लोक सभा चुनाव और दो विधानसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त के बाद प्रदेश में कांग्रेस और उसके वरिष्ठ नेता आर्थिक और मानसिक रूप से बुरी तरह से टूट चुके हैं। इसकी तस्दीक इस बात से भी होती है कि जब बीते दिनों पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व कांग्रेस नेता विशन सिंह चुफाल से मीडियाकर्मियों ने लोक सभा चुनाव लड़ने के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ किया कि उनके पास इतनी रकम नहीं है कि वह लोक सभा चुनाव में खर्च कर सकें और न ही पार्टी की आर्थिक स्थिति फिलहाल ऐसी है कि उन्हें चुनाव लड़ने को पूरी आर्थिक मदद दे सकें। कांग्रेस के अन्य बड़े नेताओं की भी इसी तरह की राय है।
प्रदेश की पांचों संसदीय सीटें फिलहाल दस सालों से भाजपा के कब्जे में है। ऐसे में भाजपा के मौजूदा सांसदों के अलावा ऐसे नेताओं की भी लंबी लाइन है जो इन सीटों पर टिकट पाने का ख्वाब सजाए बैठे है। दावा किया जा रहा है कि राज्य के पांच में से तीन सांसदों के टिकट इस बार पार्टी काटने वाली है। जिसमें 70 वर्ष से अधिक उम्र, संसदीय क्षेत्र में प्रदर्शन जैसे मानकों के आधार पर पार्टी इन मौजूदा सांसदों के टिकट काटकर नए चेहरों को सामने लाएगी लिहाजा इन सीटों पर टिकट के लिए दावेदारी कर रहे नेता भी खूब जोर आजमाइश कर रहे हैं।
प्रदेश की लोक सभा सीटों की स्थिति
अल्मोड़ा – भाजपा के मौजूदा सांसद अजय टम्टा। दो बार से सांसद हैं, पूर्व में केंद्रीय राज्य मंत्री भी रहे। इनके अलावा राज्य सरकार में काबिना मंत्री रेखा आर्य ने भी दावेदारी पेश की है। रेखा आर्य लगातार दावा कर रही है कि पार्टी के टिकट पर अल्मोड़ा से चुनाव लड़ेगी। वहीं, कांग्रेस की ओर से अब तक दावेदारी के तौर पर कोई नेता सामने नहीं आया है कि खबरों की माने तो कांग्रेस हाईकमान चाहता है कि यशपाल आर्य इस सीट से चुनाव लड़े। यशपाल आर्य वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। वहीं, यहां से एक बार सांसद रह चुके प्रदीप टम्टा भी दावेदारों में शामिल है। प्रदीप टम्टा लगातार दो बार यहां लोक सभा चुनाव हार चुके हैं। प्रदीप टम्टा को हरीश रावत खेमे का प्रमुख नेता माना जाता है।
नैनीताल – भाजपा के अजय भट्ट मौजूदा सांसद। फिलहाल, पार्टी के भीतर अन्य दावेदार भी। वहीं, कांग्रेस से किसी नेता ने अब तक दावेदारी नहीं की है।
हरिद्वार – भाजपा के डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक मौजूदा सांसद। इस सरकार में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रहे लेकिन केंद्र सरकार ने उनसे जल्दी ही मंत्री पद वापिस ले लिया। अब दावा किया जा रहा है कि इस बार भाजपा इनका टिकट काटकर नए चेहरे को मैदान में उतार सकती है। फिलहाल दावेदारों में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, विधायक मदन कौशिक भी शामिल है। वहीं, कांग्रेस को इस सीट से काफी उम्मीदें है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस सीट से पहले भी सांसद रह चुके हैं लेकिन उन्होंने इस बार लोक सभा चुनाव लड़ने से इंकार कर लिया है पर अपने बेटे वीरेंद्र रावत को इस सीट से टिकट दिलवाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। वहीं, विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा छोड़ कांग्रेस में वापसी करने वाले डॉ. हरक सिंह रावत ने भी हरिद्वार लोक सभा सीट से दावेदारी पेश की है। हालांकि, इन दिनां ईडी के निशाने पर हैं लेकिन अपनी दावेदारी और जनसंपर्क में लगातार जुटे हैं।
पौड़ी – भाजपा के तीरथ सिंह रावत मौजूदा सांसद। लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी यहां से त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रत्याशी बना सकती है तो वहीं कांग्रेस की ओर से पिछला चुनाव भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूडी के बेटे मनीष खंडूडी ने लड़ा था लेकिन तीरथ सिंह रावत से हार गए। इस बार भी दावेदारी कर रहे हैं। वहीं, इस सीट पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल को भी दावेदार माना जा रहा है। खबरों की माने तो कांग्रेस हाईकमान भी चाहता है कि गणेश गोदियाल इस सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़ें।
टिहरी – भाजपा से माला राज्यलक्ष्मी शाह लगातार तीसरी बार इस सीट पर सांसद हैं। पर फिलहाल टिकट पर संकट मंडरा रहा है। युवा मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नेहा जोशी, टिहरी जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण और कर्नल अजय कोठियाल ने भी दावेदारी पेश की है। कांग्रेस की ओर से पिछला चुनाव प्रीतम सिंह ने लड़ा था लेकिन बड़े अंतर से हार गए। अब तक कोई दावेदार सामने नहीं आया है।