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NGT ORDER : बेनीताल झील को बचाने के लिये जरूरी उपाय किये जाएं

Pen Point, Dehradun : अनियंत्रित मानवीय गतिविधियां पहाड़ों में पर्यावरण पर विपरीत असर डाल रही हैं। चमोली जिले की बेनीताल झील का अस्तित्व भी इसी समस्या के चलते संकट में माना जा रहा है। इस झील और उसके जलग्रहण क्षेत्र के संरक्षण और प्रबंधन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रीबयूनल (NGT) ने अहम दिशा निद्रेेश दिये हैं। उल्लेखनीय है कि

उत्तराखंड के चमोली जिले में बेनीताल झील का आकार अपने मूल 2 हेक्टेयर विस्तार से 0.116 हेक्टेयर कम हो गया है। यह झील भूजल पुनर्भरण पर सकारात्मक प्रभाव डालने, स्थानीय वनस्पतियों को सीचंने, क्षेत्र में पारिस्थितिक स्थिरता बनाए रखने के साथ लगभग छह गांवों के लिए सुरक्षित और स्वच्छ पानी उपलब्ध कराती है।

बीते साल 9 नवंबर, 2023 के एनजीटी के आदेश के अनुपालन में चमोली के जिला मजिस्ट्रेट ने इस संबंध में एक हलफनामा प्रस्तुत किया था। जिसमें झील के संरक्षण को लेकर की गई कार्रवाई की जानकारी दी गई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार एक संयुक्त निरीक्षण में पाया गया कि बेनिताल झील में जलाशय के भीतर जलीय जीवन की सुरक्षा और सफाई के लिए किसी भी प्रावधान के बिना पर्याप्त मात्रा में जलीय घास मौजूद है। हालांकि पेड़ों की अवैध कटाई की पुष्टि की बात साफ नहीं हो सकी है, लेकिन घटनास्थल पर पुराने पेड़ों के ठूंठों के अवशेषों की पहचान की गई।

निरीक्षण के दौरान, बेनिताल झील की परिधि पर कटाव देखा गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह बरसात के मौसम के कारण हुआ, मानव या यांत्रिक गतिविधियों के कारण होने वाले कटाव का कोई संकेत नहीं मिला। इसके अतिरिक्त, ठोस कचरे के विभिन्न रूप, जैसे प्लास्टिक की बोतलें, मवेशियों का गोबर, रैपर, कांच की बोतलें और पैकेजिंग सामग्री, झील के चारों ओर बिखरे हुए देखे गए।

26 फरवरी, 2024 को NGT ने निर्देश दिये हैं कि नाजुक हिमालय से जुड़े महत्व को ध्यान में रखते हुए, आसपास के क्षेत्र में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के पहलुओं और बेनिताल झील और उसके जलग्रहण क्षेत्र के संरक्षण और प्रबंधन पर वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन-2017) के नियमों के अनुसार उचित ध्यान देने की आवश्यकता है।

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