मौसम के तेवर देख यूपीसीएल को भी छूटने लगा पसीना
–बीते सालों तक मार्च अप्रैल महीने के दौरान बिजली की मांग रहती थी औसत, इस बार फरवरी में ही मौसम के तेवर छुड़ा रहे पसीना
– राज्य में बिजली उत्पादन से तीन गुना ज्यादा मांग, बाजार से महंगी दरों पर खरीदकर उपभोक्ताओं तक पहुंचानी होती है बिजली
पंकज कुशवाल, देहरादून: इस साल सर्दियों के दौरान बारिश व बर्फवारी में मौसम की कंजूसी से फरवरी में ही धरती तपने लगी है। पारे में दस से 12 डिग्री की बढ़ोत्तरी जहां वसंत में लोगां के पसीने छुड़ाने लगा है तो वहीं बिजली की मांग में बढ़ोत्तरी की संभावनाएं देखते हुए यूपीसीएल के भी अभी से पसीने छूटने लगे हैं। गर्मियों की समय से पहले दस्तक के चलते इस बार बिजली की मांग बढ़ने और इसके लंबे समय तक जारी रहने से यूपीसीएल को भी तगड़ी चपत लगनी तय है। साथ ही बाजार से मांग के अनुरूप बिजली लगातार खरीदकर आपूर्ति बहाल किए रखना यूपीसीएल के लिए मुश्किल होने के साथ ही बेहद खर्चीला भी है। प्रदेश में गर्मियों की दस्तक के साथ ही बिजली की मांग बढ़कर 45 मिलियन यूनिट तक पहुंच जाती है, जबकि राज्य में कुल उत्पादन 15 मिलियन यूनिट के करीब है, जबकि केंद्रीय पूल आवंटित कोटे से राज्य को 14 मिलियन यूनिट के करीब बिजली रोज मिलती है। इसके बावजूद भी मांग बढ़ने पर यूपीसीएल के पास बाकी बिजली बाजार से खरीदने का दबाव रहता है।
तैयार रहना होगा बिजली कटौती के लिए
हालांकि, लंबी बिजली कटौती कर बाजार खरीद का बोझ निगम कुछ कम करता है लेकिन भीषण गर्मियों में बिजली कटौती करना निगम के लिए भी आसान नहीं होगा। ऐसे में मांग के अनुरूप निगम को बाजार से 12 मिलियन यूनिट से भी अधिक बिजली खरीदनी पड़ेगी जो जिसके लिए पीक आवर में 12 से 15 रूपये प्रति यूनिट तक का भुगतान करना पड़ता है। यह यूपीसीएल को काफी महंगी पड़ती है। बीते सालों तक फरवरी से लेकर अप्रैल महीने तक राज्य में मौसम खुशगवार बना रहता रहा है लिहाजा इस दौरान बिजली की मांग औसत बनी रहा करती थी लेकिन मई और जून में बिजली की मांग बढ़ जाती तो मामूली कटौती के साथ ही मांग को पूरी करने के लिए यूपीसीएल बाजार से महंगी बिजली खरीदता। लेकिन, इस साल सर्दियां समय से पहले खत्म हुई तो वसंत के इस खुशगवार मौसम में ही लोगों के पसीने छूटने लगे हैं। वहीं, मौसम विभाग भी बता रहा है कि आने वाले दिनों में पारे में लगातार बढ़ोत्तरी जारी रहेगी ऐसे में इस साल बिजली की मांग समय से पहले बढ़ने के साथ ही बढ़ी हुई मांग का लंबे समय तक चलेगी। तो या तो लोगों को इस साल लंबी अघोषित कटौती के लिए तैयार रहना होगा या फिर यूपीसीएल बाजार से महंगी बिजली खरीदकर आपूर्ति को बहाल बनाए रखेगा।
600 करोड़ की बिजली बाजार से खरीदनी पड़ रही
राज्य में बिजली तीन माध्यमों से मिलती है। एक राज्य की विभिन्न जल विद्युत परियोजनाओं से होने वाले उत्पादन से जो राज्य की मांग का कुल 30 फीसदी के करीब है बाकी केंद्रीय पूल से और उसके बाद पावर एक्सचैंज से। इसके अलावा करीब 10 से 12 मिलियन यूनिट बिजली यूपीसीएल को बाजार से खरीदनी होती है। बाजार से बिजली खरीद के लिए यूपीसीएल को 600 करोड़ रूपये से अधिक की रकम खर्च करनी होती है लेकिन यदि मांग गर्मियों के दौरान पीक आवर में ज्यादा बढ़े तो यह खर्च 700 से 800 करोड़ तक खर्च करना पड़ता है।