रहस्यः बद्रीनाथ-केदारनाथ को जोड़ने वाला पुजारी ट्रैक मिथक है या हकीकत ?
Pen Point, Dehradun : कभी केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में पूजा का जिम्मा एक ही पुजारी के पास था। सुनने में ये बात अटपटी जरूर है, लेकिन कई बातें आज भी इस बात की ओर इशारा करती हैं। उत्तराखंड की धरती ऐसी कई कहानियों से भरी पड़ी हैं, जिन्हें सुनकर कौतूहल के साथ आस्था पैदा हो जाती है। कुछ लोग इन्हें महज मान्यताएं करार देते हैं तो कुछ आस्थावश इन पर भरोसा करते हैं। पुजारी ट्रैक की कहानी भी ऐसी ही है। हिमालय के बर्फीले इलाके में पहाड़ी लोगों के जीवट की ओर इशारा करते पुजारी ट्रैक की बातें आज भी होती हैं। जिसके मुताबिक एक ही पुजारी शाम को बद्रीनाथ सुबह केदारनाथ की पूजा अर्चना को पहुंचते थे। दुर्गम हिमालयी रास्ते से होते हुए करीब पचास किमी का यह सफर अब भी पहेली बना हुआ है। कहा जाता है कि केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खोलने के लिये भी पुजारी के साथ इन्हीं रास्तों से लोग गुजरते थे। आज भी उस ट्रैक को तलाश जा रहा है कि लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिल सकी है।
दरअसल, बद्रीनाथ और केदारनाथ को जोड़ने वाले इस प्राचीन मार्ग को खोजने की मुहिम साल 2014-15 में हुई। तब केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग ने करीब तीन करोड़ रूपए की लागत से त्रिजुगीनारायण से केदारनाथ और चौमासी से खाम बुग्याल होते हुए केदारनाथ ट्रेक तैयार किये थे।
एनआईम ने शुरू की थी मुहिम
तब केदारनाथ में पुनर्निर्माण का काम कर रहे नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) ने यह बीड़ा उठाया था। सेना के कंटूर मैप से पूरे इलाके और ट्रैक का विश्लेषण किया गयां। जिसमें पता लगाया गया कि इस ट्रैक पर कुदरती झीलें चट़टाने ओर ग्लेशियर पसरे हुए हैं। निम ने इस मुहिम को धरातल पर उतारने के लिये ऐवरेस्टर सूबेदार तेजपाल सिंह रावत के नेतृत्व में दस लोगों की एक टीम बनाई। निम के सूत्रों के मुताबिक तक पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण भी इस मुहिम में शामिल होने को तैयार हो गए थे। लेकिन इस खास मुहिम को उव समय शासन से जरूरी मदद नहीं मिल सकी। लिहाजा पुजारी ट्रैक को तलाश करने की मुहिम परवान नही चढ़ सकी।
सेवानिवृत्त सुबेदार तेजपाल सिंह नेगी ने बताया कि मकसद था कि जनमानस में चर्चित इस ट्रैक का पता लगाया जाए। जिससे साहसिक पर्यटन के लिये इस क्षेत्र में एक नई राह खुलतीं। उन्होंने बताया कि सरकार चाहे तो अब भी किसी पेशेवर संस्था से इस काम को करवा सकती है।
गंगोत्री से बद्रीनाथ और केदारनाथ के हैं ट्रैक
गंगोत्री धाम से बद्रीनाथ के लिये करीब 120 किमी लंबा कालिंदी ट्रैक है। जिस पर हर साल ट्रैकिंग ग्रुप आवाजाही करते हैं। करीब चौदह दिन का यह ट्रैक गोमुख, नंदनवन, रक्तवन, सीता ग्लेशियर से होता हुआ करीब पांच हजार की उंचाई पर कालिंदी पास दर्रे से होता हुआ बद्रीनाथ की ओर उतरता है। वहीं गंगोत्री से केदारनाथ ट्रैक भी पांच दिन का है। केदारडोम और उडनकोल दर्रों से होते हुए कई साहसिक ट्रैकिंग दल और पर्वतारोही इस रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा यमुनोत्री से गंगोत्री के लिये भी पैदल ट्रैक मौजूद है। ऐसे में केदारनाथ से बद्रीनाथ ट्रैक होने की बातों को बल मिलता है। माना जा सकता है कि दुर्गम होने के कारण यह रास्ता उपयोग में ना आने के कारण आवाजाही लायक ना रह गया हो।