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पौड़ी अपने खोये हुए वैभव को लौटाने और विकास के लिए एक मंच पर आने को तैयार ?

PEN POINT, PAURI : पौड़ी यूं तो किसी पहचान का मोहताज नहीं है। लेकिन अलग राज्य के लिए जिस तरह से कमिश्नरी हेड क्वार्टर होने के कारण इस शहर ने अपनी अग्रणी भूमिका निभाई वह इतिहास में दर्ज है। पौड़ी जिले का मुख्यालय होने के कारण भी यह शहर जिले के ऐतिहासिक पुरुषों के योगदान के लिए ब्रिटिश दौर से ही कई मायनों में केंद्र बिन्दु रहा। देश आजाद हुआ, यूपी में रहते हुए भी इस शहर की तूती बोलती थी। लेकिन आंदोलन की धरती रही पौड़ी ने अलग राज्य बनने के बाद सबसे बुरा दंश झेला। ज्यों-ज्यों समय बीतता गया इस शहर की उत्तराखंड की सरकारों और यहाँ से वोट लेकर सत्त्ता के शिखर तक पहुँचने वाले नेताओं ने इसकी घोर अनदेखी की। यह किसी से छुपा हुआ तथ्य नहीं है।

पौड़ी की अनदेखी की चर्चाएं अब सरे आम हो कर कहीं गुम सी हो चली हैं। बीते बरस प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ये जिम्मेदारी अपने कन्धों पर उठाने का बीड़ा उठाया था, लेकिन उस पौड़ी शहर को लेकर क्या कुछ हुआ। यह सब पौड़ी के लोग जान और बूझ रहे हैं। यहाँ से निकले बड़े नेताओं ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए कई बार पौड़ी की अनदेखी पर कुल जमा सियासी लाभ लिया और चलते बने। पौड़ी के विकास और उसके स्वर्णिम वैभव को लौटाने को लेकर खोखली बयानबाजी और हवाई दावे किये गए। पौड़ी की जनता छली जाती रही पर किसी ने उफ़ तक नहीं की। लेकिन बड़े लम्बे वक्त के बाद पौड़ी शहर को बचाने के लिए, यहाँ से हो रहे पलायन और अन्य तमाम मुद्दों के समाधान के लिए लोग एक बार इकठ्ठा होने शुरू हो गए हैं।

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मंडल मुख्यालय पौड़ी और उसकी समस्याओं को लेकर शहर के लोग एक बार फिर एक साथ रामलीला मैदान में नजर आए। तमाम राजनीतिक झंझावातों को छोड़ कर विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने यहाँ पौड़ी के खोये हुए वैभव को लौटाने पर चिंतन किया और समस्याओं के निदान के लिए विचार व्यक्त किये। यूं तो इसे सम्मलेन का नाम दिया गया था। इस सम्मलेन में शहर के लोग बड़ी संख्या में रामलीला मैदान पहुंचे। इतना ही नहीं बीजेपी कांग्रेस और अन्य तमाम स्वतंत्र विचारधारा से जुड़ हुए लोग भी यहाँ पहुंचे।

सम्मलेन में लोगों ने पौड़ी को लेकर गहन चिंता जाहिर की। जिसमें शहर की विभिन्न समस्याओं के निस्तारण का हल ढूंढने की कोशिशें की गयी। इस मौके पर शहर की विभिन्न समस्याओं जैसे ट्रंचिंग ग्राउंड निर्माण के जरिए शहर का कूडा निस्तारण, बढ़े हुए पेयजल बिल व भवन कर, शहर से हो रहे पलायन समेत विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गई। संगठनों से जुड़े हुए लोगों ने चर्चा करते हुए शहर की अन्य विभिन्न समस्याओं का हल ढूंढने की कोशिश की तथा अपने-अपने सुझाव दिए।

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राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन, भूतपूर्व सैनिक संगठन, महिला संगठन, छात्र संगठन, संस्कृति कर्मी, लोक कलाकार, और बुद्धिजीवी लोगों ने इस सम्मलेन में हिस्सा लिया.

अंततः इन समस्याओं के लिए समाधान के लिए एक विस्तृत योजना बनाने और उसके लिए एक ढांचा बनाए जाने पर बल दिया गया। जिससे पूरी योजना बना कर प्रशासन से लेकर सरकार के स्तर पर इन समस्याओं के निस्तारण को टीम आगे बढ़ाए। जहाँ समस्याएं पैदा हों उसके लिए यदि नागरिकों के स्तर पर किसी तरह से कोई दिक्कत पेश आए तो, उसके लिए सामूहिक प्रयास भी किए जाने की जरूरत पड़ने पर निर्णय लेना तय किया जाए। मसलन यदि कोई संस्थान या कोई बड़ा प्रोजेक्ट पौड़ी में स्थापित किया जाना हो और उसके लिए भूमि की जरूरत पड़ती है, तो इसके लिए स्थानीय जनता को सामूहिक रूप से तैयार करने के लिए काम करना पडेगा।

