Parasite : आसान नहीं नौकरी पाने की राह, तंत्र में घर कर बैठे हैं नकल माफिया
– बीते साल भर में सरकारी विभागों में तैनात 18 अधिकारियों कर्मियों को पुलिस कर चुकी है गिरफ्तार
– साल भर में अलग अलग परीक्षाओं के पेपर लीक, नकल, अवैध नियुक्तियों के चलते पुलिस 70 से ज्यादा लोगों को ले चुकी है हिरासत में, प्रदेश के लाखों बेरोजगार युवाओं के सपनों को बेचने वालों को मिलता रहा है विभागों में जमे भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों का संरक्षण
PEN POINT, DEHRADUN : बीते एक साल में जिस तरह की घटनाएं सामने आई है उन घटनाओं ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे लाखों बेरोजगारों युवाओं के हौसले को तोड़ कर रख दिया है। बेहद सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों से लड़कर परीक्षा की तैयारियों में जुटे बेरोजगारों के लिए यह समय सबसे मुश्किल भरा रहा है। लगातार रद होती परीक्षाओं के साथ ही राज्य में चल रहे नौकरी देने के गोरखधंधे ने युवाओं के हौसलों को पस्त कर दिया है।
बीते साल से शायद ही कोई महीना गुजरा हो जब उत्तराखंड में प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल, नौकरियां बेचने, अवैध नियुक्तियों का मामला सामने ने आया हो। नकल माफियाओं, नौकरी के सौदागरों के अलावा उत्तराखंड भर्ती घोटालों में सरकारी विभागों में काम कर रहे और प्रतियोगी परीक्षाओं के निष्पक्ष आयोजन के लिए जिम्मेदार तंत्र में शामिल कुछ अधिकारियों और कर्मियों की भूमिका भी इस दौरान तंत्र के दीमक के रूप में सामने आई है। यह तंत्र के दीमक सिर्फ तंत्र को ही खोखला नहीं कर रहे, बेरोजगारों के सपनों को भी चकनाचूर कर रहे हैं। आलम यह है कि बीते एक साल के दौरान ही नौकरी बेचने, पेपर लीक करने और प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी के चलते एक सेवानिवृत वन सेवा अधिकारी समेत 17 कर्मचारी पुलिस की गिरफ्त में है। इसमें पेपर लीक करवाने में प्रत्यक्ष भूमिका के साथ ही पेपर बेचने और नौकरियों में अपनों को फायदा पहुंचाने के गंभीर आरोप इन कर्मियों पर लगे हैं।
वर्ष 2015 से अब तक यूकेएसएसएससी और यूकेपीएससी की ओर से 3314 पदों के लिए आयोजित की गई इन भर्ती परीक्षाओं में धांधली के लिए 70 आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पेपर लीक करवाने से लेकर पेपर बेचने और पेपर खरीदने वाले अभ्यिर्थियों को नकल करवाने के आरोप में गिरफ्तार इन आरोपियों में सबसे बड़ी चिंता शासन के 18 लोगों के शामिल होने की है। एक भारतीय वन सेवा के रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारी समेत 2 अनुभाग अधिकारियों की संलप्तिता प्रदेश के तंत्र के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। पुलिस और जांच एजेंसी भी मान रही है कि ज्यों ज्यों नौकरियों को बेचने के इस गोरखधंधे से पर्दे हटेंगे त्यों त्यों तंत्र के भीतर घर कर बैठे अन्य दीमकों के भी सामने आने की आशंका है। यूकेएसएसएससी के पूर्व अध्यक्ष व राज्य में वन प्रमुख रहे डा. आरबीएस रावत, पूर्व सचिव मनोहर सिंह कन्याल, पूर्व परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र सिंह पोखरिया और यूकेपीएससी के निलंबित अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी भी शामिल हैं। इस मामले में यूकेपीएससी का एक अन्य अनुभाग अधिकारी संजीव कुमार फरार है। इससे साफ है कि नकल माफिया की पैठ न केवल सत्ता के गलियारों तक है, बल्कि भर्ती परीक्षा की आयोजक संस्थाओं में भी उनकी अच्छी साठगांठ है। जिन परीक्षाओं में गड़बड़ी पकड़ी गई है, उनमें दो कांग्रेस तो छह भाजपा के शासनकाल में कराई गईं। उत्तराखंड में सक्रिय नकल माफिया गिरोह तंत्र के भीतर बैठे इन दीमकों के जरिए ही इतना बड़ा नेटवर्क का संचालन कर रहे थे जो बार बार परीक्षाओं में बेरोजगार युवाओं का हक मारकर अयोग्य को पैसे लेकर नौकरियां दे रहे थे। पेपर लीक करवाने से लेकर लॉकर में रखी ओएमआर सीट में गड़बड़ी जैसे अपराधों को यह नकल माफिया अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर अंजाम देते रहे। बीते साल भर में 8 कर्मचारी स्नातक स्तरीय पेपर लीक मामले में, 2016 की वीपीडीओ भर्ती घोटाले में सेवानिवृत आईएफएस समेत 4 कर्मचारी, लोक सेवा आयोग में लेखपाल व अन्य पेपर लीक मामले में लोक सेवा आयोग के दो अनुभाग अधिकारी, फर्जी बीएएमएस डिग्री कांड में चिकित्सा परिषद के 3 कर्मचारी, पेपर लीक मामले में 1 उपनल व 2 पीआरडी के कर्मी पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं। जबकि, 2016 पुलिस दरोगा भर्ती में नकल व अवैध ढंग से नियुक्ति मामले में बीते महीने ही 20 दरोगा निलंबित किए जा चुके हैं।
