रायपुर क्रिकेट स्टेडियम : बनना तो उम्मीदों का खुला आसमान था, पर बन गया सफेद हाथी
– अपने निर्माण के बाद चुनिंदा मैचों का आयोजन ही हो सका है रायपुर क्रिकेट स्टेडियम में, निर्माण के दौरान प्रदेश के युवाओं की उम्मीदों को लगे थे पंख पर अब पसरी है निराशा
Pankaj Kushwal, Dehradun : देहरादून में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को बने यूं तो 8 साल हो गए हैं लेकिन अब तक यह स्टेडियम राज्य के प्रतिभावान खिलाड़ियों को अवसर देने में नाकाम रहा है। राजनीतिक खींचातान और कुप्रबंधन की भेंट चढ़ा इस स्टेडियम को यूं क्रिकेट की प्रतिभाओं के साथ ही देहरादून की आर्थिकी के लिए उम्मीदों का खुला आसमान बनना था लेकिन लापरवाही और कुप्रबंधन के चलते यह सफेद हाथी साबित हो रहा है।
देहरादून शहर के एक छोर पर रायपुर में नई नई बनी कांग्रेस सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने नवंबर 2012 नए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का भूमि पूजन किया। इससे पहले तक राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम न होने के कारण राज्य की क्रिकेट टीम को भारतीय क्रिकेट बोर्ड की मान्यता नहीं मिल पा रही थी तो राज्य की टीम रणजी खेलों में हिस्सा लेने नहीं दिया जा रहा था। लिहाजा लंबी मांग और तमाम उम्मीदों के साथ इस स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरू हुआ। करीब 237 करोड़ रूपए खर्च कर 25 हजार दर्शक क्षमता वाले इस स्टेडियम का निर्माण 2016 में पूरा हो गया। उम्मीद थी कि राज्य की प्रतिभाओं को मौका मिलने के साथ ही इस स्टेडियम में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मैचों का आयोजन हो सकेगा। 16 दिसंबर 2016 को जब मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस स्टेडियम का उद्घाटन किया तो राज्य को जहां अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच के आयोजन के लिए एक सभी सुविधाओं युक्त स्टेडियम मिल चुका था तो साथ ही राज्य के क्रिकेट के भविष्य की राह भी खुलने लगी थी। लेकिन, इस स्टेडियम में पहली बार भीड़ क्रिकेट मैच देखने के लिए तो नहीं बल्कि रेसलिंग के आयोजन के लिए जुटी। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस स्टेडियम में मशहूर अंतरराष्ट्रीय रेसलिंग के सितारे ग्रेट खली की रेसलिंग का आयोजन करवाया। भारी भीड़ जुटी, यह भीड़ और भीड़ प्रबंधन इस स्टेडियम को परखने का भी मौका साबित हुआ। उस दिन उमड़ी भीड़ और रायपुर क्षेत्र में ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने के लिए पुलिस ने खूब पसीना बहाया लेकिन यह साबित हो गया था कि यदि भविष्य में इस स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय मैच हुए और इस तरह की भीड़ उमड़ी तो दर्शकों को स्टेडियम से ज्यादा वक्त ट्रैफिक में ही गुजारना पड़ सकता है। साल 2017 में कांग्रेस चुनाव हार गई तो राज्य में भाजपा सरकार की वापसी हुई। ग्रेट खली की रेसलिंग के बाद इस स्टेडियम में सन्नाटा पसर गया लेकिन यह सन्नाटा तब टूटा जब 2018 के शुरूआती दिनों में ही इस स्टेडियम को अफगानिस्तान की टीम ने अपना दूसरा होम ग्राउंड के तौर पर चुना। लिहाजा, अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम के अभ्यास सत्र के दौरान स्टेडियम में मानवीय आवाजही बनी रही। उसी दौरान इस स्टेडियम को पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच की मेजबानी का मौका भी मिला। अफगानिस्तान और बांग्लादेश की टीम ने इस स्टेडियम में 3 जून 2018 को इस स्टेडियम में अपना पहला टी20 मैच खेला। इसके बाद इस स्टेडियम में 24 फरवरी 2019 को अफगानिस्तान और आइरलैंड का टी20 मैच का आयोजन इस स्टेडियम में किया गया। इसके अलावा 28 फरवरी और 10 मार्च 2019 को अफगानिस्तान ने आयरलैंड के खिलाफ पहला एक दिवसीय मैच इस मैदान में खेला। इसके अलावा