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महुआ मोइत्रा ने गंवाई लोकसभा सदस्यता, पैसे लेकर सवाल पूछने के थे आरोप

– पैसे लेकर सवाल पूछने के लगे थे टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर आरोप, शुक्रवार को महुआ मोइत्रा के निष्कासन का पेश प्रस्ताव ध्वनिमत से हुआ मंजूर
PEN POINT, DEHRADUN : तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में शुक्रवार को सदन की सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। इससे पहले सदन में लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के बाद उसे मंजूरी दी गई जिसमें मोइत्रा को निष्कासित करने की सिफारिश की गई थी। विपक्ष विशेषकर तृणमूल कांग्रेस ने यह आग्रह किया कि मोइत्रा को सदन में उनका पक्ष रखने का मौका मिले, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहले की संसदीय परिपाटी का हवाला देते हुए इससे इनकार कर दिया।
हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब सदन में पैसे लेकर सवाल पूछने को लेकर किसी सांसद पर कार्रवाई हो रही है। इससे पहले भी कई सांसदों को पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप में अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी। अकेले भाजपा के ही छह सांसदों को पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोप में अपनी सदस्यता से हाथ धोना पड़ा था।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर आरोप है कि उन्होंने लोकसभा में सवाल पूछने के एवज में बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे और महंगे तोहफे लिए थे। शुक्रवार को सदन में महुआ मोइत्रा को अपना पक्ष न रखने देने के विपक्ष के आरोप पर बीजेपी सांसद हिना गावित ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। 2005 में कांग्रेस सरकार के दौरान एक ही दिन रिपोर्ट पेश की गई और उसी दिन 10 सांसदों को निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि मैंने 2 घंटे तक पूरी रिपोर्ट पढ़ी है। हिना ने कहा कि 47 बार दुबई से महुआ मोइत्रा का अकाउंट लॉगइन हुआ, जबकि नियमों में साफ लिखा है कि अपना संसदीय आईडी पासवर्ड किसी के साथ शेयर नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि चार अलग-अलग शहरों से महुआ का अकाउंट लॉगइन हुआ।
रियल एस्टेट अरबपति निरंजन हीरानंदानी के बेटे दर्शन हीरानंदानी ने तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा से जुड़े कैश फॉर क्वेरी विवाद में दावा किया कि उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछने के लिए सांसद महुआ मोइत्रा के संसदीय लॉगिन का इस्तेमाल किया था। करीब महीने भर तक चली जांच के बाद आचार समिति की रिपोर्ट में इस बात की तस्दीक की गई है कि महुआ मोइत्रा की संसदीय लॉनिग का उपयोग किया गया और सवाल भी कारोबारी दर्शन हीरानंदानी की ओर से टाइप किए गए। अब आचार समिति ने सांसद मोइत्रा की सदस्यता रद करने का सुझाव दिया था।

पैसे लेकर सवाल पूछने पर निलंबित 12वीं सांसद बनी महुआ मोइत्रा
हालांकि, भारतीय संसद में यह पहला मामला नहीं है जब पैसे लेकर माननीय सांसदों ने सवाल पूछे। 2005 में भी एक ऐसे ही मामले से पूरा देश हिल गया था जब एक वीडियो में दिखा कि जनता द्वारा चुने गए सांसद कारोबारी हितों के लिए पैसे लेकर सदन में सवाल पूछते हैं। साल 2005 की घटना में उस वक्त के 11 सांसद हाथ में पैसे लेते दिखे थे। एक निजी चौनल ने 12 दिसंबर 2005 को वीडियो जारी किया था, जिसके बाद सियासी गलियारों में भूचाल आ गया था. इस वीडियो में दावा किया गया था कि इन सांसदों ने सवाल पूछने के बदले पैसे लिए थे। दो पत्रकारों ने तत्कालीन सांसदों के खिलाफ एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया था, जो 12 दिसंबर 2005 को एक निजी समाचार चौनल पर प्रसारित हुआ था। इस वीडियो में संसद में सवाल पूछने के बदले में नकद लेने की बात सामने आई थी। इसे सवाल के बदले नकद घोटाला यानी कैश फॉर क्वेरी स्कैम के नाम से जाना जाता है। इस 2005 के सवाल के बदले नकद घोटाला मामले दिसंबर 2005 में लोकसभा ने 10 सदस्यों को निष्काषित कर दिया था जबकि लोढ़ा को राज्यसभा से हटाया गया था।

इन सांसदों पर था पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप
इस स्टिंग में 11 सांसदों पर पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने का आरोप लगा था। इनमें शामिल थे भाजपा के सांसद वाईजी महाजन, छत्रपाल सिंह लोढ़ा, चंद्र प्रताप सिंह, अन्ना साहेब, एम के पाटिल, प्रदीप गांधी शामिल थे। साथ ही राजद के मनोज कुमार कांग्रेस के राम सेवक सिंह, बसपा से नरेंद्र कुमार कुशवाहा, लालचंद्र कोल और राजा रामपाल शामिल थे। इनमें से 10 लोक सभा सांसदों को निष्कासित कर दिया गया तथा एक राज्यसभा सांसद को हटाया गया था।

यह है महुआ मोइत्रा मामला
सदन में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के बीच कई बार तीखी झड़प होती रही है। दोनों सांसद एक दूसरे पर समय समय पर निशाना साधते रहे। इस बार भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को 15 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया है कि मोइत्रा द्वारा लोकसभा में हाल के दिनों तक पूछे गये 61 प्रश्नों में से 50 अडानी समूह पर केंद्रित थे। दुबे ने कहा है कि किसी समय मोइत्रा के करीबी रहे देहाद्रई ने मोइत्रा और कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के बीच अडानी समूह तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को बिगाड़ने के लिए रिश्वत के लेनदेन के ऐसे साक्ष्य साझा किये हैं जिन्हें खारिज नहीं किया जा सकता। वहीं, दर्शन हीरानंदानी की ओर से जारी एक हलफनामे में भी लिखा गया था कि महुवा मोइत्रा ने प्रधानमंत्री मोदी की ‘छवि खराब करने और उन्हें असहज करने’ के लिए गौतम अडानी पर निशाना साधा।

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