इस मसले पर पौड़ी ब्लॉक प्रमुख दीपक कुक्साल ने बताया कि आज पौड़ी शहर कई समस्याओं से जूझ रहा है। लोग लगातार शहर छोड़ रहे हैं। यहाँ अफसर टिकने को तैयार नहीं हैं। सरकार का ढीला रवैया और यहाँ के बड़े नेता भी इस दिशा में आज तक कोई गंभीर प्रयास नहीं कर पाए। दीपक बताते हैं इससे बड़ी भूल हमारे पुराने लोगों ने की जब यहाँ स्वामी राम हिमालयन अस्पताल और मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाने को लेकर निर्णय लिया गया था, तब हमारे लोगों ने जमीन देने से इंकार कर दिया। ऐसे में यहाँ लाये जाने वाले तमाम बड़े संस्थान अन्यत्र स्थापित कर दिए गए। जिसका नतीजा आज की पीढ़ी बेरोजगारी और स्वास्थ्य जैसी समस्याओं के तौर पर भुगत रही है। लेकिन अब भी देर नहीं हुई है . हम सब को मिलजुलकर इसके लिए एक मंच पर आना ही होगा.

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पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रहे केसर नेगी कहते हैं कि वे किसी काम के सिलसिले में पौड़ी से बाहर थे, इसलिए इस बैठक में शामिल नहीं हो पाए, लेकिन उनका कहना है कि शहर के विकास और यहाँ लम्बे समय से व्याप्त समस्याओं के समाधान के लिए शहर वासियों का एकत्रित होना अच्छा संकेत है। लोग सामने आ रहे हैं और पौड़ी के विकास के लिए अपनी समस्याओं के साथ ही समाधान और सुझाव लेकर बाहर आ रहे हैं, ऐसे में पौड़ी को उसका वाजिब हक़ दिलाने के लिए जो भी हर संभव प्रयास किये जाने हैं, राजनीति से ऊपर उठकर हम उसके लिए सामूहिक रूप से हमेशा खड़े हैं।

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इस बैठक में शामिल होने पहुंचे विनोद नेगी कहते हैं कि पौड़ी उत्तराखंड आंदोलन की जननी रही है। लेकिन आज राज्य बनने के बाद पौड़ी गहरी ख़ामोशी ओढ़ें बैठी है। यहाँ सडकों की हालत बेहद खराब हैं, गन्दगी का आलम सब देख ही रहे हैं। यहाँ नेताओं को बढ़ा-चढ़ा कर भाषण देने की लत पड़ गयी है। उन्होंने कहा पौड़ी को इस हालत में पहुँचाने के लिए हम ही दोषी हैं। हमें आपसी मदभेद भुला कर एक मंच पर आकर चिंतन करने की जरूरत है। इसके अलावा आगे क्या होना चाहिए, इसके लिए लगातार आगे बैठकें जारी रखनी चाहिए। यहाँ की समस्याओं के समाधान के लिए सामूहिक प्रयास सबसे जरूरी हैं।

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सम्मलेन में पहुँची प्रियंका कहती हैं कि पौड़ी शहर का व्यापार लगातार प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा यहाँ लगातार रोजगार के मौके सिकुड़ते जा रहे हैं। शहर में कूड़े के निस्तारण की कोई समुचित व्यवस्था नहीं बन पा रही है। लेकिन जिस तरह से लोगों की मौजूदगी इस सम्मलेन में दिख रही है, और यहाँ पहुंचे शहर के आम लोग भी अपनी पीड़ा को खुल कर बयां कर रहे हैं। उन्होंने कहा इस तरह की बैठकें लगातार जारी रहनी चाहिए। इसके लिए आगे ग्रुप बनाना पड़ेगा।

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इस सम्मलेन को आयोजित करने को लेकर सामने आये युवा नमन चंदोला कहते हैं कि पौड़ी शहर की समस्याओं को लेकर अभी तक लोग चौक चौराहों पर बात करते थे। लेकिन आज इस सम्मेलन में जिस तरह से लोग यहाँ पहुंचे हैं और बिना किसी पूर्वाग्रह के सभी राजनीतिक पार्टियों के लोग यहाँ आये और सबने पौड़ी के जिला अस्पताल, पानी, बिजली की समस्याओं सहित तमाम बातें एक सुर में यहाँ पर रखी, वह शहर के भले के लिए एक जुटाता को दर्शा रही है। लोगों की परेशानियों और सुझावों की सूची बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि इन तामाम बिंदुओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट बनाये जाएगी और प्रस्ताव बना कर सरकार के सामने रख कर उनका त्वरित निराकरण करने का आग्रह किया जाएगा। यदि सरकार इस दिशा में समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो पौड़ी के लोग बड़ा जनांदोलन करेंगे।

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कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि बड़े लम्बे वक्त के बाद पौड़ी के लोग शहर के विकास को लेकर एक साथ एक मंच पर एक विचार के साथ खड़े नजर आए। बिना किसी पर राजनीतिक दोषारोपण के यह बैठक आयोजित की गयी। अब आगे देखने वाली बात होगी कि लोगों के जज्बात और पौड़ी की अनदेखी को एक मंच पर लाकर इसे कौन सी दिशा में आगे ले जाया जाएगा।

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