राज्य स्थापना दिवस : जो शहीद हुए थे उनकी जरा याद करो कुर्बानी
Pen Point, Dehradun : 2 अगस्त 1994 को पौड़ी में कुछ युवाओं ने आरक्षण की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन शुरू किया था। इस मांग को पूरे राज्य से भारी समर्थन मिलने लगा। 8 अगस्त 1994 को पहाड़ के सभी जिलों से बड़ी तादाद में लोग इस आंदोनल में शामिल होने पहुंचे। आंदोलनकारियो में अधिकांश युवा थे, लिहाजा उनके तीखे तेवर देखते हुए तत्कालीन जिला प्रशासन होश खो बैठा और प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करवा दिया। जिससे आंदोलन और ज्यादा उग्र हो गया। खास बात ये हुई कि आरक्षण से आगे बढ़कर युवा अब अलग राज्य की मांग करने लगे। जिसका असर पूरे पहाड़ी इलाकों से होता हुआ इसके निचले तलहटी तराई और भाभर क्षेत्र में फ़ैलने लगा। लोग आक्रामक हो कर आंदोलित होने लगे।
हर जगह धरना प्रदर्शन और रैलियों का सिलसिला शुरू हो गया। यूपी से अलग राज्य की मांग की गंभीरता को तत्कालीन सरकार और शासन प्रशासन भांप नहीं सके और लोगों के साथ पुलिस का टकराव बढ़ने लगा। नतीजतन 1 सितम्बर को खटीमा में पुलिस ने निहत्थे आंदोलनकारियों पर गोलियां चला दी। वहीँ दूसरी तरफ गढ़वाल में पौड़ी में 2 सितम्बर से इंद्रमणी बडोनी, दिवाकर भट्ट, यशपाल बेनाम जैसे तेज तर्रार युवा नेताओं ने धरना शुरू कर दिया। इसके बाद तो उत्तराखंड के तमाम बड़े शहरों में आंदोलन उग्र होने लगा। खटीमा गोली कांड के विरोध में जब दो सितंबर 1994 को मसूरी में विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा था, तो यहां भी निहत्थों पर गोलियां चला दी गईं। अब लोगों की भावनाएँ और तेजी से भड़कने ने लगी।
इसके बाद उत्तराखडं की जनता ने दिल्ली कूच की तैयारी कर दी। 2 अक्टूबर को पहाड़ी जनमानस विभिन्न इलाकों से दिल्ली कूच करने लगा। इसी दौरान देहरादून क्षेत्र से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे में पुलिस ने गोलीबारी की और महिलाओं के साथ जबरदस्ती की गयी। इस जघन्य काण्ड के बाद हालात बेकाबू हो गए। पन्द्रह अक्टूबर को देहरादून, पौड़ी, कोटद्वार, श्रीनगर में कर्फ्यू लगा दिया गया। उस दिन भी एक आन्दोलनकारी शहीद हो गया। 27अक्टूबर 1994 को देश के तत्कालीन गृहमंत्री राजेश पायलट ने दिल्ली आन्दोलनकारियों से वार्ता की। महीने बीतते गए और पहाड़ समेत पूरी तराई का इलाका आंदोलन की आग में जलता रहा। अक्टूबर 1995 में श्रीनगर में श्रीयंत्र टापू में अनशनकारियों पर पुलिस ने बर्बरता की। इसमें भी दो आन्दोलनकारी शहीद हुए। आज राज्य स्थापना दिवस पर इन आंदोलनकारियों को याद करते हुए हम उनकी सूची दे रहे हैं।
- खटीमा गोलीकाण्ड मारे गए लोगों के नाम हैं
- अमर शहीद स्व. भगवान सिंह सिरौला, ग्राम श्रीपुर बिछुवा, खटीमा।
- अमर शहीद स्व. प्रताप सिंह, खटीमा।
- अमर शहीद स्व. सलीम अहमद, खटीमा।
- अमर शहीद स्व. गोपीचन्द, ग्राम-रतनपुर फुलैया, खटीमा।
- अमर शहीद स्व. धर्मानन्द भट्ट, ग्राम-अमरकलां, खटीमा
- अमर शहीद स्व. परमजीत सिंह, राजीवनगर, खटीमा।
- अमर शहीद स्व. रामपाल, निवासी-बरेली।
- अमर शहीद स्व. श्री भगवान सिंह सिरोला।
इस पुलिस फायरिंग में बिचपुरी निवासी श्री बहादुर सिंह, श्रीपुर बिछुवा के पूरन चन्द्र भी गंभीर रुप से घायल हुये थे।
मसूरी गोलीकाण्ड में शहीद लोग
- अमर शहीद स्व. बेलमती चौहान (48), पत्नी श्री धर्म सिंह चौहान, ग्राम-खलोन, पट्टी घाट, अकोदया, टिहरी।
- अमर शहीद स्व. हंसा धनई (45), पत्नी श्री भगवान सिंह धनई, ग्राम-बंगधार, पट्टी धारमंडल, टिहरी।
