‘फेयर एंड लवली’ साबित न हो जाए दो हजार का नोट वापिस लेने की योजना
– 2016 में हुई नोटबंदी के दौरान 99 फीसदी से अधिक मुद्रा के वापिस आने से सरकार के काले धन के प्रहार की निकली थी हवा
– विपक्ष ने इसे बताया था काले धन को वैध मुद्रा में बदलने की योजना, कहीं दो हजार के नोटों को वापिस लेना भी न हो ‘फेयर एंड लवली’ योजना
PEN POINT, DEHRADUN : याद है आपको 8 नवंबर 2016 को जब रात आठ बजे देश के प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का एलान करते हुए इसे काले धन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई बताया था तो ज्यादातर लोगों ने भी माना कि काला धन रखने वालों के नोट कबाड़ बन जाएंगे। लेकिन, दो साल बाद जब भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया कि बाजार में प्रचलित 99 फीसदी से अधिक नोट बैंकों में जमा हो गए तो काला धन के कबाड़ होने के प्रचार की भी हवा निकल गई।
टब बीते शुक्रवार शाम भारतीय रिजर्व बैंक ने एलान किया कि बाजार में प्रचलित 2 हजार के नोट अब प्रचलन से हटा दिए जाएंगे और इन्हें 30 सितंबर तक बैंक में जाकर बदला जा सकता है। इसके बाद से ही मीडिया और सोशल मीडिया पर इसे काले धन पर कड़ा प्रहार बताकर मोदी सरकार के इस फैसले की शान के कसीदे गढ़े और पढ़े जाने लगे। आरबीआई की माने तो फिलहाल बाजार में साढ़े तीन लाख करोड़ रूपए के मूल्य वाले 2 हजार के नोट प्रचलन में है और ज्यादातर नोट बाजार से गायब हैं। लेकिन, इसके बाद सवाल उठने लगा है कि क्या यह फैसला भी ब्लैक मनी के रूप में दो हजार रूपए के नोटों को दबाए बैठे लोगां के लिए फिर से अपनी ‘ब्लैक’ मनी को ‘व्हाइट’ करने का मौका है। 2016 में हुई नोटबंदी के बाद जब आरबीआई ने वापिस आए नोटों पर रिपोर्ट जारी की थी तो कई लोगां ने इसे काले धन को वैधानिक स्वीकृति देने वाला फैसला बताया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे ‘फेयर एंड लवली स्कीम’ का नाम तक दे डाला था।
8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात आठ बजे टीवी पर आकर तब प्रचलन में रहे 500 और 1 हजार के नोटों को प्रचलन से बाहर करने का एलान किया। तब इसे काले धन पर करारी चोट करार दिया गया। बताया गया कि देश में बड़े पैमाने पर एक हजार और पांच सौ रूपए के नोटों के रूप में जो काला धन छिपाया गया है वह अब बेकार हो जाएगा। इसे मीडिया और सरकार समर्थकों ने काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक करार दिया था। हालांकि, इस फैसले के बाद पूरे देश को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। देश में नकदी संकट छाने के साथ ही लोगां को कई कई दिनों तक घंटों एटीएम, बैंकों की लाइनों में लगना पड़ा। लाइनों में ही 100 से अधिक लोगां की भी मौते हुई तो काम के अतिरिक्त बोझ से बैंक कर्मचारियों ने भी जान गंवाई।
भाजपा सरकार ने नोटबंदी को सफल करार दिया। लेकिन, नोटबंदी के दो साल बाद जब आरबीआई ने रिपोर्ट जारी कर बताया कि 99 फीसदी से अधिक नोट वापिस बैंकों में जमा हो गए तो इस दावे की हवा जरूर निकल गई कि नोटबंदी से काला धन खत्म हो गया। नोटबंदी के बाद बाजार में प्रचलित पांच सौ और एक हजार रूपए के बस 10 हजार करोड़ रूपए के ही नोट बैंकों में वापिस नहीं आए। ऐसे में जो दावे किए जा रहे थे उनकी हवा निकलने के साथ ही बड़े पैमाने पर काले धन बैंकों के जरिए वैध मुद्रा जरूर बन गई। आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि नोटबंदी के बाद बाजार में प्रचलित 15 लाख 31 हजार करोड़ रुपये के पुराने नोट वापस आ गए जबकि 8 नवंबर 2016 तक बाजार में एक हजार और पांच सौ के 15 लाख 41 हजार करोड़ रुपये से अधिक की मुद्रा प्रचलन में थी। यानि कुल दस हजार करोड़ रूपए के पुराने नोट ही वापिस नहीं आ सके।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि नोटबंदी जैसी घोषणा ने आम लोगों की जिंदगी को मुसीबत में डाला तो काला धन रखने वाले लोगों को उनकी रकम को बैंक के जरिए वैध धन में बदलवा दिया।
ऐसे में अब बीते शुक्रवार को जब आरबीआई ने एलान किया है कि बाजार में प्रचलित साढ़े तीन लाख करोड़ रूपए के मूल्य वाले दो हजार के नोट 23 मई से बैंकों में बदले जा सकेंगे तो फिर सवाल उठने लगा है कि एक बार फिर काले धन को वैध मुद्रा में बदलने का मौका सरकार ने काला धन जमा करने वालों को दे दिया है।