संतोष ट्रॉफी: दिल्ली की टीम में दस खिलाड़ी उत्तराखंड के, अपने राज्य ने नहीं दिया मौका
Pen Point, Dehradun : फुटबॉल की प्रतिष्ठित संतोष ट्रॉफी में उत्तराखंड का प्रदर्शन निराशाजनक ही रहा है। जबकि यहां के कई खिलाड़ी अन्य राज्यों की टीमों से शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। उत्तराखंड की टीम में जगह ना मिलने के कारण इन खिलाड़ियों को अन्य राज्यों का रूख करना पड़ता है। देश के विभिन्न पेशेवर फुटबॉल क्लबों से खेल रहे ये खिलाड़ी राज्य फुटबॉल ऐसोसिएशन से बेहद खफा हैं। जबकि वे अपने राज्य की टीम से खेलना चाहते हैं, लेकिन उनके जुनून और जज्बे पर राज्य फुटबॉल ऐसोसिएशन की मनमानी भारी पड़ रही है। जिसके चलते प्रतिभाओं के बावजूद उत्तराखंड राज्य को फुटबॉल में वह पहचान नहीं मिल पा रही है, जिसका वह हकदार है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली राज्य की बीस सदस्यीय टीम में दस खिलाड़ी उत्तराखंड मूल के चुने गए हैं। संतोष ट्रॉफी के लिये चुनी गई दिल्ली की इस टीम का नेतृत्व पौड़ी के फुटबॉलर अभिषेक रावत करेंगे। उत्तराखंड मूल के अन्य खिलाड़ियों में अखिलेश देवरानी, अर्जुन बिष्ट, देशांत नेगी, गौरव नेगी, मिलंद नेगी, नीरज भंडारी, पीयूष भंडारी, ऋषभ डोबरियाल और जितेंद्र कुमार शामिल हैं। ये सभी खिलाड़ी दिल्ली के सबसे बड़े क्लबों में शामिल गढ़वाल हीरोज से जुड़े हैं। इस क्लब के खिलाड़ी उत्तराखंड में जगह ना मिलने के कारण दिल्ली के अलावा हिमांचल और हरियाणा की टीमों के लिये खेल रहे हैं।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब उत्तराखंड राज्य फुटबॉल संघ रुद्रपुर में संतोष ट्रॉफी के लिए चयन ट्रायल आयोजित कर रहा है। उन फुटबॉल खिलाड़ियों के साथ सहयोग करने के बजाय, जो दिल्ली और अन्य शहरों में पेशेवर क्लबों के लिए खेल रहे हैं और अपने गृह राज्य के लिए खेलना चाहते हैं, उत्तराखंड राज्य संघ अजीब सवाल पूछ रहा है। उन्हें अंतरराज्यीय स्थानांतरण की मांग करते हुए भी सुना गया। उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन बाहरी खिलाड़ियों के लिए परेशानी खड़ी करने की हर संभव कोशिश कर रहा है।
पूर्व में उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन ने महाराष्ट्र के एक सेवारत आरटीओ अधिकारी को अपना अध्यक्ष बनाया था। वहीं राज्य संघ अन्य से पहाड़ी राज्य के साथ अपनी साख साबित करने के लिए कह रहा है। उत्तराखंड राज्य फुटबॉल एसोसिएशन के एक शीर्ष पदाधिकारी उधम सिंह नगर में एक फुटबॉल अकादमी से जुड़े हैं और राज्य टीम में भारी संख्या में उक्त अकादमी के लड़कों का चयन करते हैं। झारखंड, मणिपुर व अन्य राज्य के लड़के बिना किसी परेशानी के चयनित हो जाते हैं. जबकि स्थानीय लोगों से घरेलू दस्तावेज मांगे जा रहे हैं।
गढ़वाल हीरोज फुटबॉल क्लब के अध्यक्ष भगवान सिंह नेगी बताते हैं कि राज्य ऐसोसिएशन का रूख खिलाड़ियों को लेकर बेहद निराशाजनक है। यही वजह है कि खिलाड़ियों को दिल्ली और अन्य राज्यों का रूख करना पड़ता है। देखा जाए तो उत्तराखंड में प्रतिभाशाली फुटबॉल खिलाड़ियों की भरमार है, लेकिन जिला स्तर से ही ऐसोसिएशन की गतिविधियां शून्य हैं, जिसके चलते खिलाड़ियों को मौके नहीं मिल रहे हैं।