- अमर शहीद स्व. बलबीर सिंह (22), पुत्र श्री भगवान सिंह नेगी, लक्ष्मी मिष्ठान्न, लाइब्रेरी, मसूरी।
- अमर शहीद स्व. धनपत सिंह (50), ग्राम-गंगवाड़ा, पट्टी-गंगवाड़स्यू, गढ़वाल।
- अमर शहीद स्व. मदन मोहन ममगई (48), नागजली, कुलड़ी, मसूरी।
- अमर शहीद स्व. राय सिंह बंगारी (54), ग्राम तोडेरा, पट्टी-पूर्वी भरदार, टिहरी
- मुजफ्फरनगर गोलीकाण्ड / रामपुर तिराहा काण्ड
2 अक्टूबर, 1994 की रात्रि को दिल्ली रैली में जा रहे आन्दोलनकारियों का रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर में पुलिस-प्रशासन ने जैसा दमन किया, उसका उदारहण किसी भी लोकतान्त्रिक देश तो क्या किसी तानाशाह ने भी आज तक दुनिया में नहीं दिया कि निहत्थे आन्दोलनकारियों को रात के अन्धेरे में चारों ओर से घेरकर गोलियां बरसाई गई और पहाड़ की सीधी-सादी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार तक किया गया। इस गोलीकाण्ड में राज्य के 7 आन्दोलनकारी शहीद हो गये थे। इस गोली काण्ड के दोषी आठ पुलिसवालों पर जिनमे तीन इंस्पै़क्टर भी हैं, पर मामला चलाया जा रहा है।
शहीदों के नाम
- अमर शहीद स्व. सूर्यप्रकाश थपलियाल (20), पुत्र श्री चिंतामणि थपलियाल, चौदहबीघा, मुनि की रेती, ऋषिकेश
- अमर शहीद स्व. राजेश लखेड़ा (24), पुत्र श्री दर्शन सिंह लखेड़ा, अजबपुर कलां, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. रविन्द्र सिंह रावत (22), पुत्र श्री कुंदन सिंह रावत, बी-20, नेहरु कालोनी, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. राजेश नेगी (20), पुत्र श्री महावीर सिंह नेगी, भानिया वाला, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. सतेन्द्र चौहान (16), पुत्र श्री जोध सिंह चौहान, ग्राम हरिपुर, सेलाकुईं, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. गिरीश भद्री (21), पुत्र श्री वाचस्पति भद्री, अजबपुर खुर्द, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. अशोक कुमारे कैशिव, पुत्र श्री शिव प्रसाद, मंदिर मार्ग, उखीमठ, रुद्रप्रयाग।
देहरादून गोलीकाण्ड
3 अक्टूबर, 1994 को मुजफ्फरनगर काण्ड की सूचना देहरादून में पहुंचते ही लोगों का उग्र होना स्वाभाविक था। इसी बीच इस काण्ड में शहीद स्व० रविन्द्र सिंह रावत की शवयात्रा पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद स्थिति और उग्र हो गई और लोगों ने पूरे देहरादून में इसके विरोध में प्रदर्शन किया, जिसमें पहले से ही जनाक्रोश को किसी भी हालत में दबाने के लिये तैयार पुलिस ने फायरिंग कर दी, जिसने तीन और लोगों को इस आन्दोलन में शहीद कर दिया।
मारे गए लोगों के नाम
- अमर शहीद स्व. बलवन्त सिंह सजवाण (49), पुत्र श्री भगवान सिंह, ग्राम-मल्हान, नयागांव, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. राजेश रावत (19), पुत्र श्रीमती आनंदी देवी, 27-चंदर रोड, नई बस्ती, देहरादून।
- अमर शहीद स्व. दीपक वालिया (27), पुत्र श्री ओम प्रकाश वालिया, ग्राम बद्रीपुर, देहरादून।
कोटद्वार काण्ड
3 अक्टूबर, 1994 को पूरा उत्तराखण्ड मुजफ्फरनगर काण्ड के विरोध में उबला हुआ था और पुलिस-प्रशासन इनके किसी भी प्रकार से दमन के लिये तैयार था। इसी कड़ी में कोटद्वार में भी आन्दोलन हुआ, जिसमें दो आन्दोलनकारियों को पुलिस कर्मियों द्वारा राइफल के बटों व डण्डों से पीट-पीटकर मार डाला।
- कोटद्वार में शहीद आन्दोलनकारी
- अमर शहीद स्व. श्री राकेश देवरानी।
- अमर शहीद स्व. श्री पृथ्वी सिंह बिष्ट, मानपुर, कोटद्वार।