अफगानिस्तान ने आयरलैंड के खिलाफ 15 से 18 मार्च 2019 तक इस मैदान में टेस्ट मैच भी खेला। साल 2018 में ही तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस मैदान के संचालन का जिम्मा इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशिएल सर्विसेज कंपनी को लीज पर दिया गया। कंपनी को इस स्टेडियम के संचालन के साथ ही करीब 3 एकड़ की भूमि पर खेल के लिए आधारभूत संरचनाओं की स्थापना करना था लेकिन कंपनी कुछ ही महीनों में दिवालिया हो गई। लिहाजा, संचालन का काम भी प्रभावित होने लगा इसी दौरान देहरादून इंटीग्रेटिड अरीना लि. को इसका संचालन सौंपा गया। इस दौरान इस स्टेडिय में बीते साल वेटनर क्रिकेटर के टी20 मैचों का आयोजन भी किया गया। इसी महीने इस स्टेडियम में फिर से रिटायर्ड अंरराष्ट्रीय क्रिकेट सितारों का मजमा जुटने वाला था लेकिन उससे पहले ही कंपनी और राज्य सरकार में ठन गई। खेल मंत्री रेखा आर्य ने स्टेडियम में किसी भी तरह के आयोजन की अनुमति देने से मना कर दिया तो साथ ही कंपनी के साथ पांच साल पहले हुए अनुबंध को बीते शनिवार को रद कर दिया गया। खेल मंत्री का आरोप था कि कंपनी ने अनुबंधन की शर्तों को पूरा नहीं किया साथ ही 12 करोड़ की बैंक गारंटी भी नहीं दी। हालांकि, यह भी दीगर है कि बिना 12 करोड़ रूपए की बैंक गारंटी दिए बगैर कंपनी पांच सालों तक स्टेडियम का संचालन करती रही लेकिन पांच सालों तक राज्य सरकार की ओर से कंपनी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।
खैर, अब शनिवार को यह स्टेडियम वापिस राज्य सरकार के कब्जे में आ गया इसके साथ ही इस स्टेडियम में आने वाले दिनों में क्रिकेट मैचों के आयोजनों के भविष्य पर भी संकट मंडराने लगा है। राज्य सरकार को इस साल 38वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन की मेजबानी मिली है और राज्य सरकार के खेल मंत्रालय की योजना राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन इसी स्टेडियम से करने का है। नवंबर दिसंबर में प्रस्तावित राष्ट्रीय खेलों से पहले इस मैदान में खिलाड़ियों के अभ्यास कैंप समेत अन्य सुविधाएं भी स्थापित की जा सकती है।
राज्य सरकार और क्रिकेट संघ की लड़ाई का खामियाजा भुगताना पड़ा स्टेडियम को
राज्य की क्रिकेट प्रतिभाओं को संभावनाओं का खुला आसमान उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से बना यह स्टेडियम राज्य सरकार और क्रिकेट संघ के बीच अहं की लड़ाई का शिकार बन गया। राज्य सरकार ने पांच साल पहले भले ही इस स्टेडियम के संचालन का जिम्मा निजी कंपनी को दिया हो लेकिन सरकार का आयोजनों में पूरा दखल रहा लिहाजा इस स्टेडियम में 2019 के बाद 2023 तक कोई बड़ा क्रिकेट आयोजन नहीं हो सका। बीते साल पुराने क्रिकेट खिलाड़ियों के कुछ लीग मैचों को छोड़ यह मैदान बदहाल ही रहा। आलम यह था कि 25 हजार की क्षमता वाले इस स्टेडियम की कुर्सियां टूट गई थी तो मैदान का रख रखाव न होने से मैदान में घास झाडियां उग आई थी। क्रिकेट संघ और राज्य सरकार इस मैदान को अपने मुताबिक चलाने पर अड़े रहे। आखिरकार राज्य सरकार इसे अपने कब्जे में ले चुकी है। हालांकि, बीते साल मई में हुई कैबिनेट में जब इस स्टेडियम को वापस लेने का प्रस्ताव पारित किया गया तो सरकार ने दावा किया था कि इसे पीपीपी मोड पर संचालित किया जाएगा। लेकिन, अब जब कुछ महीनों बाद सरकार को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी करनी है तो ऐसे में इसे पीपीपी मोड पर संचालित करने की योजना फिलहाल अगले साल तक के लिए टल सकती है। वहीं, उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिशन भी लंबे समय से इस स्टेडियम का संचालन अपने हाथ में लेना चाहता है लेकिन राजनीतिक हितों के टकराव के चलते राज्य सरकार और यूसीए के बीच बात बनती नहीं दिख रही जिसका खामियाजा राज्य के प्रतिभावान खिलाड़ियों को उठाना पड़ रहा है।