पुष्कर सिंह धामी: हिंदुत्व का नया ‘ब्रांड’ बनने की राह पर सीएम
-मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद लगातार अपने बयानों और फैसलों कें केंद्र में हिंदु मुस्लिम विवादों को ही रखते आ रहे हैं पुष्कर सिंह धामी
-हिंदु मुस्लिम मुद्दों से जुड़े बयानों और फैसलों से पार्टी और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों की बटोरते रहे हैं वाहवाही
PEN POINT, DEHRADUN : बीते शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाकर 2018 से लेकर अब तक प्रदेश में हुए अंतरधार्मिक विवाहों की जांच करवाने के निर्देश दिए। इस बावत सभी जिलों के पुलिस कप्तान और जिलाधिकारियों को पिछले पांच सालों में हुए धर्म परिर्वतन के मामलों, हिंदु मुस्लिम विवाह की जांच करने के निर्देश जारी किए गए। यह पहला मौका नहीं है जब पुष्कर सिंह धामी ने हिंदु मुस्लिम विवाद को अपनी प्राथमिकता में रखा हो, इससे पहले मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद लगातार वह ऐसे बयान और फैसले लेते रहे हैं जिससे वह हिंदुत्व का नया ब्रांड बन सके।
पिछले एक साल में उनके बयानों और फैसलों का कुल जमा तो यही निकलता है। 2022 विधानसभा चुनाव में अपनी सीट गंवाने के बाद भी उन पर हाईकमान ने भरोसा जताया और उन्हें उत्तराखंड की कमान सौंपी। मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने सबसे पहले चुनाव में किए वादे को पूरा करने का फैसला लिया। वह वायदा था कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करना। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही 27 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। इस समिति को राज्य में समान नागरिक संहिता के अध्ययन और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना। दावा किया जा रहा है कि जून आखिर तक समान नागरिक संहिता का पहला ड्राफ्ट समिति राज्य सरकार को सौंपेगी और जल्द ही राज्य में समान नागरिक संहिता लागू होगी। समान नागरिक संहिता आजादी के बाद से ही देश की राजनीति का सबसे बड़ा मुद्दा रहा है। बड़ी मुस्लिम आबादी इसे उनके धार्मिक मान्यताओं में बड़ी चोट मानती रही है तो हिंदुओं का बड़ा तबका मुस्लिमों पर भी उन्हीं नियमों को लागू करने की मांग करता रहा है जो हिंदुओं पर लागू हैं। समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा कर पुष्कर सिंह धामी ने हिंदु संगठनों समेत देश भर में समान नागरिक संहिता का समर्थन करने वालो लोगों की खूब तारीफें बटोरी। अब शायद ही कोई सप्ताह बीतता है जब पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता पर कोई न कोई बयान न दिया हो।
इसके बाद पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में 2018 में लागू धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम में संशोधन का एलान किया। नवंबर 2022 में आयोजित हुए विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री ने धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम संसोधन कानून पेश किया। इसमें जबरन धर्म परिर्वतन करवाने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान रखा गया। 29 नवंबर 2022 को राज्यपाल से स्वीकृति मिलने के बाद इसे कानूनी मान्यता मिली तो तब से लेकर अब प्रदेश भर में 18 से ज्यादा लोगों के खिलाफ इस अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है जिसमें से 17 ऐसे लोग है जिन पर हिंदुओं को मुस्लिम धर्म अपनाने को मजबूर करने का आरोप लगा है। जबरन धर्म परिर्वतन को लेकर बना यह कानून देश भर में सबसे कड़ा कानून माना जाता है और इस फैसले को लेकर पुष्कर सिंह धामी ने देश भर में हिंदुत्व का समर्थन करने वाले वर्ग की वाहवाही बटोरी तो कई संगठनों और बुद्धिजीवियों ने इस कानून के जरिए मुसलमानों के खिलाफ क्रूरता का हथियार बनाने का भी आरोप लगाया।
