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गांधी की जगह सावरकर, महात्मा को 7वें सेमेस्टर में भेजा

– दिल्ली विश्वविद्यालय ने पाठ्यक्रम में बदलाव किया, पांचवे सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा सावरकर के बारे में
– महात्मा गांधी को 7वें सेमेस्टर में पढ़ाने का फैसला, शिक्षक व छात्र कर रहे हैं विरोध
PEN POINT, DEHRADUN : दिल्ली विश्वविद्यालय में अब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पुरोधा व देश दुनिया को अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले महात्मा गांधी के बारे में पढ़ने से पहले छात्रों को विनायक दामोदर सावरकर के बारे में पढ़ना होगा। स्टैंडिंग कमेटी की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में बदलाव कर विनायक दामोदर सावरकर को पहली बार पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया लेकिन इस विषय को महात्मा गांधी से पहले जगह दी गई है। यही नहीं, तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम चुनने वाले छात्र तो महात्मा गांधी के बारे में पढ़ भी नहीं पाएंगे क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय में संशोधित पाठ्यक्रम में महात्मा गांधी को 7वें सेमेस्टर में भेज दिया है। गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में चार वर्षीय स्नातक प्रोग्राम व तीन वर्षीय स्नातक प्रोग्राम चलता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमी काउंसिल की ओर से बीते शुक्रवार को स्नातक पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए अब इसमें हिंदुत्व विचारधारा वाले विनायक दामोदर सावरकर का विषय भी जोड़ा है। सावरकर पर महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप लगता रहा है। वहीं, सावरकर को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के साथ ही महात्मा गांधी को भी सातवें सेमेस्टर भेज दिया गया है। पूर्व में महात्मा गांधी का अध्याय पांचवें सेमेस्टर का हिस्सा था लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत महात्मा गांधी की जगह सावरकर को दे दी गई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल के सदस्य आलोक रंजन ने कहा, “इससे पहले सावरकर सिलेबस का हिस्सा नहीं थे, जबकि गांधी जी को पांचवें सेमेस्टर में पढ़ाया जाता था“। वहीं, शिक्षकों के एक वर्ग ने इस कदम का विरोध किया है। ये शिक्षक वीडी सावरकर को शामिल करने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन महात्मा गांधी के चैप्टर को चौथे साल में धकेले जाने से नाराज हैं।

दिक्कत यह है
असल दिक्कत सावरकर को सिलेबस का हिस्सा बनाने का नहीं है दिक्कत है उन्हें गांधी जी की जगह देने की। दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक कार्यक्रम के तहत छात्रों के पास दो विकल्प है, 3 वर्षीय और 4 वर्षीय। ऐसे में जो छात्र 3 वर्षीय कार्यक्रम चुनते हैं या 6 सेमेस्टर, वह राजनीति विज्ञान में दुनिया के सबसे प्रासंगिक व्यक्तित्व और आजादी के आंदोलन के अगुवा महात्मा गांधी के बारे में बिल्कुल नहीं पढ़ पाएंगे। लेकिन, विवादित शख्सियत रहे सावरकर के बारे में पढ़ सकेंगे।
संशोधन करने वाली काउंसिल के एक सदस्य की माने तो गांधी को अब सावरकर की जगह पर सातवें सेमेस्टर में रखा गया है। इसी बात पर समस्या है। सावरकर को हर हाल में पढ़ाएं, लेकिन जब यह गांधी की जगह पर किया जा रहा है तो हमने इस पर आपत्ति जताई है।

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