फुटबॉल विरासत को झटका, नैनीताल का ऐतिहासिक रामपुर कप इस साल नहीं होगा
Pen Point, Dehradun : उत्तर भारत के सबसे पुराने फुटबॉल टूर्नामेंटों में से एक, रामपुर कप का आयोजन इस साल नहीं किया जाएगा। नैनीताल में हर साल होने वाला यह टूर्नामेंट वहां सर्द हवा में फुटबॉल की गर्माहट भर देता था। लेकिन मैदान की हालत और कुछ अन्य वजहों से आयोजकों को यह फैसला लेने पर मजबूर कर दिया है। जिमखाना क्लब और जिला खेल संघ (नैनीताल) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह टूर्नामेंट कुमाऊं की सौ साल से ज्यादा पुरानी फुटबॉल विरासत को साबित करता है।
उत्तराखंड फुटबॉल/देहरादून फुटबॉल के फेसबुक पेज पर रामपुर कप फुटबॉल टूर्नामेंट की 114 साल पुरानी तस्वीर और मैगजीन की रिपोर्ट साझा की गई है। मैगजीन में टूर्नामेंट के मैचों का विवरण दिया गया है। जिसके मुताबिक टूर्नामेंट में पहली हाईलैंड लाइट इन्फैंट्री बैंड टीम का दबदबा देखा गया। पहली हाईलैंड लाइट इन्फैंट्री 1908 में नैनीताल में तैनात थी। उन्होंने पहले मैच में सेंट जोसेफ अकादमी से खेला और इसे 2-0 से जीता। दूसरे मैच में उन्होंने डायोसेसन बॉयज़ स्कूल को 3-0 से हराया। फाइनल में प्रथम हाईलैंड लाइट इन्फैंट्री को रॉयल ड्रैगून्स से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा जिसे उन्होंने एक गोल से जीत लिया। मैच का सबसे महत्वपूर्ण गोल रॉबर्टसन ने किया।
जिला खेल संघ के सचिव अनिल गारिया कहते हैं, इस बार फुटबॉल मैदान की हालत दयनीय है। पहले पार्किंग क्षेत्र में मेले लगते थे, इस बार इसे खेल मैदान तक बढ़ा दिया गया है। तंबू लगाए गए और जमीन में बड़े-बड़े गड्ढे और टूटे हुए बांस के खंभे मौजूद हैं। हमने इस साल टूर्नामेंट की मेजबानी नहीं करने का फैसला किया है।
जिला खेल संघ (नैनीताल) सौ साल से भी अधिक समय से इस टूर्नामेंट की मेजबानी कर रहा है। हालांकि मौजूदा सदस्यों के पास इसके शुरू होने की सटीक तारीख और वर्ष की जानकारी उपलब्ध है। जिससे यह बताना मुश्किल है कि सबसे पहले यह टूर्नामेंट कब शुरू हुआ था। इस मामले में जिला खेल संघ ने अभिलेखों की जांच करने का भरोसा दिलाया है।
दूसरी ओर, जिला खेल संघ पर भी लगातार धन की अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। जिलाधिकारी वंदना सिंह ने संघ के फंड पर जांच करवाई थी जिसकी रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि संघ पर सोसायटी पंजीकरण को नवीनीकृत किए बिना काम करने और लंबे समय से आम बैठक की मेजबानी नहीं करने का आरोप है। जांच रिपोर्ट के समय ने भी संगठन को टूर्नामेंट आयोजित करने के लिए हतोत्साहित किया जब उनकी अपनी स्थिति बहुत खराब थी। वहीं इस प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक टूर्नामेंट को लेकर उत्तराखंड राज्य फुटबॉल ऐसोसिएशन का रवैया भी उदासीन रहा है। जबकि राज्य संघ को इस टूर्नामेंट की मदद करनी चाहिए थी, जिसमें उत्तर भारत की कई टीमें हिस्सा लेने पहुंचती रही हैं।