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आज भी प्राकृतिक और धार्मिक तौर पर बेहद संपन्न है कत्यूरी राजवंश का यह इलाका…

Pen Point, Dehradun : उत्तराखंड अपनी जैव विविधता, धर्म और संस्कृति लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां जिक्र करते हैं देवभूमि के उस जिले की जहाँ विराजते हैं भगवान बद्रीनारायण यानी बद्रीनाथ और भगवान शिव से जुड़े हुए गोपीनाथ मंदिर वाले चमोली के गोपेश्वर शहर की। यह शहर जिला मुख्यालय होने अलावा एक विख्यात पर्यटक स्थल भी है। यह स्थान विशेष कर देवो के देव महादेव भगवान शिव के गोपीनाथ मंदिर के लिए सनातन आस्था के मानने वालों के लिए काफी प्रसिद्ध है।

गढ़वाल क्षेत्र में ट्रैकिंग की दीवानों के लिए गोपेश्वर बेहद पसंदीदा स्थल है। यहाँ ट्रेकिंग के लिए आने वाले प्रकृति प्रेमी खूबसूरत वादियों का दीदार तो करते ही है इसके अलावा आध्यात्मिकता का अनुभव भी करते है। यहाँ सबसे ज्यादा लोग भगवान शिव का गोपीनाथ मंदिर देखने के लिए पहुंचते है। इतिहास के नजरिये से इस मंदिर का निर्माण 9-11 वीं शताब्दी के दौरान हुआ बताया जाता है।

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बताया जाता है कि प्राचीन काल में इस इलाके में कई कई अन्य छोटे बड़े कस्वे हुआ करते थे। लेकिन गुजरते वक्त के साथ साथ उनका अस्तित्व ख़त्म हो गया। इतिहासकार मानते है कि नौवीं शताब्दी के दौरान ही गोपेश्वर गाँव को गोपीनाथ मंदिर के इर्द गिर्द बसाया गया, जो समय के साथ छोटे से कस्वे से बड़ा शहर बन गया और वर्तमान में जिला मुख्यालय है। गोपेश्वर के निचले और चमोली कस्वे से अलकनंदा नदी बहती है। जिसमें आगे चलकर की अन्य नदियां आकर समा जाती हैं।

गढ़वाल के अन्य हिस्सों की तरह यहाँ भी कत्यूरी राजवंश का शासन हुआ करता था। कत्यूरी राजवंश ने अपनी राजधानी के रूप में कार्तिकेयपुर जिसे जोशीमठ और बैजनाथ के तौर पर जाना जाता है। कत्यूरी राजवंश के पतन के बाद दसवी शताब्दी के दौरान गढ़वाल छोटे छोटे हिस्सों में बंट गया। जिनकी संख्या करीब 52 तक बताई जाती है, जिन्हें 52 गढ़ों के रूप में जाना जाता है। मौजूदा वक्त में गोपेश्वर उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के चमोली जिले का एक मुख्य पर्यटन स्थल हैं। जिसे अपने प्राचीन गोपीनाथ मंदिर के लिए जाना जाता है।

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गोपेश्वर चमोली जिले का बेहद सुंदर हिल स्टेशन है इसके आसपास के इलाके में आकर्षक झरने, पहाड़ और विशाल वन क्षेत्र और खूबसूरत नजारे बिखरे पड़े हैं। गोपेश्वर समुद्र तल से 1,400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ से इसके इर्द-गिर्द देवदार के पेड़ों की घनी वनस्पतियों से लदे गढ़वाल हिमालय के शानदार नज़ारे देखे जा सकते हैं। स्थानीय लोगों की मान्यताओं के अनुसार गोपेश्वर का नाम भगवान कृष्ण के नाम पर रखा गया है।

गोपेश्वर गोपीनाथ मंदिर के अलावा अनुसूया देवी मंदिर, चंडिका देवी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। हर साल कई भक्त इन सनातनी यहाँ देवताओं की पूजा करने के लिए यहाँ आते हैं। यहाँ आसपास विभिन्न चोटियों और मंदिरों की ट्रेकिंग के जरिये यात्रा की जा सकती है। चमोली जिले का तुंगनाथ मंदिर एक शानदार ट्रेक भी है। इसे सबसे ऊंचे शिव मंदिर के तौर पर जाना जाता है। इसके अलावा गोपेश्वर से महज 5 किमी दूर सग्गर गांव स्थित है यहाँ से रुद्रनाथ के लिए करीब 22 किमी लंबी यात्रा की शुरुआत होती है। यहाँ शीत काल में जमकर बर्फवारी भी होती है। इसका लुत्फ़ उठाने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ पहुंचते हैं।

यहाँ चमोलनाथ मंदिर के दर्शन कर श्रद्धालु पुण्य अर्जित करते हैं। यह गोपेश्वर शहर का एक और आस्था से प्रेरित मंदिर है। इस मंदिर के निर्माण को देख कर अभिभूत हो जाएंगे। इस शानदार शिल्प कौशल और वास्तुकला की आप बिना तारीफ़ किये हुए नहीं रहा जा सकता है।वहीं चंद्रिका देवी मंदिर यहाँ स्थित मंदिरों में से एक है, इसके परती भी लोगों में अगाध आस्था प्रकट की जाती है। यहाँ मंदिर भी उत्तर भारतीय वास्तुकला शैली में बनाया गया है।

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पर्यटकों के लिए स्कीइंग का मजा लेने का सुनहरा मौक़ा भी यहाँ मिलता है। यहां आप साहसिक स्कीइंग का माजा उठा सकते है। इसलिए, यदि आप वास्तव में स्कीइंग के इच्छुक हैं, तो आपको जनवरी और फरवरी के महीनों के दौरान यहां आना चाहिए।

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