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शोध : डिजिटल युग में ऑनलाइन बैंकिंग सेवाएं गरीब समाज में कहां तक पहुंची?

Pen Point, Dehradun : डिजिटल युग में बैंकिंग सेवाओं का विस्तार होने के साथ नई तकनीकी ने काफी कुछ बदल दिया है। अब घर बैठे ही लोग बैंकिंग संबंधी काम निपटाने लगे हैं। एटीम भी पीछे छूट गया है और फोन नंबर से पैसे के लेन देन का दौर चल रहा है। सिंगल पेमेंट इंटरफेस के लिये भारत में दुनिया की दिग्गज कंपनियां फिनटेक सेवाएं दे रही है। इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर और इंटरनेट बैंकिंग बड़ी अबादी को फायदा पहुंचा रहे हैं। हालांकि कुछ सवाल अब भी मौजूद हैं कि क्या फिनटेक सेवाएं सस्ती और उपयुक्त सेवाएं प्रदान करती हैं..हाशिये पर पड़ी एक बैंक रहित आबादी इससे कितनी वंचित है। इन्हीं सवालों को तलाशने की कोशिश की है एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने।

शोधार्थी रमेश चंद्र डंगवाल और श्वेता झा ने उत्तराखंड की विभिन्न मलिन बस्तियों में यह अध्ययन किया। इस शोध परिकल्पना को करंट साइंस मैगजीन ने अपनी न्यूज गैलरी में भी जगह दी है। अध्ययन में मलिन बस्तियों में प्रधानमंत्री जनधन खाता धारकों का सर्वेक्षण किया गया। जिनमें विभिन्न सामाजिक और आय समूह सहित शैक्षिक स्थिति की जांच भी की गई। सर्वे में पाया गया कि ऐसी जगहों पर केवल पांच फीसदी ने ही 12वीं से आगे की पढ़ाई की थी। अधिकांश की प्रतिमाह आय दस हजार रूपए से कम थी। उत्तरदाताओं में पुरूष महिला अनुपात 70ः30 का था। लिकर्ट स्केल प्रश्नावली का इस्तेमाल करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि विभिन्न समूहों या लिंग के लोगों के बीच जागरूकता में कोई बड़ा अंतर नहीं था। हालाँकि, जिनके पास उच्च आय और शैक्षिक योग्यता थी उनमें फिनटेक जागरूकता अधिक थी।

क्या फिनटेक सेवाओं के उपयोग से सुधार हुआ?
शोधकर्ताओं ने पाया कि उत्तरदाताओं का इन सेवाओं की ओर रूझान बढ़ा है और वित्तीय उपयोग में वृद्धि हुई है। भुगतान बैंकों और डिजिटल भुगतान ऐप्स की उपलब्धता के कारण सेवाएं। हालांकि, कई शहरी झुग्गीवासी व्यक्तिगत बैंकिंग और नकदी को प्राथमिकता दे रहे हैं। उनमें अब भी ऑनलाइन वित्तीय लेन देन में गड़बड़ी और शिकायत दर्ज कराने को बड़ा जोखिम मान रहे हैं। कई उपयोगकर्ता ऑनलाइन पैसे कटने पर इसके कारणों तक नहीं पहुंच रहे।

आरसी डंगवाल कहते हैं, जाहिर है कि फिनटेक सेवाओं का उपयोग करने से लेन देन की गति बढ़ती है। इसकी पहुंच को बढ़ाकर और गहन बनाकर वंचित तबकों को जोड़ने की पहल की जानी चािहए। ताकि वे लोग भी वित्तीय सेवाओं का उपयोग कर सकें।

शोध में यह भी पाया गया कि शहरी झुग्गीवासियों में मोबाइल से भुगतान का बेहतर ज्ञान है। वे ऐसी सेवाएं देने वाले सभी ऐप्स का उपयोग भी कर रहे हैं। हालांकि धन के निवेश को लेकर वे अनजान हैं और इस मामले में पूरी तरह जागरूक भी नहीं।

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