…तो 1991 में उत्तरकाशी में हुई तबाही का कारण भूकंप नहीं था
– दावा है कि धरती से क्षुद्रग्रहों के टकराने से उत्तरकाशी में 1991 में आए थे झटके, तेज रोशनी और भारी धमाके से हुआ था भागीरथी घाटी में भारी नुकसान
PEN POINT, DEHRADUN : 20 अक्टूबर 1991, उत्तरकाशी जनपद में लोग आधी रात को गहरी नींद में सोए थे। रात की तीन बजने को 7 मिनट बाकी थी कि तभी तेज रोशनी और भारी आवाज के साथ एक जोरदार झटके से पूरी धरती हिल पड़ी। गहरी नींद में सोए लोगों को समझ नहीं आया कि यह क्या हुआ। गहरी नींद में सोए लोगों की नींद उड़ चुकी थी और वह घर से बाहर की ओर भागे। झटका इतना जबरदस्त था कि लोग कुछ समझ पाते उससे पहले आवासीय भवन मलबे के ढेर में तब्दील हो चुके थे, हर वह संरचना जो जमीन पर मानवनिर्मित थी, उसे झटके से मलबे में बदल गई थी। अक्टूबर की उस सर्द रात में हर तरफ चीख पुकार मची थी और लोग अपनों को उस मलबे के ढेर में तलाशने में लगे थे। यह 6.8 रिक्टर स्केल का भूकंप था जिसने उत्तरकाशी जनपद की भागीरथी घाटी में भारी तबाही मचाई थी, उस एक झटके ने दो हजार लोगों को मौत की नींद सुला दिया था और हजारों लोगों को बेघर कर दिया था। सड़के, बिजली के खंबे, घर सब कुछ ध्वस्त हो चुके थे।
उत्तरकाशी में आए इस विनाशकारी भूकंप का केंद्र जिला मुख्यालय से करीब 20-25 किमी दूर केलसू क्षेत्र का ढासड़ा गांव था, गांव से कुछ दूरी पर उस रात आए भूकंप की वजह से एक बड़ी दरार आज भी उस खतरनाक मंजर की यादें ताजा कर देती है। जमीन के नीचे मची उस हलचल को याद कर उत्तरकाशी की भागीरथी घाटी के लोग आज भी सहम जाते हैं। लेकिन, क्या 20 अक्टूबर 1991 की रात को वह झटका भूकंप था या कोई अन्य कारण थे, इस पर लगातार सवाल उठते रहते हैं। बीते सालों में एक वर्ग लगातार दावा करता रहा है कि 1991 में उत्तरकाशी में आया वह विनाशकारी झटका भूकंप का नहीं बल्कि क्षुद्रग्रह यानि स्टॉरोयाड के धरती पर टकराने के कारण यह तबाही मची थी। सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून में पूर्व डिप्टी सर्वेयर के पद पर रहे बिग्रेडियर केजी बहल लंबे समय से यह दावा करते आ रहे हैं कि उत्तरकाशी में 1991 में भूकंप नहीं बल्कि धरती पर क्षुद्रग्रह के टकराने से वह तबाही आई थी। बीते साल एक अंग्रेजी अखबार में छपे अपने लेख में उन्होंने दावा किया था कि 20 अक्टूबर 1991 को उत्तरकाशी में रात को तेजी रोशनी के साथ बड़ा धमाका हुआ था, वह रोशनी इतनी तेज थी कि देहरादून तक से देखी जा सकती थी। अपने लेख में वह दावा करते हैं कि भूकंप आमतौर पर झटका पैदा करता है लेकिन उस रात को भारी आवाज के साथ धमाका हुआ था और तेज रोशनी ने यह बर्बादी लाई जिसे बाद में भूकंप का नाम दिया गया। अपने लेख में ब्रिगेडियर (सेनि) बहल दावा करते हैं कि उस दौरान अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की ओर से भी धरती पर क्षुद्रग्रहों के टकराने की संभावना जताई गई थी। उनकी माने तो नासा की ओर से बताया गया था कि धरती से टकराने जा रहा क्षुद्रग्रह धरती के किसी भी हिस्से में गिर कर तबाही मचा सकता है। उनका दावा है कि क्षुद्रग्रह के बेहद नजदीक से गुजरने या टकराने से भारी उर्जा पैदा हुई जिसकी वजह से यह जोरदार झटका आया। हालांकि, इस दावे को लेकिन न तो सरकार ने ही न विशेषज्ञों ने अपनी राय व्यक्त की है।