धांधली के चलते ये भर्ती परीक्षाएं हुईं रद
वीपीडीओः राज्य में छह मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) के 196 पदों के लिए भर्ती परीक्षा हुई थी। यह परीक्षा यूकेएसएसएससी ने कराई थी, जिसका परिणाम 26 मार्च 2016 को घोषित किया गया। कुछ समय पहले पता चला कि इस परीक्षा में अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट से छेड़छाड़ की गई थी। इस प्रकरण में यूकेएसएसएससी के पूर्व अध्यक्ष डा. आरबीएस रावत, पूर्व सचिव मनोहर सिंह कन्याल, पूर्व परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र सिंह पोखरिया सहित छह को गिरफ्तार किया जा चुका है। एसटीएफ इसकी जांच कर रही है।
स्नातक स्तरीयः यूकेएसएसएससी ने चार और पांच दिसंबर 2021 को यह भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। विभिन्न विभागों में स्नातक स्तरीय 933 पदों को भरने के लिए कराई गई इस परीक्षा का पेपर लीक हो गया था। इस मामले में नकल माफिया हाकम सिंह, केंद्रपाल और प्रश्नपत्र छापने व परीक्षा की अन्य जिम्मेदारियों संभाल रही आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस के मालिक राजेश चौहान समेत 43 आरोपितों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया।
सचिवालय रक्षक : यह भर्ती परीक्षा 33 पदों के लिए आयोजित की गई थी। 26 सितंबर 2021 को हुई इस भर्ती परीक्षा का पेपर भी आरएमएस टेक्नो साल्यूशंस के कर्मचारी ने यूकेएसएसएससी के अंदर से लीक किया था। इसका पता तब लगा, जब स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा की जांच शुरू हुई। इस मामले में एक आरोपित को गिरफ्तार किया गया है।
वन दारोगाः वन दारोगा की भर्ती परीक्षा 16 से 25 जुलाई 2021 तक आनलाइन हुई थी। 316 पदों के लिए हुई इस भर्ती में धांधली से पर्दा तब उठा, जब स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा की जांच की गई। इस भर्ती की जांच करने के लिए यूकेएसएसएससी की ओर से एसटीएफ को पत्र लिखा गया था। इस परीक्षा का पेपर भी लीक हुआ था। इस मामले में चार आरोपित गिरफ्तार किए गए।
लेखपाल : यह भर्ती परीक्षा आठ जनवरी 2023 को राज्य लोक सेवा आयोग ने आयोजित की थी। 536 पदों के लिए हुई भर्ती परीक्षा की जांच में सामने आया कि आयोग के अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने ही इसका पेपर लीक कर दिया। इस मामले की जांच एसआइटी कर रही है। इस प्रकरण में संजीव चतुर्वेदी समेत 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इन भर्ती परीक्षाओं की चल रही जांच
दारोगा (सीधी भर्ती) : वर्ष 2015 में हुई उत्तराखंड पुलिस में दारोगा की सीधी भर्ती में भी घपलेबाजी सामने आई। 339 पदों पर हुई इस भर्ती में ओएमआर शीट के साथ छेड़छाड़ तो हुई ही, कई अभ्यर्थी फर्जी दस्तावेजों के सहारे भी पेपर देकर दारोगा बन गए। अब विजिलेंस की जांच के बाद 20 दारोगाओं को निलंबित किया गया है। इस मामले में जांच चल रही है।
एई और जेई भर्ती परीक्षा : राज्य लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2022 में जेई के 735 पदों के लिए सात से 10 मई तक और एई के 166 पदों के लिए 23 से 26 मई तक परीक्षा कराई थी। लेखपाल भर्ती पेपर लीक का राजफाश होने के बाद इस भर्ती परीक्षा में भी धांधली की बात सामने आई। अब एसआइटी की जांच में इसकी पुष्टि होने के बाद नौ आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस पेपर लीक को भी लेखपाल भर्ती की धांधली में लिप्त गिरोह ने अंजाम दिया था।