पीएम मोदी ने दिया सियासी संकेत, बतौर प्रधानमंत्री तीसरी पारी भी खेलेंगे !
Pen Point , Dehradun : हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली जीत से भाजपा का जोश में है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस जोश से लबरेज हैं। देहरादून में निवेशक सम्मेलन में उनके भाषण में यह साफ़ नजर आया। उह्नोने विपक्ष को परोक्ष तौर पर चुनौती देते हुए ललकारते हुए कहा कि जिसमें दम हो, मैदान में आ जाएं, फायदा उठा लें। मैं गारंटी देता हूं कि जो बातें हम बताते हैं उन्हें पूरा कराने के लिए हम खड़े भी रहते हैं।
इससाथ ही निवेशक सम्मेलन के मंच से प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि मैं देशवासियों को भरोसा दिलाता हूं कि मेरे तीसरे कार्यकाल में देश, दुनिया के टॉप 3 इकॉनमी में आकर रहेगा। पीएम मोदी ने आने वाले आम चुनाव को लेकर ये इशारा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा निवेशक सम्मेलन में पहुंचे उद्योगपतियों ने कहा कि आप सभी बिजनेस की दुनिया के दिग्गज हैं। आप अपने काम का विश्लेषण करते हैं। आप सभी चुनौती का आकलन करके रणनीति बनाते हैं।
मोदी ने कहा हमें चारों तरफ आकांक्षा, आशा, आत्मविश्वास दिखेगा। कहा कि हाल के विधानसभा चुनाव में हमने देखा है। उत्तराखंड के लोगों ने पहले ही स्थिर और मजबूत सरकार बनाके दिखाई है। जनता ने सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर वोट दिया है।
गौरतलब है कि हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों में मध्य प्रदेश में भाजपा की राह आसान नहीं मानी जा रही थी। कमोबेश यही स्थिति राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी थी। अधिकांश चुनावी विश्लेषक भाजपा को पिछड़ा हुआ मानकर चल रहे थे। लेकिन भाजपा की रणनीति ने इन तीनों राज्यों में बड़े अंतर से बहुमत हासिल किया। जिसमें स्थानीय छत्रपों को किनारे करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को ही तरजीह दी गई। जिसका परिणाम भाजपा के पक्ष में रहा। इस बात ने एक बार फिर साबित किया कि नरेंद्र मोदी भाजपा के सबसे बड़े नेता और खेवनहार हैं।
हारी हुई बाजी को जीत में बदलने की इस सियासी घटना ने आने वाले आम चुनावों के लिये भाजपा को काफी हद तक आश्वस्त कर दिया है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुले तौर पर विपक्ष को ललकारने में नहीं चूक रहे। जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल लोकसभा चुनाव के लिये चौगुना हो गया है। हालांकि माना जा रहा है कि साफ तौर पर आगामी सफलता का संदेश देने के पीछे मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने की रणनीति है। जिसमें कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल भाजपा से काफी पिछड़ चुके हैं।