लाल चावल का कटोरा : जितनी खूबसूरत, उतनी ही शानदार उपज देती है ये घाटी
PEN POINT : उत्तराखंड के रवांई क्षेत्र में एक कस्बा है पुरोला। इसके बीचोंबीच छोटी सी पहाड़ी नदी बहती है। जिसे कमल नदी कहा जाता है। इस नदी के किनारे और कस्बे के दोनों ओर दूर तक फैली हुई खूबसूरत घाटी है। जिसमें पसरे हुए खेतों का सिलसिला एक निगाह में नहीं समा सकता। इसके लिए नदी किनारे की सड़क पर कई मील लंबा सफर तय करना पड़ता है। तब जाकर रामा सिरांई और कमल सिरांई के दीदार किये जा सकते हैं। यहां स्थानीय बोली में सिंचित खेतों को सिरांई कहा जाता है। दरअसल, जितने खूबसूरत ये खेत दिखते हैं, उतनी ही शानदार उपज भी देते हैं।
खास तौर पर लाल चावल। स्थानीय बोली में इसकी फसल को च्वरधान भी कहा जाता है। पत्रकार व पुरोला के रहने वाले राधाकृष्ण उनियाल बताते हैं कि हिमाचल के च्वार नाम की जगह से यह धान आया है। इसीलिए च्वरधान नाम पड़ा। ज्यादा उपज के फेर में उत्तराखंड के अन्य हिस्सों में धान की नई किस्में बोई जा रही हैं। लेकिन रामा सिरांई और कमल सिरांई के लाल चावल की मांग अधिक होने के कारण यही उगाया जा रहा है। वह भी परंपरागत ढंग से, इसके बीज में कोई बदलाव नहीं हुआ।
स्वादिष्ट होने के साथ ही अपनी कई खूबियों के चलते लाल चावल की बहुत मांग है। यूं तो उत्तराखण्ड के सभी पहाड़ी इलाकों में लाल चावल होता है। लेकिन रामा सिरांई और कमल सिरांई के लाल चावल को खास पहचान मिली है। इसीलिए कमल नदी की इस घाटी को लाल चावल का कटोरा भी कहा जाता है। फिलहाल बाजार में यह चावल सौ से 120 रूप्ए किलो तक मिल रहा है। वहीं कुछ नामी कंपनियां पैकेजिंग व ब्रांडिंग के साथ इसे और महंगे दामों में भी बेच रही हैं।
पौष्टिक और बेहद गुणकारी होने के कारण इस चावल की भारत समेत विदेशों में भी अच्छी मांग है। इस चावल का रंग चावल में ऐन्थोसाएनिन नामक पदार्थ के कारण लाल होता है। यह पदार्थ चावल को लाल रंग देने के साथ ही ऐंटीऑक्सीडेंट की गुणवत्ता भी देता है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि सफेद या पॉलिश्ड चावलों की अपेक्षा लाल चावल अधिक स्वास्थ्यवर्धक है। लाल चावल में सफेद चावल की अपेक्षा जिंक सात गुना, आयरन छह गुना और फाइबर चार गुना ज्यादा होता है।
लाल चावल के फायदे
शूगर के रोगियों के लिए विशेष लाभदायक है। हालांकि शूगर में चावल से परहेज किया जाता है लेकिन लाल चावल में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण यह चावल शूगर रोगियों के लिए खाने योग्य हो जाता है। इसके अलावा यह फाइबर युक्त होता है और मेटाबॉलिज्म रेट में बढ़ोत्तरी करता है। अपने एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। इसके अलावा यह कॉलेस्ट्रल के स्तर को कम कर दिल की बीमारी को दूर रखने में मददगार होता है। उच्च मैग्नीशियम की मात्रा होने के कारण अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद है, जो शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है।