Search for:
  • Home/
  • उत्तराखंड/
  • अंग्रेजों के जमाने में शुरू हो गई थी चारधाम यात्रा की हवाई सेवा

अंग्रेजों के जमाने में शुरू हो गई थी चारधाम यात्रा की हवाई सेवा

-1930 में हरिद्वार से गौचर तक शुरू हुई थी हवाई सेवा, दस सीटर विमान से यात्रियों को लेकर आते थे अंग्रेज पायलट

Pen Point, Dehradun : हर साल की गर्मियों की तरह इस बार भी उत्‍तराखंड में चारधाम यात्रा सीजन चढ़ाव पर है। यात्रा में आवाजाही के साधनों पर नजर डालें तो बीते कुछ सालों से इसमें हैली सेवा की मांग बढ़ी है। हालांकि बीते दिनों खराब मौसम के कारण यह हवाई सेवा बंद करनी पड़ी थी। फिलहाल अब फिर से इसके लिए बुकिंग शुरू हो गई हैं। गौरतलब है कि हवाई सेवा ने चारधाम यात्रा के स्‍वरूप को काफी हद तक बदला हे। लेकिन चारधाम यात्रा के लिए हवाई सेवा नई बात नहीं है। अंग्रेजों के जमाने में जब गढ़वाल के अधिकांश इलाकों में सड्कें नहीं थी, तब यहां हवाई सेवा शुरू हो गई थी।

चारधाम यात्रा का इतिहास टटोलने पर पता चलता है कि सबसे पहले 1930 में हिमालयन एयर ट्रांसपोर्ट एंड सर्वे कंपनी ने चारधाम यात्रा के लिए हवाई सेवा की शुरुआत की थी। हरिद्वार से गौचर के बीच यह हवाई सेवा यात्रियों के बीच काफी लोकप्रिय हुई। जिसमें एक तीन इंजन के हैलीकॉप्‍टर में एक बार में दस यात्रियों को ले जाया जाता था। हैलीकॉप्‍टर में अंग्रेज पायलट और इंजीनियर ही होते थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी किताब यूनिटी ऑफ इंडिया में गढ़वाल यात्रा का भी उल्‍लेख किया है। 1938 में उन्‍होंने गढ़वाल की यात्रा की थी, और यहां सड़क संपर्क ना होने से उन्‍हें काफी मायूसी हुई थी। नेहरू लिखते हैं कि यहां स्‍कूली बच्‍चों से बातचीत में पता चलता है कि नब्‍बे फीसदी ने कभी ट्रेन, कार और अन्‍य वाहन नहीं देखा था, लेकिन उन्‍होंने ऐरोप्‍लेन जरूर देखा था। भारत की वायसराय रहीं लेडी विलिंग्‍डन ने 1936 में इसी हवाई सेवा से गौचर पहुंची थीं। जहां विक्‍टोरिया क्रॉस सम्‍मान से नवाजे गए दरवान सिंह नेगी ने इस हाई प्रोफाइल मेहमान का स्‍वागत किया था।

हिमालयन एयर ट्रांसपोर्ट एंड सर्वे कंपनी ने उत्‍तर भारत के हिमालयी इलाकों में कई हवाई सेवाएं संचालित की थी। जिसके तहत हिमालय की दुर्गम इलाकों तक लोगों और जरूरी सामान को पहुंचाया जाता था। इस सेवा के जरिए अंग्रेजों के लिए भी हिमालय के कई हिस्‍सों को जानने समझने में सहूलियत हुई।

उत्‍तराखंड में आज की हवाई सेवा

उत्‍तराखंड बनने के बाद सबसे पहले केदारनाथ के लिए हैली सेवा की शुरूआत हुई थी। तब गुप्‍तकाशी के पास फाटा में पहला हैलीपैड बनाया गया था। फिर राज्‍य सरकार ने देहरादून के सहस्‍त्रधारा हैलीपैड से चारों धामों के लिए हैलीकॉप्‍टर की उड़ानें शुरू की। समय के साथ यहां हैली सेवा ने तेजी पकड़ी और और अब कई हैली कंपनियां यह सेवा देने लगीं। खास तौर पर केदारनाथ आपदा के समय राहत बचाव के कामों में हैलीकॉप्‍टर सेवा की बड़ी भूमिका रही।

चारधाम रेलवे प्रोजेक्‍ट का काम तेजी पर

हैली सेवा के साथ ही चारधाम यात्रा के लिए ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन भी मील का पत्‍थर साबित होगी। चारधाम रेलवे प्रोजेक्‍ट का यह पहला फेज पचास फीसदी तक पूरा हो चुका है। जानकारों के मुताबिक दो साल बाद इस ब्रॉड गेज लाइन पर ट्रेन का आवागमन शुरू हो जाएगा। 125 किमी की इस रेल लाइन में 12 स्‍टेशन तैयार हो रहे हैं, और अधिकांश हिस्‍से में रेल भूमिगत यानी टनल के अंदर ही दौड़ेगी। खास बात यह है कि इस प्रोजेक्‍ट का सर्वे भी अंग्रेजों ने 1927 में पूरा कर लिया था, लेकिन पहाड़ में रेलवे लाइन तैयार करने के भारी भरकम खर्च के कारण उन्‍होंने यह विचार छोड़ दिया था।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required