धार्मिक स्वतंत्रता संशोधन अधिनियम बनाने के बाद से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने बयानों, सार्वजनिक भाषणों में जबरन धर्म परिर्वतन पर रोक लगाने के लिए इसे अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित प्रसारित किया। तो 2023 की शुरूआत में मुख्यमंत्री ने प्रदेश की वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण कर बनाई गई मजारों के खिलाफ भी अभियान शुरू कर दिया। हालांकि, वन विभाग के इस अभियान में अवैध कब्जा कर बने मंदिर भी चपेट में आए लेकिन मीडिया और पार्टी संगठन के जरिए मुख्यमंत्री ने इसे अवैध मजारों पर कार्रवाई की तरह पेश किया। तो इसके बाद उन्होंने एक न्यूज एंकर द्वारा दिए गए शब्द ‘लैंड जिहाद’ को अपने भाषणों का हिस्सा बनाना शुरू कर दिया। मजारों के ध्वस्तीकरण को मुख्यमंत्री ने ‘लैंड जिहाद’ के खिलाफ कार्रवाई के तौर पर प्रचारित प्रसारित किया।
अब मुख्यमंत्री ने कथित लव जिहाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बीते दिनों अंतरधार्मिक विवाह के लिए मजिस्ट्रेट से अनुमति के फैसले के बाद अब मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को आयोजित बैठक में पिछले पांच सालों में हुई अंतरधार्मिक विवाहों की जांच के आदेश जारी कर दिए है।
मुख्यमंत्री धामी बीते महीनों में कई बार अपने भाषणों में उत्तराखंड में जनसांख्यकीय बदलाव का भी जिक्र करते हैं। बकौल मुख्यमंत्री, पिछले कुछ सालों में प्रदेश के बड़े हिस्से मंे हिंदुओं की आबादी के मुकाबले बाहरी मुस्लिमों की बसावट तेजी से बढ़ी है जिससे राज्य में डेमोग्राफिक बदलाव हो रहे हैं। इसके लिए मई 2023 में उन्होंने एक समिति का गठन कर इसकी जांच करवाने का भी आदेश जारी किया था जिसमें अधिकारियों को प्रमुख शहरों में जनसांख्यकीय बदलावों के जांच के निर्देश दिए।
इन फैसलों को लेकर सोशल मीडिया पर पुष्कर सिंह धामी को उनके समर्थकों की ओर से खूब समर्थन मिला। जबकि देश की मीडिया के साथ ही भाजपा हाईकमान की ओर से से सार्वजनिक मंचों पर पुष्कर सिंह धामी के इन कामों की जमकर तारीफ भी मिली। साल भर के अपने कार्यकाल में पुष्कर सिंह धामी ने अपने हिंुदत्व की छवि को निखारने पर ही ध्यान केंद्रित किया है। यहां तक कि जब भाजपा प्रशासित राज्यों में जब अन्य मुख्यमंत्री अपने हिंदुत्व की छवि से इतर सभी वर्ग के मतदाताओं से खुद को जोड़ने की कोशिशें करते दिखते हैं तो ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का लगातार हिंदु मुस्लिम को लेकर फैसले, बयान इस बात की तस्दीक भी करते हैं कि जब भाजपा के युवा नेतृत्व या कहें दूसरी पीढ़ी के नेतृत्व में धामी अपनी छवि को संघ व संगठन अनुकूल बनाकर पहली पंक्ति में खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. देवेंद्र भसीन कहते हैं कि मुख्यमंत्री का अपनी छवि को हिंदुत्व का लीडर बनाने का सवाल नहीं है, मुख्यमंत्री सिर्फ उन वादों को पूरा कर रहे हैं जो उन्होंने प्रदेश की जनता से किया था। डॉ. भसीन कहते हैं कि देवभूमि के देवत्व की रक्षा करना, प्रदेश की मूल पहचान की रक्षा करना हर मुख्यमंत्री का दायित्व था लेकिन पुष्कर सिंह धामी इसके लिए आगे बढ़कर काम कर रहे हैं। वह कहते हैं कि यह फैसले मुस्लिमों की खिलाफ नहीं है बल्कि सीमांत प्रदेश की संवेनशीलता को देखते हुए इसके डेमोग्राफिक बदलाव से देश की सुरक्षा को होने वाले खतरे से बचाव का है। डॉ. देवेंद्र भसीन इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को आगे बढ़ाने का मुख्यमंत्री द्वारा प्रयास बताते हैं।
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत कहते हैं कि सालभर में जिस तरह से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बयान रहे हों या उनके फैसले रहे हों यह एक पक्षीय रहे हैं और प्रदेश में हिंदु मुस्लिम के बीच खाई को गहरी करने वाले रहे हैं। वह कहते हैं कि मुख्यमंत्री धामी उस संविधान की शपथ का भी उल्लघंन कर रहे हैं जिसमें उन्हांेने बिना राग द्वेष के साथ प्रदेश के प्रत्येक नागरिक के साथ समान व्यवहार की शपथ ली थी। जय सिंह रावत कहते हैं कि फिलहाल प्रदेश में हिंदु मुस्लिम विवाद के चलते कई महत्वपूर्ण विषय नेपथ्य में चले गए हैं और इससे सरकार को राहत मिली है।